Updated April 23rd, 2024 at 22:44 IST
Paris Olympics:मानदंडों को पूरा नहीं करने के बावजूद ओलंपिक ट्रायल में शॉटगन निशानेबाज को मिली अनुमति
पेरिस ओलंपिक के चयन ट्रायल के मानदंडों को लेकर अदालती लड़ाई लड़ रहे भारतीय राष्ट्रीय राइफल संघ ने हाल ही में एक निशानेबाज के लिए नियमों में बदलाव किया है।
- स्पोर्ट्स
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Paris Olympics: पेरिस ओलंपिक के चयन ट्रायल के मानदंडों को लेकर आदलती लड़ाई लड़ रहे भारतीय राष्ट्रीय राइफल संघ (एनआरएआई) ने हाल ही में एक निशानेबाज के लिए नियमों में बदलाव किया है, जिसे कम स्कोर के बावजूद ट्रायल में भाग लेने की अनुमति मिल गई है।
ट्रैप निशानेबाज करण शॉटगन चयन ट्रायल के लिए एनआरएआई के मानदंड से दो अंकों से चूक गए, लेकिन उन्हें प्रतिस्पर्धा करने की अनुमति दी गई। इसके उलट पिछले साल की राष्ट्रीय चैंपियनशिप के दौरान समान स्कोर हासिल करने वाले कई अन्य निशानेबाजों के नामों पर विचार नहीं किया गया।
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एनआरएआई ने नवंबर में जारी एक परिपत्र में ‘शॉटगन चयन मानदंड 2024 और शॉटगन स्पर्धा के लिए ओलंपिक चयन मानदंड 2024 के अनुसार चयन ट्रायल’ की घोषणा की थी। इसमें कहा गया है कि 66वीं राष्ट्रीय चैंपियनशिप (अक्टूबर-नवंबर, 2023) के दौरान सीनियर पुरुष ट्रैप में 110 स्कोर वाले निशानेबाज दिसंबर, 2023 से मार्च 2024 के बीच आयोजित अभ्यास के लिए पात्र होंगे।
सेना के निशानेबाज करण ने राष्ट्रीय चैंपियनशिप में 108 का स्कोर बनाया। एनआरएआई ने उन्हें ट्रायल में भाग लेने की अनुमति दे दी जबकि इसी तरह का स्कोर करने वाले 12 से ज्यादा निशानेबाजों के नाम पर विचार नहीं किया गया। करण चार चयन ट्रायल की श्रृंखला में वर्तमान में 15वें स्थान पर है और वह राष्ट्रीय टीम में भी जगह बनाने में विफल रहे हैं। एनआरएआई सचिव राजीव भाटिया ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि चूंकि करण एक ‘उभरता हुआ’ निशानेबाज है और उनके लिए ‘सिफारिश सेना से आई थी’। ऐसे में उनके लिए एक अपवाद बनाया गया था।
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उन्होंने कहा, ‘‘हमने एक अपवाद दिया क्योंकि वह एक उभरता हुआ, अच्छा निशानेबाज है। केवल दो अंकों का अंतर था और वह अच्छे स्कोर बना रहा है। यही कारण है कि हमने विश्व कप, विश्व चैंपियनशिप और कुछ (ओलंपिक ) अन्य प्रतियोगिताओं के ट्रायल में उसे शामिल किया है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम केवल ‘लकीर के फकीर (नियम पुस्तिका )’ नहीं बन सकते । सेना की ओर से उसे (राष्ट्रीय ट्रायल के लिए) अनुमति देने की सिफारिश की गई थी क्योंकि उसने राष्ट्रीय खेलों (गोवा में) में बहुत अच्छा प्रदर्शन किया था।
करण ने गोवा में हुए राष्ट्रीय खेलों में सेना खेल संवर्धन बोर्ड का प्रतिनिधित्व किया था लेकिन इसमें भी वह फाइनल में पहुंचने के बाद सबसे आखिरी यानी छठे स्थान पर रहे थे। एनआरएआई दिल्ली उच्च न्यायालय में कुछ ओलंपिक दावेदारों के साथ कानूनी लड़ाई में फंसा हुआ है, जहां वह इस बात पर जोर दे रहा है कि राइफल और पिस्टल में शीर्ष पांच निशानेबाजों से अधिक को मौजूदा ट्रायल में अनुमति नहीं दी जाएगी।
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भाटिया ने हालांकि कहा कि ट्रायल में अपवाद देने का मतलब यह नहीं है कि उन्हें विश्व कप और विश्व चैंपियनशिप जैसी अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के लिए राष्ट्रीय टीम में चुना गया है। जब भाटिया से पूछा गया कि क्या करण को विश्व कप के लिए चुना गया था तो उन्होंने कहा, ‘‘नहीं’, हमने उसे सिर्फ एक मौका दिया था।’’ उन्होंने एनआरआई के इस फैसले का बचाव करते हुए कहा, ‘‘हर राज्य निशानेबाजों को (ट्रायल में) शामिल करने की सिफारिश करता है, और हम योग्यता के आधार पर फैसला करते हैं। एक निशानेबाज किसी प्रतियोगिता में खराब स्कोर बना सकता है। कोई भी खिलाड़ी किसी विशेष दिन खराब स्कोर कर सकता है।
एनआरएआई ने हालांकि बाद में दावा किया कि निशानेबाज को ट्रायल में शामिल करने के लिए नियमों में कोई बदलाव नहीं किया गया था। उन्होंने बताया कि करण ने राष्ट्रीय खेल 2023 में 117 का स्कोर हासिल किया था और यह एनआरएआई से मान्यता प्राप्त किसी प्रतियोगिता के लिए 110 के कट ऑफ से ज्यादा था। एनआरएआई ने कहा कि उनकी नीति के अनुसार, ‘तीन प्रकार की प्रतियोगिताओं के परिणाम पर विचार किया जा सकता है। इसमें 66वीं राष्ट्रीय चैंपियनशिप, दिग्विजय सिंह मेमोरियल प्रतियोगिता और एनआरएआई के शासी निकाय द्वारा मान्यता प्राप्त कोई अन्य प्रतियोगिता (जो राष्ट्रीय खेल हैं)।’’ एनआरएआई के पहले के परिपत्र में हालांकि ओलंपिक ट्रायल के मानदंड के रूप में राष्ट्रीय खेलों या दिग्विजय सिंह मेमोरियल का उल्लेख नहीं किया गया था।
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(Note: इस भाषा कॉपी में हेडलाइन के अलावा कोई बदलाव नहीं किया गया है)
Published April 23rd, 2024 at 22:44 IST
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