Updated March 28th, 2024 at 13:03 IST
'मां की उंगलियां पकड़ पहली बार पीलीभीत आया...अंतिम सांस तक', टिकट कटने पर क्यों भावुक हुए वरुण गांधी
Pilibhit News: मेनका गांधी या फिर वरुण गांधी 1989 से लगातार पीलीभीत से चुनाव लड़ते आ रहे हैं, लेकिन इस बार BJP ने यहां से जितिन प्रसाद को टिकट दिया है।
- इलेक्शंस
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Varun Gandhi News: उत्तर प्रदेश के पीलीभीत लोकसभा क्षेत्र का नेतृत्व इस बार वरुण गांधी नहीं कर पाएंगे। वो इसलिए कि भारतीय जनता पार्टी ने पीलीभीत से वरुण गांधी को इस बार मौका नहीं दिया है। हालांकि अभी बीजेपी के सांसद वरुण गांधी ने पीलीभीत की जनता के नाम अपना संदेश भेजा है। वरुण गांधी ने पीलीभीत की जनता के लिए एक चिट्ठी लिखी है और कहा कि वो आजीवन सेवा करते रहेंगे।
पीलीभीत लोकसभा सीट से बीजेपी पार्टी से टिकट ना मिल पाने के बाद वरुण गांधी के निर्दलीय चुनाव लड़ने की अटकलों पर पूर्ण विराम लग चुका है। क्योंकि नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख निकल चुकी है। इसी के साथ उनको लेकर चल रही तमाम अटकलें और कयासबाजी खत्म हो चुकी हैं। हालांकि वरुण गांधी ने कहा है कि उनका पीलीभीत से रिश्ता अंतिम सांस तक खत्म नहीं हो सकता।
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अनगिनत यादों ने मुझे भावुक कर दिया है: वरुण
वरुण गांधी ने अपनी चिट्ठी में लिखा है- 'आज जब मैं यह पत्र लिख रहा हूं, तो अनगिनत यादों ने मुझे भावुक कर दिया है। मुझे वो 3 साल का छोटा सा बच्चा याद आ रहा है जो अपनी मां की उंगली पकड़ कर 1983 में पहली बार पीलीभीत आया था, उसे कहां पता था एक दिन ये धरती उसकी कर्मभूमि और यहां के लोग उसका परिवार बन जाएंगे। मैं खुद को सौभाग्यशाली मानता हूं कि मुझे सालों पीलीभीत की जनता की सेवा करने का मौका मिला। महज एक सांसद के तौर पर ही नहीं, बल्कि एक व्यक्ति के तौर पर भी मेरी परवरिश और मेरे विकास में पीलीभीत से मिले आदर्श, सरलता और सहृदयता का बहुत बड़ा योगदान है। आपका प्रतिनिधि होना मेरे जीवन का सबसे बड़ा सम्मान रहा है और मैंने हमेशा अपनी पूरी क्षमता से आपके हितों के लिए आवाज उठाई।'
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'पीलीभीत से रिश्ता अंतिम सांस तक खत्म नहीं होगा'
उन्होंने चिट्ठी में आगे लिखा- 'एक सांसद के तौर पर मेरा कार्यकाल भले समाप्त हो रहा हो, पर पीलीभीत से मेरा रिश्ता अंतिम सांस तक खत्म नहीं हो सकता। सांसद के रूप में नहीं तो बेटे के तौर पर सही, मैं आजीवन आपकी सेवा के लिए प्रतिबद्ध हूं और मेरे दरवाजे आपके लिए हमेशा पहले जैसे ही खुले रहेंगे। मैं राजनीति में आम आदमी की आवाज उठाने आया था और आज आपसे यही आशीर्वाद मांगता हूं कि सदैव ये कार्य करता रहूं, भले ही उसकी कोई भी कीमत चुकानी पड़े।' आखिरी में वरुण गांधी ने लिखा- 'मेरा और पीलीभीत का रिश्ता प्रेम और विश्वास का है, जो किसी राजनीतिक गुणा- भाग से बहुत ऊपर है। मैं आपका था, हूं और रहूंगा।'
मेनका गांधी का गढ़ रही है पीलीभीत सीट
पीलीभीत सीट मेनका और वरुण गांधी की पारंपरिक सीट रही है। मेनका गांधी या फिर वरुण 1989 से लगातार पीलीभीत से चुनाव लड़ते आ रहे हैं, लेकिन इस बार दोनों में से कोई भी यहां से मैदान में नहीं है। मेनका ने 1989 में जनता दल के टिकट पर इस सीट से जीत हासिल की थी। 1996 में एक बार फिर जनता दल के टिकट पर वो संसद पहुंचीं। 1998 और 1999 में मेनका गांधी ने यहां से निर्दलीय चुनाव जीता। इसके बाद मेनका गांधी ने 2004 और 2014 में बीजेपी उम्मीदवार के तौर पर जीत हासिल की। मेनका के बेटे वरुण गांधी ने 2009 और 2019 में बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ा और लोकसभा पहुंचे थे।
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इस बार बीजेपी ने दिया जितिन प्रसाद को टिकट
भारतीय जनता पार्टी ने वरुण गांधी की जगह इस बार लोकसभा चुनाव में राज्य सरकार के मंत्री जितिन प्रसाद को पीलीभीत से उम्मीदवार बनाया है। जितिन प्रसाद ने बुधवार को इस सीट से नामांकन दाखिल किया। हालांकि तीन दशकों से अधिक समय में ये पहला मौका है, जब मां-बेटे (मेनका गांधी और वरुण गांधी) की जोड़ी पीलीभीत से चुनाव मैदान में नहीं होगी।
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Published March 28th, 2024 at 12:07 IST
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