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Updated April 17th, 2024 at 19:26 IST

लंदन से पढ़ाई और विरासत में मिली राजनीति... इकरा हसन की सियासत में एंट्री की कहानी

इकरा हसन ने कहा कि उन्होंने दो साल पहले विधानसभा चुनाव अभियान से बहुत कुछ सीखा है। उस समय भाई नाहिद हसन मौजूद नहीं था। उन्हें झूठे मामले में फंसाया गया।

iqra munawwar hasan
इकरा हसन की सियासत में एंट्री की कहानी | Image:Facebook
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पूरी दुनिया को जब कोविड-19 महामारी ने अपनी चपेट में लिया तब हजारों छात्रों की तरह इकरा हसन 2021 में लंदन से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अपने गृह नगर कैराना लौट आईं। कभी शिक्षा के क्षेत्र में करियर बनाने की हसरत रखने वाली हसन (29) अब समाजवादी पार्टी के टिकट पर विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ की उम्मीदवार के रूप में लोकसभा चुनाव मैदान में हैं।

उनका मुकाबला भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के मौजूदा सांसद प्रदीप चौधरी से है जिन्होंने 2019 के आम चुनाव में उनकी मां तबस्सुम बेगम को हराया था। इकरा हसन की मां से पहले उनके पिता मुनव्वर हसन लोकसभा में कैराना का प्रतिनिधित्व करते थे। हसन के पिता का निधन हो चुका है और उनके भाई नाहिद हसन कैराना से विधायक हैं। कैराना में 19 अप्रैल को मतदान होना है और इकरा हसन के मामा ने बताया कि इकरा प्रचार में व्यस्त हैं।

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भाई के लिए किया प्रचार

इकरा के मामा बबलू चौधरी ने याद किया कि कैसे उनकी ‘‘मृदुभाषी और मजबूत इरादों वाली’’ भांजी ने 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में अपने भाई के लिए प्रचार किया था। उस वक्त इकरा के भाई जेल में थे। इसके बारे में पूछे जाने पर इकरा हसन ने कहा कि उन्होंने दो साल पहले विधानसभा चुनाव अभियान से बहुत कुछ सीखा है।

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पीएचडी करना चाहती थी इकरा 

इकरा हसन ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा,‘‘वह पहली बार था जब मैंने अभियान का नेतृत्व किया क्योंकि उस समय मेरा भाई मौजूद नहीं था। उन्हें झूठे मामले में फंसाया गया। इससे मुझे वास्तव में इस क्षेत्र को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिली। तब से मैं यहां के लोगों के साथ लगातार संपर्क में हूं और पिछले तीन वर्षों से यहीं हूं।’’ उन्होंने कहा,‘‘ मैं कड़ी मेहनत कर रही हूं और उम्मीद है कि लोग इसे देखेंगे और मुझे वोट देंगे।’’ हालांकि नेताओं के परिवार से आने का मतलब यह नहीं था कि राजनीति में आना उनकी स्वाभाविक पसंद थी।

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उन्होंने कहा,‘‘जैसा कि मैंने कहा कि मेरा परिवार राजनीति में था इसलिए मेरी हमेशा से इसमें रुचि थी, लेकिन इसमें शामिल होने में रुचि नहीं थी। मेरी थीसिस भी चुनाव सुधारों पर केन्द्रित है। मेरी रुचि का प्रमुख क्षेत्र राजनीति था लेकिन केवल शिक्षा में और मैं पीएचडी करके शिक्षा के क्षेत्र में करियर बनाना चाहती थी लेकिन नियति को कुछ और मंजूर था।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं शिक्षण के क्षेत्र, विशेषकर यहां महिलाओं के लिए उच्च शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करना चाहूंगी।’’

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(Note: इस भाषा कॉपी में हेडलाइन के अलावा कोई बदलाव नहीं किया गया है)

Published April 17th, 2024 at 19:26 IST

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