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Updated April 19th, 2024 at 19:52 IST

पोर्नोग्राफी डाउनलोड करना या देखना अपराध नहीं? मद्रास HC के फैसले पर SC ने की बड़ी टिप्पणी

CJI की बेंच ने सुनवाई के दौरान टिप्पणी करते हुए कहा बच्चे का पोर्न देखना भले ही अपराध नहीं हो लेकिन बच्चे का पोर्नोग्राफी में इस्तेमाल किया जाना अपराध होगा।

Reported by: Digital Desk
Edited by: Deepak Gupta
Supreme Court
Supreme Court | Image:PTI/File
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अखिलेश राय

किसी व्यक्ति द्वारा पोर्नोग्राफी डाउनलोड करना या देखना POCSO और IT अधिनियम के तहत अपराध नहीं, के मद्रास हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ दाखिल अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।

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CJI जस्टिस डी वाई चंद्रचूण की बेंच ने मामले पर सुनवाई के दौरान टिप्पणी करते हुए कहा बच्चे का पोर्न देखना भले ही अपराध नहीं हो लेकिन बच्चे का पोर्नोग्राफी में इस्तेमाल किया जाना अपराध होगा।

CJI जस्टिस डी वाई चंद्रचूण ने क्या कहा?

CJI ने कहा किसी से वीडियो का मिलना POSCO धारा 15 का उल्लंघन नहीं है लेकिन अगर आप इसे देखते है और दूसरों को भेजते है तो यह कानून के उल्लंघन के दायरे मे आएगा। CJI ने कहा कि सिर्फ इसलिए वह अपराधी नहीं हो जाता कि उसे वीडियो किसी ने भेज दिया है। CJI ने कहा कि किसी के द्वारा व्हाट्स ऐप पर चाइल्ड पोर्न को रिसीव करना अपराध नहीं है?

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जस्टिस पारदीवाला ने क्या कहा?

वहीं जस्टिस पारदीवाला ने पूछा कि क्या वीडियो को दो साल तक अपने मोबाइल फोन में रखना अपराध है?

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आरोपी लगातार देख रहे थे वीडियो- एच एस फुल्का

वकील एच एस फुल्का ने कहा कि अधिनियम कहता है कि यदि कोई वीडियो या फोटो है तो आपको उसे हटाना होगा। जबकि आरोपी लगातार वीडियो देख रहे थे।

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जब आरोपी के वकील ने वीडियो के ऑटोडाउनलोड होने की दलील पर CJI ने कहा आपको कैसे पता नहीं चलेगा कि यह वीडियो आपके फोन में है। आपको पता होना चाहिए को अधिनियम मे संशोधन के बाद यह भी अपराध हो गया है।

वहीं जस्टिस पारदीवाला ने सुनवाई के दौरान पूछा कि क्या इस मामले में आरोपी ने साइट पर वीडियो अपलोड किया था या उन्हें किसी तीसरे पक्ष ने वीडियो मुहैया कराया था?  अगर उन्हें यह वीडियो अपने दोस्त से मिला है तो क्या हम कह सकते हैं कि उसने वीडियो अपलोड किया है?

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सवाल यह है कि क्या किसी के द्वारा भेजे गए चाइल्ड पोर्न को डाउनलोड करना भी POCSO के तहत अपराध है?

22 अप्रैल तक दाखिल करे NCPCR

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कोर्ट ने इस मामले में हस्तक्षेप याचिका दाखिल करने वाले NCPCR को मामले में अपना लिखित जवाब 22 अप्रैल तक दाखिल करने को कहा।

दरअसल  मद्रास हाई कोर्ट ने कहा था कि केवल किसी के व्यक्तिगत इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस पर चाइल्ड पोर्नोग्राफ़ी डाउनलोड करना या उसे देखना कोई अपराध नहीं है। POCSO अधिनियम और आईटी अधिनियम के तहत अपराध की श्रेणी में नहीं आता। मद्रास हाई कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ NGO जस्ट राइट फॉर चिल्ड्रन एलायंस ने सुप्रीम कोर्ट मे याचिका दाखिल की है।

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Published April 19th, 2024 at 19:52 IST

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