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Updated May 4th, 2024 at 18:01 IST

...तो क्या सच में कोरोना वैक्सीन से हार्ट अटैक का खतरा? आपने भी लगवाई है कोविशील्ड तो जानना जरूरी

Corona Vaccine Covishield: कोरोना वैक्सीन कोविशील्ड बनाने वाली कंपनी एस्‍ट्राजेनेका के कबूलनामे ने दुनियाभर के लोगों की टेंशन बढ़ा दी है।

Reported by: Digital Desk
Edited by: Kunal Verma
COVID-19
प्रतीकात्मक तस्वीर | Image:Shutterstock
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Corona Vaccine Covishield: कोरोना वैक्सीन कोविशील्ड को लेकर एस्‍ट्राजेनेका के कबूलनामे ने दुनियाभर के लोगों की टेंशन बढ़ा दी है। ऊपर से विपक्ष इस बात को इतनी हवा दे रहा है मानो उसका मकसद केवल आग भड़काना रह गया है। उसे लोगों के मेंटल हेल्थ से कोई लेना-देना नहीं। ऐसे में हम आपको आज ये बताने वाले हैं कि क्या कोरोना वैक्सीन सच में हार्ट अटैक की संभावना को बढ़ा देता है? आइए जानते हैं।

कोरोना वैक्सीन से हार्ट अटैक का कितना खतरा?

एस्‍ट्राजेनेका ने कबूला है कि उसके कोरोना वैक्सीन से खून का थक्का बन सकता है और वो भी काफी दुर्लभ मामलों में। इसमें हार्ट अटैक जैसे कोई साइड इफेक्ट नहीं बताए गए हैं। हालांकि, जिस वक्त वैक्सीन लोगों को दी जा रही थी, उस वक्त भी बताया गया था कि वैक्सीन कोरोना से लोगों की रक्षा के लिए लगाई जा रही है, यह किसी अन्य बीमारी से लोगों को इम्यून नहीं करती।

इसके अलावा पिछले दिनों केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने इस बात की पुष्टि की कि ICMR ने एक विस्तृत अध्ययन में इस बात का पता लगाया है कि दिल के दौरे के लिए कोविड-19 वैक्सीन जिम्मेदार नहीं है, और किसी व्यक्ति की जीवनशैली और अत्यधिक शराब पीने जैसे कारक हार्ट अटैक का कारण बन सकते हैं। ऐसे में ये तो साफ है कि भारत में जितने लोगों को वैक्सीन लगाई गई है, अगर उन्हें हार्ट अटैक आता भी है तो इसका कारण वैक्सीन नहीं, बल्कि उनकी लाइफस्टाइल हो सकती है।

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केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने इस बात को बेहतर समझाया था

मनसुख मंडाविया ने कहा था कि कोविड-19 टीकों के बारे में गलतफहमियां पैदा करने की कोशिश की गई है। उन्होंने कहा- 'अगर आज किसी को स्ट्रोक होता है, तो कुछ लोग सोचते हैं कि यह कोविड वैक्सीन के कारण हुआ है। ICMR ने इस पर विस्तृत अध्ययन किया है। कोविड वैक्सीन दिल के दौरे के लिए जिम्मेदार नहीं है। दिल का दौरा पड़ने के कई कारण होते हैं, जैसे हमारी जीवनशैली, तंबाकू और अधिक शराब का सेवन। कई बार लोगों के बीच गलत जानकारी चली जाती है और कुछ समय के लिए एक धारणा बन जाती है, लेकिन हम जो भी निर्णय लें, वह डेटा-आधारित और वैज्ञानिक अनुसंधान-आधारित होना चाहिए।'

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Published May 4th, 2024 at 18:01 IST

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