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Updated March 29th, 2024 at 14:38 IST

चुनावी साल, माफिया मुख्तार को जेल में हार्ट अटैक...और पोस्टमार्टम से पहले 'मौत की साजिश' पर सियासत

गैंगस्टर-नेता मुख्तार अंसारी की दिल का दौरा पड़ने से गुरुवार देर शाम मौत हो गई। हालांकि अभी मुख्तार की मौत के पीछे कुछ लोग साजिश का एंगल खोज रहे हैं।

Reported by: Dalchand Kumar
Akhilesh Yadav and Mayawati on Mafia Mukhtar Ansari Death
अखिलेश यादव, मुख्तार अंसारी और मायावती | Image:ANI/@MukhtarAnsari09
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Mukhtar Ansari Death: जब लोकसभा के चुनाव बिल्कुल चौखट पर हैं, उस गर्माते राजनीतिक माहौल के बीच माफिया से नेता बने मुख्तार अंसारी की मौत को एक मुद्दा बनाने की कोशिश दिखाई दे रही है। उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में आतंक का पर्याय बने गैंगस्टर-नेता मुख्तार अंसारी की दिल का दौरा पड़ने से गुरुवार देर शाम मौत हो गई। हालांकि अभी मुख्तार की मौत के पीछे कुछ लोग साजिश का एंगल खोज रहे हैं।

मुख्तार अंसारी एक वक्त में आतंक का पर्याय बना हुआ था। अंसारी के खिलाफ हत्या से लेकर जबरन वसूली तक के 65 मामले दर्ज थे 2005 से मुख्तार अंसारी जेल में था। साल 2005 से जेल में रहते हुए उसके खिलाफ हत्या और गैंगस्टर अधिनियम के तहत 28 मामले दर्ज थे। सितंबर 2022 से 8 आपराधिक मामलों में उसे दोषी ठहराया गया था। दो मामलों में उम्रकैद की सजा थी। लंबे वक्त से मुख्तार जेल के भीतर रह रहा था। गुरुवार को तबीयत खराब हुई तो अस्पताल ले जाया गया, जहां दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई। हालांकि अब विपक्ष के कुछ नेता अंसारी की मौत पर सवाल उठा रहे हैं।

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मुख्तार की मौत पर सियासत क्यों है?

मुख्तार अंसारी की मौत पर सियासत की वजह उनके परिवार के आरोप और कुछ पुराने बयान हैं। अंसारी का परिवार उनकी मौत के बाद कई तरह के सवाल खड़े कर रहा है। मुख्तार के बड़े भाई सिबकतुल्लाह अंसारी के आरोप हैं कि '18 मार्च से ही उनकी (मुख्तार अंसारी) काफी तबीयत खराब चल रही थी। बार-बार कहने के बावजूद कोई इलाज नहीं दिया जा रहा था, कोई इलाज नहीं दिया गया।' मुख्तार के बेटे उमर अंसारी आरोप लगा रहे हैं कि 'दो दिन पहले वो मिलने आया था तो उसे इजाजत नहीं दी गई। 19 मार्च को रात के खाने में पिता (मुख्तार अंसारी) जहर दिया गया था। जेल में उसके पिता को धीमा जहर दिया गया था।'

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मुख्तार के भाई सांसद अफजाल अंसारी ने 'पीटीआई-भाषा' से कहा था- 'उन्हें मोहम्मदाबाद थाने से एक संदेश मिला, जिसमें उन्हें बताया गया कि मुख्तार की तबीयत खराब है और उसे बांदा मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया है।' अफजाल के मुताबिक, मुख्तार ने दावा किया था कि उसे खाने में कोई जहरीला पदार्थ खिलाया गया है और ऐसा दूसरी बार हुआ है। अफजाल ने कहा- 'मुख्तार ने उन्हें बताया कि करीब 40 दिन पहले भी उसे जहर दिया गया था और हाल ही में शायद 19 या 22 मार्च को फिर ऐसा किया गया, जिसके बाद से उसकी हालत खराब है।'

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अफजाल ने कहा था कि "21 मार्च को बाराबंकी की अदालत में एक मामले की डिजिटल माध्यम से सुनवाई के दिन मुख्तार के वकील ने अदालत में दरखास्त दी थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि उनके मुवक्किल को जेल में 'धीमा जहर' दिया गया है, जिससे उनकी हालत बिगड़ती जा रही है।" मुख्तार अंसारी का एक तथाकथित पत्र भी सामने आया है, जो उसने अदालत में दिया था। इस तथाकथित पत्र में मुख्तार अंसारी ने कुछ लोगों पर हत्या की साजिश के आरोप भी लगाए थे। ये लेटर 21 मार्च 2024 को बांदा कोर्ट के CJM को दिया गया था। इन्हीं आरोपों को लेकर विपक्ष अब सवाल उठा रहा है।

यह भी पढे़ं: मुख्तार अंसारी की सियासत; विरासत में मिली राजनीति, कभी निर्दलीय तो कभी खुद की पार्टी बना जीते चुनाव

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मुख्तार की मौत पर विपक्ष ने क्या-क्या कहा?

मुख्तार अंसारी की मौत के बाद समाजवादी पार्टी के सांसद जावेद अली खान सोशल मीडिया पर लिखते हैं- 'अदालत द्वारा सजा-ए मौत भी मंजूर, सरकार प्रायोजित हत्या कुबूल नहीं। मुख्तार अंसारी को श्रद्धांजलि।' सपा नेता रामगोपाल यादव लिखते हैं- 'मुख्तार अंसारी की जिन परिस्थितियों में मृत्यु हुई वो अत्यधिक चिंताजनक है। उन्होंने न्यायालय में अर्जी देकर पहले ही जहर के द्वारा अपनी हत्या की आशंका व्यक्त की थी। मौजूदा व्यवस्था में तो ना जेल में कोई सुरक्षित, ना पुलिस कस्टडी में और ना अपने घर में। प्रशासनिक आतंक का माहौल पैदा करके लोगों को मुंह बंद रखने को विवश किया जा रहा है। क्या मुख्तार अंसारी द्वारा न्यायालय में दी गयी अर्जी के आधार पर कोई न्यायिक जांच के आदेश करेगी यूपी सरकार?'

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AIMIM नेता और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी कहते हैं- 'गाजीपुर की अवाम ने अपने चहीते बेटे और भाई को खो दिया। मुख्तार साहब ने प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाया था कि उन्हें जहर दिया गया था। बावजूद इसके सरकार ने उनके इलाज पर तवज्जो नहीं दिया। निंदनीय और अफसोसजनक।'

बसपा सुप्रीमो मायावती ने मुख्तार अंसारी की मौत पर परिवार के प्रति अपनी संवेदना जताई। यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया साइट 'X' पर लिखा- ' मुख्तार अंसारी की जेल में हुई मौत को लेकर उनके परिवार द्वारा जो लगातार आशंकाएं और गंभीर आरोप लगाए गए हैं, उनकी उच्च-स्तरीय जांच जरूरी, ताकि उनकी मौत के सही तथ्य सामने आ सकें। ऐसे में उनके परिवार का दुखी होना स्वाभाविक। कुदरत उन्हें इस दुख को सहन करने की शक्ति दे।'

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समाजवादी पार्टी के प्रमुख और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मुख्तार की मौत के बाद लंबा चौड़ा पोस्ट लिखा है, जिसमें उन्होंने संदिग्ध मामलों में जांच की मांग उठाई है। अखिलेश लिखते हैं- 'सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह गैर कानूनी हैं। जो हुकूमत जिंदगी की हिफाजत ना कर पाए उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक नहीं। उत्तर परदेश सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।'

मुख्तार अंसारी की मौत की न्यायिक जांच के आदेश

अभी जब मुफ्तार अंसारी का परिवार और विपक्ष सवाल उठा रहा है तो उत्तर प्रदेश सरकार ने न्यायिक जांच के आदेश दे दिए हैं। बांदा एमपी/एमएलए कोर्ट की अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट गरिमा सिंह को जांच सौंपी गई है। एक महीने के भीतर गरिमा सिंह को रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा गया है।

इधर, मुख्तार अंसारी का परिवार और तमाम विपक्षी नेता उनकी मौत पर सवाल उठा रहे हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी ओपी सिंह उन आरोपों को बेबुनियाद बताते हैं। अंसारी के दिल का दौरा पड़ने से निधन पर यूपी के पूर्व डीजीपी ओपी सिंह कहते हैं- 'ये आरोप लगाना कि उन्हें जहर दिया गया, बिल्कुल बेबुनियाद आरोप है। पोस्टमार्टम होने के बाद स्थिति बिल्कुल स्पष्ट हो जाएगी। मुख्तार अंसारी एक अपराधी, डॉन और माफिया था। उसकी मौत के बारे में बड़े पैमाने पर नहीं सोचा जाना चाहिए।'

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मुख्तार अंसारी के बारे में

पिछले 19 साल से मुख्तार अंसारी उत्तर प्रदेश और पंजाब की अलग-अलग जेलों में बंद रहा। अपराध की दुनिया से निकलकर मुख्तार अंसारी ने राजनीति में कदम रखा था। अंसारी पहली बार 1996 में मऊ से बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर विधायक चुना गया था। उसने 2002 और 2007 के विधानसभा चुनावों में एक निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में इस सीट पर अपनी जीत का सिलसिला कायम रखा। साल 2012 में अंसारी ने कौमी एकता दल बनाया और मऊ से फिर से जीत हासिल की। 2017 में उन्होंने फिर से मऊ से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। साल 2022 में मुख्तार ने अपने बेटे अब्बास अंसारी के लिए सीट खाली कर दी, जो सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के टिकट पर इस सीट से जीते।

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यह भी पढे़ं: माफिया मुख्तार अंसारी की मौत के बाद बांदा मेडिकल कॉलेज छावनी में तब्दील

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Published March 29th, 2024 at 14:31 IST

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