Updated May 8th, 2024 at 22:54 IST
एसिड अटैक पीड़िताओं ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा क्यों खटखटाया? बायोमेट्रिक पहचान को लेकर छलका दर्द
एसिड अटैक पीड़िताओं ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा क्यों खटखटाया? बायोमेट्रिक पहचान न पाने को लेकर छलका दर्द
- देश
- 2 मिनट रीड
Advertisement
Acid Attack Victim: एसिड अटैक से पीड़ित को न सिर्फ शारीरिक बल्कि मानसिक, भावनात्मक और सामाजिक रूप से भी बड़ी तकलीफों का सामना करना पड़ता है। ये तकलीफ तब और भी बढ़ जाती है जब एक पीड़िता को अपना पहचान बचान बताने या फिर केवाईसी कराना में दिक्कत का सामना करना पड़े, ऐसी ही तकलीफों को झेल रही एसिड अटैक से पीड़ित नौ युवतियो ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है और अपने जैसी सैंकड़ों पीड़िताओं की डिजिटल केवाईसी कराने की मांग सुप्रीम कोर्ट से की है।
एसिड अटैक से पीड़ित इन महिलाओं ने अपनी अर्जी में दलील दी है कि एसिड अटैक के बाद उनकी हाथों की अंगुलियों, आंखों की पुतलियों और अन्य बायोमेट्रिक पहचान का स्थाई रूप से नुकसान पहुंचा है। जिसकी वजह से बैंक खाता खोलने, आधार कार्ड बनवाने, संपत्ति को रजिस्ट्री कराने और अपडेट करने साथ ही मोबाइल सिम कार्ड खरीदने जैसी स्थिति में बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
Advertisement
पलकें झपकाने, उंगलियों के निशान देने में दिक्कत
केवाईसी की प्रक्रिया में पुतलियों की डिजिटल डिटेलिंग और जीवित होने का प्रमाण देने के लिए पलकें झपकाना, उंगलियों के निशान आदि लेना कई बार नामुमकिन होता है। लिहाजा सुप्रीम कोर्ट से अपील की जा रही है कि कोर्ट केंद्र सरकार को आदेश देकर हमारी मुश्किल और मजबूरी को देखते हुए डिजिटल केवाईसी की समावेशित और वैकल्पिक प्रक्रिया अपनाई जाए। इसके लिए केन्द्र सरकार बैंक और अन्य सभी संबंधित निकायों और प्राधिकरणों के लिए गाइडलाइन जारी करने की अपील भी की जा रही है।
Advertisement
सुप्रीम कोर्ट ने पहले से दिए हैं ये आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने एसिड अटैक को रोकने के लिए राज्य और केंद्र की सरकारों को आदेश दिए हुए हैं कि एसिड की बिक्री को रेगुलेट करने के लिए सख्त कानून बनाएं और एडिट अटैक की पीड़िता को इलाज के लिए 3 लाख रुपए का मुआवजा दिया जाए।
Advertisement
यह भी पढ़ें : CCTV: बदमाश ने मंदिर में पूजा कर दिया वारदात को अंजाम, घर में फेंके 2 बम...फायरिंग करते हुए फरार
10 साल से लेकर उम्रकैद तक की है सजा
एक्ट की बात की जाए तो आईपीसी धारा 326 ए के तहत किसी व्यक्ति ने अगर जानबूझकर किसी पर तेजाब फेंका और स्थाई रूप से उसे नुकसान पहुंचाया है तो इसे गंभीर अपराध की श्रेणी में माना जाता है। यह अपराध गैर जमानती होता है। वहीं दोषी पाए जाने पर कम से कम 10 साल या फिर उम्रकैद तक की सजा भी हो सकती है।
यह भी पढ़ें : 'क्या देश बना दिया था? बुलेटप्रूफ जैकेट तक नहीं थे, आज भारत निर्यात कर रहा', नड्डा का विपक्ष पर हमला
Advertisement
Published May 8th, 2024 at 22:54 IST
आपकी आवाज. अब डायरेक्ट.
अपने विचार हमें भेजें, हम उन्हें प्रकाशित करेंगे। यह खंड मॉडरेट किया गया है।