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Updated September 2nd, 2023 at 16:22 IST

भारत के बिना मैथ-साइंस की कल्पना भी मुश्किल, शून्य देने वाला देश डिजर्व करता है आदित्य L1

उपनिवेश के दौर में जहां भारत पीछे रह गया, वहां हमारे वेदों और उपनिषदों के ज्ञान से पूरी दुनिया ने खुद को अग्रणी बना लिया।

Reported by: Nripendra Singh
Sun Mission Aditya L-1
Sun Mission Aditya L-1 | Image:self
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'जब जीरो दिया मेरे भारत ने, तब दुनिया को गिनती आई...' ये गाना तो आपने सुना ही होगा। आज भी ये गाना भारत की ताकत का परिचायक माना जाता है। आज जब स्पेस सेक्टर में भारत अपनी धाक जमा रहा है, तो ये गाना बरबस ही याद आ रहा है कि जिस देश की खोज ने दुनिया के लिए स्पेस का रास्ता खोजा, वो ऐसे मिशनों में काफी पीछे रह गया। 

खबर में आगे पढ़ें...

  • भारत ने दुनिया को सिखाया मैथ्स साइंस
  • उपनिवेश काल ने भारत को धकेला पीछे
  • भारत डिजर्व करता है आदित्य एल-1 और चंद्रयान जैसे मिशन

भारत के वेदों को लेकर दुनियाभर के वैज्ञानिकों का दावा है कि उन्होंने इसी की प्रेरणा से अपने खोज किए हैं। ऐसे में भारत इन मिशनों में काफी पीछे रह गया। इसके पीछे उपनिवेश का दौर बड़ा कारण माना जाता है। उपनिवेश के दौर ने भारत को काफी पीछे धकेल दिया। ऐसे में जिस देश ने दुनिया को गिनती सिखाई, जिसकी खोज के बाद दुनिया स्पेस में पहुंची वो आदित्य एल-1 जैसे मिशन तो डिजर्व करता ही है। 

भारत ने खोजा जीरो, तब दुनिया बनी हीरो

जीरो की खोज भारत में ही हुई है। इसे खोजने वाले को लेकर दो मत जरूर हैं, पर दोनों नाम भारतीय हैं। कई जगहों पर शून्य यानि जीरो के आविष्कार का मुख्य श्रेय भातीय विद्वान ब्रह्मगुप्त को दिया जाता है। उन्होंने ही 628 ईस्वी में शून्य के सिद्धांतों को पेश किया। हालांकि उनसे पहले भारत के महान गणतिज्ञ और ज्योतिषी आर्यभट्ट ने इसका प्रयोग किया जाता है। ऐसे में कई लोग आर्यभट्ट को शून्य का जनक मानते हैं। 

जीरो की ही खोज के बाद दुनिया ने 9 के आगे की गिनती शुरू की। आज जिस मिलियन, बिलियन या ट्रिलियन की चर्चा होती है, वो उसके पीछे सबसे बड़ा श्रेय भारत को जाता है। भारत के विद्वानों ने जिस जीरो को खोजा और उसे प्रतिपादित किया, उसी के कारण दुनिया ने चांद से लेकर सूर्य तक की दूरी को मापा।

भारत ने खोजा दशमलव 

जीरो के बाद भारत ने दुनिया को एक और बड़ी खोज की। ये थी सभी संख्याओं को व्यक्त करने की सबसे आसान विधि। इस विधि को हम दशमलव सिस्टम के नाम से जानते हैं। इस सिस्टम की खोज नोबल पुरस्कार विजेता चंद्रशेखर वेंकट रमण ने की थी। 28 दिसंबर 1956 को राष्ट्रपति ने दशमलव सिस्टम का अप्रूवल दिया। इसके बाद से आज तक दशमलव हमारे जीवन का अहम हिस्सा बन गया है। 

परमाणु के बारे में पहले ही महर्षि कणाद ने दी थी जानकारी

इसके बाद ही, दुनिया ने स्पेस के क्षेत्र में कदम रखा। आज जिन वैज्ञानिक सिद्धांतों को प्रतिपादित करके दुनिया अंतरिक्ष से लेकर दुनिया के अनसुलझे रहस्यों को सॉल्व कर रही है। उनके बारे में भारतीय ऋषि परंपरा के गुरुओं और संतों ने पहले ही जानकारी दे दी थी।

जैसे- जॉन डॉल्टन ने जिस पमाणु का सिद्धांत बताया था, उसके बारे में महर्षि कणाद ने पहले ही जानकारी दे दी थी। इसके साथ ही प्लास्टिक सर्जरी के बारे में सबसे पहले भारत में महर्षि सुश्रुत ने अपनी पुस्तक सुश्रुत संहिता में जानकारी दे दी थी।

भारत डिजर्व करता है आदित्य एल-1

साइंस के क्षेत्र में दुनिया के मार्गदर्शक बने भारत में ही इन सूत्रों को प्रतिपादित करने की क्षमता सबसे ज्यादा थी। उपनिवेश के दौर में जहां भारत पीछे रह गया, वहां हमारे वेदों और उपनिषदों के ज्ञान से पूरी दुनिया ने खुद को ताकतवर और अग्रणी बना लिया। 

ऐसे में आज जब भारत ने स्पेस के सेक्टर में अपना हाथ बढ़ाया, तो सफलता के रोज नए इतिहास लिख रहा है। पहले आर्यभट्ट, फिर भारत ने भास्कर 1, भास्कर 2, इनसैट-2B, IRS-1C और इनसैट-3B को लॉन्च किया।

यह भी पढ़ें: आजाद भारत के साइंस मिशन, दुनिया के पास नहीं है इनका कोई जवाब

सन् 2000 में भारत ने अपने लॉन्च व्हीकल PSLV को सफलतापूर्वक टेस्ट किया। इसके बाद भारत ने अपने अंतरिक्ष मिशनों से दुनिया को नया रास्ता दिखाया। 2008 में चंद्रयान-1 ने चांद पर पानी खोजा, तो 2013 में मंगलयान ने मंगल ग्रह के कई अनसुलझे रहस्यों से परदा उठाया। 

इसके बाद 2017 में भारत ने PSLV-C37 के साथ 104 सैटेलाइट को लॉन्च किया। 2019 में चंद्रयान-2 भेजा गया, हालांकि ये मिशन आंशिक रूप से असफल हो गया। इसके बाद महज चार सालों में ही भारत ने चंद्रयान-3 को लॉन्च किया, जिसने चांद के साउथ पोल पर सल्फर, एल्यूमिनियम, कैल्शियम, आयरन, क्रोमियम, टाइटेनियम, मैग्नीज, सिलिकॉन और ऑक्सीजन की खोज की।

अब भारत का सन मिशन आदित्य एल-1 सूर्य की परिधि के लिए रवाना हो गया।

यह भी पढ़ें: दुनिया के 'सन मिशन' से कितना अलग होगा ISRO का आदित्य एल-1? इस कारण से बेहद अहम

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Published September 2nd, 2023 at 16:18 IST

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