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Updated April 16th, 2024 at 16:14 IST

मैनपुरी में अखिलेश की बढ़ेगी टेंशन! बसपा ने कैंडिडेट बदल कर डिंपल के सामने बढ़ाई चुनौती, पूरा समीकरण

Election 2024: मायावती ने मैनपुरी में लोकसभा का टिकट शिव प्रसाद यादव को दिया है। उसके पहले गुलशन सिंह शाक्य को बसपा ने उम्मीदवार बनाया था।

Reported by: Dalchand Kumar
Mayawati, dimple yadav and akhilesh yadav
मायावती, डिंपल यादव और अखिलेश यादव | Image:Facebook
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Mainpuri: मैनपुरी लोकसभा सीट पर एक तरफ विरासत में मिली सियासत के सहारे मुलायम सिंह यादव की बहू डिंपल यादव खड़ी हैं तो सामने से उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री जयवीर सिंह भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर मैदान में हैं। अब मायावती ने मैनपुरी में बहुजन समाज पार्टी का उम्मीदवार बदलकर सारे समीकरणों को पलट दिया है। इस त्रिकोणीय मुकाबले की संभावना ने मैनपुरी सीट पर चुनावी लड़ाई को भी दिलचस्प मोड में लाकर खड़ा कर दिया है।

उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बसपा की सुप्रीमो मायावती ने मैनपुरी में लोकसभा का टिकट शिव प्रसाद यादव को दिया है। उसके पहले गुलशन सिंह शाक्य को बसपा ने उम्मीदवार बनाया था। यादव जाति से ताल्लुक रखने वाले शिव प्रसाद अब मैनपुरी में अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव के लिए बड़ी चुनौती खड़ी कर सकते हैं। इसे जातीय समीकरण के हिसाब से समझा जा सकता है...

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मैनपुरी का जातीय समीकरण क्या कहता है?

मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र में जातिगत अंकगणित को समझा जाए तो यहां यादवों का पूरा प्रभाव है। एक अनुमान के मुताबिक, इस लोकसभा क्षेत्र में 4 लाख से ऊपर यादव मतदाता हैं। शाक्य वोटर्स की संख्या तकरीबन 3 लाख के आसपास बताई जाती है। उसके बाद ब्राह्मण वोटर्स करीब 1.10 लाख और दलित वोटर्स लगभग 1.20 लाख हैं। यहां लोधी वोटर्स की संख्या भी एक लाख के आसपास है। मुस्लिम वोटर्स की संख्या यहां करीब 50 हजार से अधिक बताई जाती है।

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इसके हिसाब से समाजवादी पार्टी के सामने दो चुनौतियां होगीं। पहला तो ये कि बसपा के शिव प्रसाद सपा के यादव वोट में सेंध लगा सकते हैं। दूसरा ये कि बसपा का अपना भी एक मजबूत वोटबैंक है। इसमें खासकर दलित और निचला तबका आता है, जो हमेशा मायावती से जुड़ा रहा है। सपा प्रत्याशी शिव प्रसाद जीत नहीं पाए तो समाजवादी पार्टी और डिंपल यादव के लिए 'वोट कटवा' जरूर साबित हो सकते हैं।

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लोकसभा चुनाव को विधानसभा नतीजों से आंक रही BJP

इधर, बीजेपी इस भरोसे है कि जैसे विधानसभा चुनाव में मैनपुरी में सेंध लगाई, उसके प्रभाव में लोकसभा चुनाव के नतीजे भी बदलेंगे और वो यहां कमल खिलाने में सफल होगी। जयवीर सिंह कहते हैं- 'मैनपुरी विधानसभा सीट को भी सपा का गढ़ कहा जाता था, जिसे जीतकर उन्होंने उनका गढ़ तोड़ दिया और अब लोकसभा में भी हम सपा के गढ़ को तोड़ देंगे।'

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डिंपल यादव पर निशाना साधते हुए जयवीर सिंह कहते हैं- 'मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद डिंपल यादव सांसद बनीं। अब स्थिति बदल गई है और वो समय चला गया है। इस बार मुकाबला योग्यता और उन्होंने मैनपुरी के लिए क्या किया है, उसके आधार पर होगा।' मौजूदा वक्त में उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री जयवीर सिंह मैनपुरी के लिए अपना नारा लेकर भी आए हैं। वो जनता के बीच नारा दे रहे हैं- 'लड़ेगा मैनपुरी, जीतेगा मैनपुरी'। जयवीर सिंह कहते हैं- 'लोग अच्छी प्रतिक्रिया दे रहे हैं।'

मैनपुरी का मैदान और सपा का झंडा

मैनपुरी सीट समाजवादी पार्टी का गढ़ कही जाती है। 1992 में बनी समाजपार्टी पार्टी ने पहली बार में ही यहां कब्जा जमा लिया। 1996 के लोकसभा चुनाव में मुलायम सिंह ने मैनपुरी से जीत हासिल की। उसके बाद 1998 और 1999 में बलराम सिंह यादव ने सपा का झंडा बुलंद किया। 2004 के लोकसभा चुनाव में मुलायम सिंह यादव फिर लौटकर मैनपुरी आए।

मुख्यमंत्री बनने पर मुलायम ने मैनपुरी में अपने भतीजे धर्मेंद्र यादव को विरासत को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी दी। 2004 के उपचुनाव में धर्मेंद्र यादव जीतकर संसद पहुंचे। 2009, 2014 और 2019 में मुलायम सिंह फिर यहां से चुने गए। बाद में जब मुलायम सिंह का निधन हुआ तो सहानुभूति की लहर में उनकी बहू और अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव जीत गईं, जो अभी भी यहां से सांसद हैं। मतलब ये कि 1992 के बाद से यहां मुलायम परिवार के अलावा दूसरा कोई जीत नहीं सका है। फिलहाल 2024 में डिंपल यादव को इसी ट्रेंड के सहारे जीत की उम्मीद होगी।

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Published April 16th, 2024 at 16:09 IST

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