Updated March 30th, 2019 at 20:11 IST
एयर स्ट्राइक पर फारूक का विवादित बयान, पुलवामा में जवानों की शहादत पर किया शक
सवाल जब देश के जवानों के शौर्य पर हो तो उसका विरोध भी लाज़मी है। बीजेपी भी फारूक के इस बायन पर हमलावर हो गई। और बयान को शर्मनाक बताया।
Advertisement
लोकसभा की तीराखों का ऐलान हो चुका है और उसका काउन डाउन भी शुरु हो गया है। लेकिन देश में पीएम मोदी के खिलाफ झंडा बुलंद किए हुए कुछ नेताओं को हर तरफ खामी ही नज़र आती है, अब चाहे वो सेना से जुड़ा मामला ही क्यों ना हों।
जम्मू कश्मीर के पूर्व सीएम और नेश्नल कॉन्फ़्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला ने एयर स्ट्राइक और सेना के शौर्य पर एक बार फिर सवालिया निशाना लगा दिया। लेकिन वो ये भूल गए कि सच को किसी सबूत की जरूरत नहीं होती।
उन्होंने कहा, 'एयरस्ट्राइक सिर्फ इसलिए की क्योंकि चुनाव नजदीक आ गए थे। हिंदुस्तान के कितने जवान शहीद हुए छत्तीसगढ़ में? क्या मोदी जी कभी गए वहां उन पर फूल चढ़ाने के लिए? कभी उनके खानदानों से हमदर्दी की? कितने सिपाही यहां मरे उनके लिए कुछ कहा? मगर वो 40 लोग CRPF के शहीद हो गए उसका भी मुझे शक है। और मैं आपसे सच कहता हूं। इन्होंने क्या किया पाकिस्तान पर हमला करने की कोशिश की, कहा हमने हमला कर दिया और हमने वहां 300 लोग मार दिए कोई कहे 500 लोग कोई कहे हजार लोग, हमने उनका जहाज भी गिरा दिया। ये सिर्फ दिखाने के लिए कि मैं बड़ा बहादुर हूं कुछ भी कर सकता हूं।'
सवाल जब देश के जवानों के शौर्य पर हो तो उसका विरोध भी लाज़मी है। बीजेपी भी फारूक के इस बायन पर हमलावर हो गई। और बयान को शर्मनाक बताया।
मनोज तिवारी ने कहा है कि फ़ारुख अब्दुल्ला जैसे लगों के बयानों पर अब क्या बोला जाए। मीडिया को भी ऐसे लोगो को गंभीरता से नहीं लेना चाहिए। वो बयान इसलिए देते है क्यों कि माहौल को बिगाड़ना चाहते है। संविधान में ऐसी कोई शक्ति हो कि ऐसे बयान पर कड़ी सजा हो। ये लोग मेंटली डिस्टर्ब लोग है इनको छोड़ दीजिए।
सियासी माहौल जब गर्म हो तो हमले भी तेज़ हो जाते हैं। फ़ारूक के बयान के बहाने बीजेपी ने राहुल, केजरीवाल और ममता को भी नहीं बख्शा।
बीजेपी नेता राकेश सिन्हा ने कहा कि देखिये वास्तव में विपक्ष के कुछ नेता जिन्हें राहुल गांधी, अरविंद केजरीवाल, ममता बैनर्जी जैसे नेताओं की शह है समर्थन है उनके इशारे पर पाकिस्तान के पक्ष को आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में मजबूत कर रहे है।
लोकसभा चुनाव जब सिर पर हों तो सियासत का पारा चढ़ना लाज़मी हो जाता है। अभी तो महज़ शुरुआत भर है। जैसे जैसे माहौल की गर्मी बढ़ेगी राजनीति के धुरंदर लोकतंत्र के इस सबसे बड़े पर्व को ना जाने कहा ले जाएंगे।
Advertisement
Published March 30th, 2019 at 19:50 IST
आपकी आवाज. अब डायरेक्ट.
अपने विचार हमें भेजें, हम उन्हें प्रकाशित करेंगे। यह खंड मॉडरेट किया गया है।