Updated May 2nd, 2024 at 21:03 IST
बसपा की नई लिस्ट जारी, बिहार के काराकाट सीट पर रोचक हुआ मुकाबला, पवन सिंह के बाद धीरज सिंह की एंट्री
बसपा ने अपनी लिस्ट में जिन 11 सीटों पर उम्मीदवारों को उतारा है उनमें बक्सर, जहानाबाद, सासाराम, काराकाट, वैशाली, मधुबनी, मुजफ्फरपुर, सारण शामिल हैं।
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Lok Sabha Election: बिहार में लोकसभा चुनावों के लिए बहुजन समाज पार्टी (BSP) ने 11 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की है। बिहार में सभी 7 चरणों में चुनाव हो रहे है, जिनमें से दो चरणों के चुनाव हो चुके हैं।
बसपा ने अपनी लिस्ट में जिन 11 सीटों पर उम्मीदवारों को उतारा है उनमें बक्सर, जहानाबाद, सासाराम, काराकाट, वैशाली, मधुबनी, मुजफ्फरपुर, सारण, हाजीपुर, पूर्वी चंपारण और शिवहर शामिल है।
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काराकाट सीट पर दिलचस्प हुआ मुकाबला
बिहार में 40 लोकसभा की सीटों में से सबसे ज्यादा चर्चा जिस सीट की है वो काराकाट। काराकाट सीट से भोजपुरी अभिनेता पवन सिंह के निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में उतरने के बाद देश भर हो रही है। एनडीए की ओर से पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाह मैदान में हैं तो इंडिया गठबंधन की ओर से राजा राम सिंह मैदान में हैं। अब बहुजन समाज पार्टी ने धीरज सिंह के उतार कर मुकाबला और भी दिलचस्प बना दिया है।
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काराकाट सीट पर क्या है समीकरण?
अब काराकाट सीट पर क्या समीकरण बन रहा है इसकी चर्चा करते हैं। रोहतास के जिस काराकाट सीट से पवन सिंह निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान किया है, वहां, उनके सामने NDA और महागठबंधन दोनों के उम्मीदवार मैदान में हैं। NDA ने यहां से उपेन्द्र कुशवाहा को मैदान में उतारा है तो महागठबंधन की तरफ CPI(ML) से राजाराम सिंह मैदान में हैं। दोनों ही एक ही जाति से संबंध रखते हैं। एक अनुमान के मुताबिक इस सीट पर 3 लाख सर्वण और करीब ढाई लाख कुशवाहा -कुर्मी वोट पड़ते हैं। सवर्णों में भी राजपूतों की संख्या ज्यादा है इस जाति के ही पवन सिंह हैं।
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2008 में अस्तित्व में आई काराकाट लोकसभा सीट
बता दें कि इस सीट पर महागठबंधन अब तक कोई कमाल नहीं दिखा पाई है। इंडी गठबंधन ने इसबार काराकाट सीट से राजा राम सिंह को उम्मीदवार बनाया है। परिसीमन के बाद 2008 में काराकाट लोकसभा सीट अस्तित्व में आई। इसके बाद से तीनों बार एनडीए ने जीत दर्ज की है अब तक महागठबंधन एक बार भी खुद को साबित नहीं कर पाया। इस सीट पर NDA का दबदबा रहा है। यहां कुशवाहा-कुर्मी का दबदबा रहा है ऐसे में उपेन्द्र कुशवाहा के लिए इस बार मुश्किल बड़ी नहीं थी। मगर पवन सिंह के यहां से निर्दलीय मैदान में आने के बाद यहां मुकाबला दिलचस्प हो गया है।
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Published May 2nd, 2024 at 21:03 IST
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