Updated May 9th, 2024 at 13:39 IST
हिंदुओं की घटी आबादी पर गिरिराज ने कांग्रेस पर फोड़ा ठीकरा, कहा- भारत को रोहिंग्याओं के लिए बनाया...
EAC-PM की रिपोर्ट में दावा है कि 1950 से 2015 तक हिंदू आबादी तकरीबन 8 फीसदी घटी है। इस अवधि के दौरान मुस्लिम आबादी में 43 प्रतिशत से ज्यादा का इजाफा हुआ है।
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Giriraj Singh: भारत के भीतर पिछले 65 साल में हिंदू आबादी घटने के दावों ने सभी को चौंका दिया है। बेगूसराय के बीजेपी प्रत्याशी और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने भारत में हिंदुओं की घटती जनसंख्या पर चिंता जाहिर की है। उन्होंने कहा कि 1950 से लेकर 2015 तक इन 65 सालों में तकरीबन हिंदुओं की जनसंख्या में 8 फीसदी से अधिक की गिरावट आई है, जो चिंता का विषय है। एक रिपोर्ट सामने आने के बाद भारतीय जनता पार्टी के नेता और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने हिंदुओं की घटी आबादी के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया है।
प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (EAC-PM) की रिपोर्ट में दावा है कि 1950 से 2015 तक भारत में हिंदू आबादी तकरीबन 8 फीसदी घटी है। इस अवधि के दौरान मुस्लिम आबादी में 43 प्रतिशत से ज्यादा का इजाफा हुआ है। इस पर गिरिराज सिंह ने कहा कि कांग्रेस के कार्यकालम में रोहिंग्या समेत अन्य मुसलमानों को पराश्रय दिया गया। उन पर कभी भी अंकुश लगाने की कवायत नहीं की गई। आलम ये है कि धीरे-धीरे हिंदुओं की जनसंख्या घटती चली गई। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों की तरफ से गजवा-ए हिंद की तैयारी की जा रही है। ये भारत को इस्लामिक स्टेट बनाने की दिशा में काम किया जा रहे हैं।
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कांग्रेस-राजद देश तोड़ने का काम कर रहे हैं- गिरिराज सिंह
गिरिराज सिंह ने कहा कि ये (विपक्ष) लोग सिर्फ वोट बैंक की राजनीतिक करते हैं, देश की संप्रभुता से इनका कोई सरोकार नहीं है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस-राजद देश तोड़ने का काम कर रहे हैं। क्योंकि देश में मुस्लिम की आबादी लगातार बढ़ता ही जा रही है, ये चिंता का विषय बना हुआ है।
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आबादी के धार्मिक आंकड़ों की रिपोर्ट
अब ईएसी-पीएम की आबादी के धार्मिक आंकड़ों की रिपोर्ट के बारे में बताते हैं। आर्थिक सलाहकार परिषद के वर्किंग पेपर के मुताबिक, 1950 और 2015 के बीच भारत में बहुसंख्यक हिंदू आबादी की हिस्सेदारी 84.68 फीसदी से 7.82 फीसदी घटकर 78.06 फीसदी हो गई। 1950 में मुस्लिम आबादी की हिस्सेदारी 9.84 प्रतिशत थी और 2015 में बढ़कर 14.09 प्रतिशत हो गई। इससे कुल मिलाकर उनकी हिस्सेदारी में 43.15 प्रतिशत का इजाफा हुआ।
पारसियों और जैनियों को छोड़कर भारत में अन्य सभी धार्मिक अल्पसंख्यकों की आबादी में इस अवधि में 6.58 प्रतिशत तक की वृद्धि देखी गई। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की जनसंख्या में जैनियों की हिस्सेदारी 1950 में 0.45 प्रतिशत से घटकर 2015 में 0.36 प्रतिशत हो गई। भारत में पारसी आबादी की हिस्सेदारी में 85 प्रतिशत की भारी गिरावट देखी गई, जो 1950 में 0.03 प्रतिशत से घटकर 2015 में 0.004 प्रतिशत हो गई। इस अवधि के दौरान ईसाई आबादी का हिस्सा 2.24 फीसदी से 5.38 फीसदी बढ़कर 2.36 फीसदी हो गया। सिख आबादी में पिछले 65 साल में 6.58 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। सिख आबादी का हिस्सा 1950 में 1.24 प्रतिशत से बढ़कर 2015 में 1.85 प्रतिशत हो गया।
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Published May 9th, 2024 at 13:39 IST
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