Updated November 13th, 2021 at 10:13 IST
पश्चिम बंगाल सरकार BSF क्षेत्राधिकार के खिलाफ पेश करेगी प्रस्ताव; भाजपा विधायक करेंगे विरोध
पश्चिम बंगाल सरकार ने BSF के अधिकार क्षेत्र को 15 से 50 किलोमीटर तक बढ़ाने के खिलाफ 17 नवंबर को राज्य विधानसभा में एक प्रस्ताव पेश करने का फैसला किया है।
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केंद्र सरकार के खिलाफ एक बार फिर ममता सरकार ने मोर्चा खोल दिया है। पश्चिम बंगाल (West Bengal) सरकार 17 नवंबर को राज्य विधानसभा में सीमा सुरक्षा बल (Border Security Force) के अधिकार क्षेत्र (West Bengal) को 15 किमी से बढ़ाकर 50 किमी करने के खिलाफ एक प्रस्ताव लाने का फैसला किया है। गृह मंत्रालय ने 11 अक्टूबर को एक अधिसूचना जारी कर बीएसएफ को पंजाब में अंतरराष्ट्रीय सीमा से 50 किलोमीटर के भीतर तलाशी, जब्ती और गिरफ्तारी की अनुमति दी थी। शुक्रवार को मीडिया से बात करते हुए पश्चिम बंगाल के संसदीय कार्य मंत्री पार्थ चटर्जी ने कहा है कि प्रस्ताव यह बताएगा कि यह नवीनतम कदम कैसे भारत के संघीय ढांचे पर प्रत्यक्ष हमला है।
सीएम ममता बनर्जी ने इस कदम का विरोध करते हुए केंद्र को पहले ही एक पत्र लिखा था। इधर, ममता बनर्जी पर हमला बोलते हुए भाजपा विधायक अग्निमित्र पॉल ने इसका विरोध किया है। बीएसएफ ने 12 नवंबर की सुबह सीताई में दो कथित बांग्लादेशी पशु तस्करों को गोली मारी थी, जिसमें दोनों तस्करों की मौत हो गई है।
भाजपा विधायक अग्निमित्र पॉल ने कहा, "संकल्प लाने का क्या मतलब है? पश्चिम बंगाल अब एक आतंकवादी केंद्र है। उन्होंने बाड़ लगाने के लिए 631 किमी जमीन क्यों नहीं दी है? सभी भाजपा विधायक प्रस्ताव का विरोध करेंगे।"
पंजाब विधानसभा में भी पेश हुआ प्रस्ताव
इससे पहले गुरुवार को पंजाब के डिप्टी सीएम सुखजिंदर सिंह रंधावा ने एक प्रस्ताव पेश किया, जिसमें 11 अक्टूबर को बीएसएफ से संबंधित केंद्र की अधिसूचना को खारिज करने की मांग की गई और इसे सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया है। प्रस्ताव में कहा गया है कि राज्य सरकार कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए पूरी तरह से सक्षम है। इस बात पर जोर देते हुए कहा कि केंद्र को बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र को बढ़ाने से पहले चरणजीत सिंह चन्नी के नेतृत्व वाली सरकार से परामर्श करना चाहिए था।
प्रस्ताव में कहा गया, "केंद्र सरकार द्वारा बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र को 15 किमी से बढ़ाकर 50 किमी करने का निर्णय राज्य पुलिस और पंजाब के लोगों के प्रति अविश्वास की अभिव्यक्ति है। यह उनका भी अपमान है। इतना बड़ा फैसला लेने से पहले राज्य सरकार से केंद्र सरकार को परामर्श करना चाहिए था। पंजाब में कानून-व्यवस्था की स्थिति पूरी तरह से नियंत्रण में है और बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र को बढ़ाने की कोई आवश्यकता नहीं है। यह भारत के संविधान में निहित संघवाद की भावना का घोर उल्लंघन है।"
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Published November 13th, 2021 at 10:11 IST
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