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Updated November 9th, 2018 at 17:09 IST

उमर अब्दुल्ला ने सरकार को घेरा, पूछा- 'जब तालिबान से वार्ता हो सकती है तो हुर्रियत से क्यों नहीं ?'

जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने 'मॉस्को वार्ता सम्मेलन' में शामिल होने पर केंद्र सरकार से सवाल पूछा है.

Reported by: Ayush Sinha
| Image:self
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जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने रूस द्वारा आयोजित 'मॉस्को वार्ता सम्मेलन' में शामिल होने पर केंद्र सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है. दरअसल इस वार्ता में अफगान तालिबान के प्रतिनिधि भी मौजूद होंगे. रूस द्वारा आयोजित इस बैठक में तालिबान प्रतिनिधि को शामिल करने और तालिबान के साथ वार्ता में भारत के शामिल होने पर उमर अब्दुल्ला ने सवाल पूछा है.

हालांकि इस मसले पर जवाब देते हुए विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी किया है. जिसमें कहा गया है कि बैठक में उनकी भागीदारी गैर-आधिकारिक स्तर पर होगी.

अब्दुल्ला ने मोदी सरकार से सवाल किया है कि यदि तालिबान के साथ वार्ता शुरू की जा सकती है तो घाटी में हुर्रियत के साथ बातचीत क्यों नहीं की जा सकती? 

उमर अब्दुल्ला ने अपने ट्वीट में लिखा है कि 'यदि एक वार्ता में 'अनौपचारिक' भागीदारी जिसमें तालिबान शामिल है, मोदी सरकार को मंजूर है तो जम्मू-कश्मीर के गैर-मुख्यधारा के हित-धारकों के साथ एक 'गैर-आधिकारिक' वार्ता क्यों नहीं हो सकती? सरकार जम्मू-कश्मीर की कमजोर हुई स्वायत्तता और इसकी बहाली पर केंद्रित एक 'गैर-आधिकारिक' वार्ता क्यों नहीं शुरू करती?' 


अब्दुल्ला के इस सवाल का जवाब देते हुए जम्मू-कश्मीर के पूर्व उपमुख्यमंत्री कविंदर गुप्ता ने उनके दावों को खारिज कर दिया है.

कविंदर गुप्ता ने कहा, "अतीत में हुर्रियत के साथ संवाद आयोजित किए गए हैं, लेकिन जहां तक ​​कश्मीर में हुर्रियत का व्यवहार है, उसे बदलने की जरूरत है. कुछ मानदंडों को स्थापित करने की जरूरत है. वार्ता आयोजित करते समय उन्हें संविधान का पालन करना आवश्यक है. भारत ने बातचीत के लिए कोशिशें की हैं. यहां तक ​​कि अटल बिहारी वाजपेयी जी की सरकार में भी वार्ता की कोशिश की गई थी. अब्दुल्ला फिज़ूल का आरोप लगा रहे हैं. सरकार ने हुर्रियत के साथ बातचीत से इनकार नहीं किया है."

बता दें, 'मॉस्को वार्ता सम्मेलन' में शामिल होने के लिए रूस ने भारत के साथ-साथ चीन, संयुक्त राज्य अमेरिका, पाकिस्तान, इरान, कजाकिस्तान, किर्जिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उजबेकिस्तान सहित अन्य देशों को भी निमंत्रण भेजा है.

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Published November 9th, 2018 at 17:09 IST

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