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Updated February 9th, 2024 at 21:48 IST

Ambala Lok Sabha: आरक्षित अंबाला सीट पर BJP लगा पाएगी जीत की हैट्रिक?

Ambala Lok Sabha : पंजाब से अलग होकर हरियाणा के नया राज्य बनने के बाद अंबाला लोकसभा सीट हमेशा से बेहद खास रही है।

Reported by: Nidhi Mudgill
Ambala Lok Sabha
अंबाला लोक सभा | Image:PC : Republic
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Ambala Seat : हरियाणा की अंबाला लोकसभा सीट हमेशा से बेहद खास रही है, क्योंकि अंबाला हरियाणा की सबसे पुरानी लोकसभा सीट है। यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। वर्तमान में यह सीट खाली है क्योंकि यहां से पूर्व केंद्रीय मंत्री और बीजेपी सांसद रतन लाल कटारिया का निधन हो गया था। अंबाला लोकसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने यहां अपना दबदबा बनाया हुआ था। इससे पहले रतन लाल कटारिया यहां सांसद थे, जबकि पहले इस सीट पर कांग्रेस की कुमारी शैलजा थी। 

अंबाला लोकसभा क्षेत्र हरियाणा के 10 लोकसभा (संसदीय) निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है। यह निर्वाचन क्षेत्र पूरे पंचकुला जिले और अंबाला जिले के कुछ हिस्सों को कवर करता है। अंबाला जिले में चार निर्वाचन क्षेत्र हैं जिसमें नारायणगढ़, अंबाला कैंट, अंबाला शहर और मुलाना शामिल है। 

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2014 लोकसभा चुनाव में रतनलाल कटारिया ने की थी जीत दर्ज

पंजाब से अलग होकर हरियाणा के नया राज्य बनने के बाद अंबाला लोकसभा सीट हमेशा से बेहद खास रही है। 2014 लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की टिकट पर रतन लाल कटारिया (Ratan Lal Kataria) ने अंबाला से जीत दर्ज की थी। उन्हें कुल 6 लाख 12 हजार 121 वोट मिले थे। हालांकि अब रतन लाल कटारियां इस दुनिया में नहीं है।  

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Ratan Lal Kataria, PC : @drparthabjp 

अंबाला लोकसभा चुनाव 2019 के नतीजे

2019 में अंबाला लोकसभा सीट से तीन प्रमुख उम्मीदवार बीजेपी के रतन लाल कटारिया कांग्रेस की कुमारी शैलजा और आईएनएलडी के रामपाल थे। जिनमें से रतन लाल कटारिया के सिर जीत का ताज सजा था। वह बीजेपी के ऐसे दूसरे नेता थे, जो लगतार दो बार सांसद चुने गए। रतन लाल कटारिया को 7,46,508 वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस प्रत्याशी कुमारी सैलजा को 4,04,163 वोट मिले थे।  

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1996 के बाद से कांग्रेस ने गंवा दिया अंबाला से प्रभाव 

1952 से अब तक अंबाला सीट पर सबसे ज्यादा समय तक कांग्रेस की सरकार रही,  लेकिन 1996 के बाद से कांग्रेस यहां अपना प्रभाव गंवा बैठी। 11वीं लोकसभा के लिए हुए चुनाव में यह सीट बीजेपी और 1998 में बसपा के खाते में चली गई। 1999 में रतन लाल कटारिया ने एक बार फिर यह सीट बीजेपी की झोली में वापस डाल दी थी। हालांकि, 2004 और 2009 के चुनावों में उन्हें लगातार दो बार हार का सामना करना पड़ा। लेकिन 2014 में मोदी लहर के सहारे उन्होंने यहां से एक बार फिर जीत हासिल की। 

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हरियाणा की सबसे पुरानी लोकसभा सीट है अंबाला

अंबाला हरियाणा की सबसे पुरानी लोकसभा सीट है। अंबाला लोकसभा सीट का दायरा मौजूदा पंजाब और हिमाचल प्रदेश के काफी बड़े भूभाग तक फैला हुआ था। तब इसे अंबाला-शिमला लोकसभा सीट कहा जाता था। 

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हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला तक का इलाका अंबाला सीट के अंदर ही आता था। खास बात यह है कि यह हरियाणा की इकलौती सीट है, जो शुरू से अब तक अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित है। अब अंबाला लोकसभा सीट में पंचकूला, अंबाला और यमुनानगर आते हैं। इसमें कालका, पंचकूला, नारायणगढ़, अंबाला छावनी, अंबाला शहर, सढौरा, मुलाना, जगाधरी और यमुनानगर विधानसभा क्षेत्र हैं।

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PC : ANI

पर्यटन के क्षेत्र में खास है अंबाला, विज्ञान नगरी भी कहते हैं 

अंबाला शहर हरियाणा और पंजाब के सीमा के करीब स्थित है। इसकी भौगोलिक स्थिति के कारण पर्यटन के क्षेत्र में भी अंबाला का महत्व है। आज के दौर में अंबाला अपने विज्ञानिक औजार उत्पादन और मिक्सी उद्योग के लिए प्रसिद्ध है। इसलिए अंबाला को 'विज्ञान नगरी' भी कहा जाता है, क्योंकि यहां वैज्ञानिक उपकरणों का उत्पादन होता है। 

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PC : Shutterstock

भारतीय वैज्ञानिक उपकरणों का लगभग 40 प्रतिशत उत्पादन अंबाला में ही होता है। अंबाला लोकसभा सीट पर कुल मिलाकर असली वोटर किसान और मध्‍यमवर्गीय कामगार ही हैं। 

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Published February 9th, 2024 at 20:33 IST

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