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Updated May 2nd, 2024 at 16:14 IST

ADB ने जलवायु परिवर्तन मामले में वित्तपोषण का आंकड़ा बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया- रिपोर्ट

भारत सहित एशिया के अन्य देशों में जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने की परियोजनाओं के लिए एडीबी के वित्तपोषण का आंकड़ा बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया है।

Reported by: Digital Desk
climate change
जलवायु परिवर्तन | Image:Shutterstock
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भारत सहित एशिया के अन्य देशों में जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने की परियोजनाओं के लिए एशियाई विकास बैंक (एडीबी) के वित्तपोषण का आंकड़ा ‘बढ़ा-चढ़ाकर’ पेश किया गया है। गैर-लाभकारी संगठन ऑक्सफैम ने अपनी रिपोर्ट में यह दावा किया है।

एडीबी ने इस संबंध में जो 1.7 अरब डॉलर के आंकड़े दिये हैं, वह वास्तव में 44 प्रतिशत कम होकर 0.9 अरब डालर हो सकता है। हालांकि, एडीबी ने 2030 तक जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के लिए विभिन्न परियोजनाओं लिए 100 अरब डॉलर के वित्तपोषण की फिर से पुष्टि की है। उसने कहा कि वह अपनी कार्यप्रणाली और प्रतिबद्धता पर पूरी तरह से कायम है। इसमें जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने और मजबूती के लिए 34 अरब डॉलर निर्धारित किये गये हैं।

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एशियाई विकास बैंक (एडीबी) के एक प्रवक्ता ने ऑक्सफैम की रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ‘‘हम जलवायु वित्तपोषण के आंकड़ों पर कायम हैं। बैंक का दृढ़ संकल्प अपने जलवायु वित्तपोषण लक्ष्यों और 2023 में जलवायु वित्त प्रतिबद्धताओं में की गयी वृद्धि को पूरा करना है।’’

ऑक्सफैम की रिपोर्ट एशिया और प्रशांत क्षेत्र में एडीबी की जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से पार पाने की परियोजनाओं पर केंद्रित है। इसमें बांग्लादेश, कम्बोडिया, भारत, इंडोनेशिया, पाकिस्तान, फिलीपीन, चीन और पापुआ न्यू गिनी जैसे देशों में फैली 15 प्रमुख परियोजनाओं पर गौर किया गया है।

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‘अनअकाउंटेबल एडाप्टेशन: द एशियन डेवलपमेंट बैंक्स ओवरस्टेटेड क्लेम्स ऑन क्लाइमेट एडाप्टेशन’ शीर्षक से जारी रिपोर्ट में ऑक्सफैम ने बहुपक्षीय विकास बैंक की रिपोर्ट में उल्लेखित आंकड़ों में ‘विसंगतियों’ को रखा है।

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘एडीबी ने जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के लिए वित्त को लेकर आधिकारिक रूप से जो आंकड़े दिये हैं, वे उल्लेखनीय रूप से कम हो सकते हैं। एडीबी ने 1.7 अरब डॉलर के वित्त का आंकड़ा दिया है जबकि यह 0.9 अरब डॉलर हो सकता है जो वास्तविक आंकड़े से 44 प्रतिशत कम है।

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इसमें कहा गया है, ‘‘एडीबी ने जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने को लेकर जिन परियोजनाओं के लिए वित्तपोषण के आंकड़े दिये हैं, ये 2021 और 2022 से जुड़ी हैं और सामूहिक रूप से वित्त के एक महत्वपूर्ण हिस्से का प्रतिनिधित्व करती हैं।’’

ऑक्सफैम इंटरनेशनल में क्षेत्रीय नीति और अभियान समन्वयक (एशिया) सुनील आचार्य ने एडीबी के आंकड़ों को जलवायु वित्त पर भरोसा करने वाले समुदायों को ‘गुमराह’ करने वाला बताया।

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उन्होंने कहा, ‘‘एशियाई देशों में वैश्विक औसत की तुलना में तापमान तेजी से बढ़ा रहा है। पर्वतीय क्षेत्रों में अचानक बाढ़, हिमस्खलन के मामले बढ़ गये हैं। वहीं मैदानी इलाकों में शुष्क परिस्थितियों के साथ पारा रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच रहा है। ऐसे स्थिति में जलवायु वित्तपोषण पर बढ़ा-चढ़ाकर पेश किये गये आंकड़े समस्या से निपटने के लिए सार्थक प्रयास करने में जुटे लोगों के साथ ‘मजाक’ जान पड़ते हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि 2019 और 2023 के बीच एडीबी का जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के लिए दिया गया ज्यादातर कोष... 10.5 अरब डॉलर में से 9.8 अरब डॉलर (93 प्रतिशत)... कर्ज के रूप में आवंटित किये गये थे। केवल 0.6 अरब डॉलर (छह प्रतिशत) अनुदान के रूप में दिया गया।

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गैर-लाभकारी संस्था ने तर्क दिया कि ये कर्ज बाजार दर पर दिये गये है। ऐसे में इसे जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के लिए वित्तपोषण नहीं माना जाना चाहिए। इसका कारण इससे देशों पर कर्ज बढ़ा है और जिन देशों की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है, इससे उनपर बोझ बढ़ेगा।

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(Note: इस भाषा कॉपी में हेडलाइन के अलावा कोई बदलाव नहीं किया गया है)

Published May 2nd, 2024 at 16:14 IST

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