अपडेटेड 10 February 2025 at 11:22 IST

समय से पहले मणिपुर में चाल बदली! अभी बीरेन सिंह के इस्तीफे से काम चला, झेलना पड़ सकता था बीजेपी को बड़ा नुकसान... समझिए कैसे

Manipur News: मणिपुर में 2022 में बीजेपी के 32 विधायक जीतकर आए थे और बाद में जदयू के 5 विधायकों ने दामन थामा था, जिससे संख्याबल 37 पहुंचा।

Follow : Google News Icon  
N Biren Singh Resignation
मणिपुर में एन बीरेन सिंह ने इस्तीफा दिया. | Image: Facebook

N Biren Singh: अशांत मणिपुर में एन बीरेन सिंह का अचानक मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा शायद भारतीय जनता पार्टी के लिए भी समय की जरूरत बन चुका था। वो इसलिए कि मणिपुर में बीजेपी के भीतर बगावत आखिरी छोर पर खड़ी हो चुकी थी। बस हल्की सी ढील भारतीय जनता पार्टी को बड़ा नुकसान कर सकती थी। खैर, अभी बीजेपी हाईकमान की कोशिश बागी विधायकों को साधने के साथ मणिपुर विधानसभा के अंदर अपनी ताकत को बनाए रखने की होगी।

तकरीबन 4 महीने पहले प्रधानमंत्री मोदी को बीरेन सिंह के खिलाफ पत्र लिखने वाले 19 बीजेपी विधायक थे, जिस पर विधानसभा अध्यक्ष थोकचोम सत्यव्रत सिंह, मंत्री थोंगम विश्वजीत सिंह और युमनाम खेमचंद सिंह के भी हस्ताक्षर थे। इससे बीजेपी के अंदर की बगावत का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। फिलहाल एन बीरेन सिंह के इस्तीफे के अगले दिन मणिपुर की राजनीति में हलचल जरूर है, लेकिन बीजेपी के लिए मणिपुर के अंदर की अशांति को शांत करने का भी मौका होगा। सूत्र बताते हैं कि बीजेपी आलाकमान बागी विधायकों, जिनमें 10 कुकी विधायक भी शामिल हैं, उनके साथ समन्वय कर रहा है। 10 कुकी विधायकों को बातचीत के लिए एक खास स्थान पर बुलाए जाने की संभावना है।

समय से पहले मणिपुर में चाल बदली!

अहम ये है कि एन बीरेन सिंह भी समय से पहले ही मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के लिए राजी हुए। वैसे इस्तीफे से पहले बीरेन सिंह का दिल्ली जाना हुआ था, जहां मौजूदा समय में बीजेपी के नीति निदेशक माने जाते वाले अमित शाह के साथ बैठक हुई थी। दिल्ली के लौटने के बाद ही एन बीरेन सिंह का इस्तीफा हुआ है। हालांकि इसके पीछे की वजह भी जरूर रही है। इसको पार्टी में बगावत, सुप्रीम कोर्ट की जांच और विधानसभा सत्र में कांग्रेस की बड़ी तैयारी के सामने एक मजबूरी भी समझा जा सकता है।

मणिपुर विधानसभा में सीटों का समीकरण

मणिपुर की विधानसभा में कुल सदस्यों की संख्या 60 है। वैसे तो बीजेपी के पास अच्छा खासा संख्याबल है और मैतई के साथ साथ कुकी समुदाय के विधायक भी पास हैं। 2022 में बीजेपी के 32 विधायक जीतकर आए थे और बाद में जदयू के 5 विधायकों ने दामन थामा था, जिससे संख्याबल 37 पहुंचा। इसके अलावा बीजेपी को नगा पीपुल्स फ्रंट के 5 और तीन निर्दलीय विधायकों का समर्थन भी मिला।

Advertisement

यह भी पढ़ें: एन बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद मणिपुर का अगला सीएम कौन?

झेलना पड़ सकता था बीजेपी को बड़ा नुकसान!

एन बीरेन सिंह के मुख्यमंत्री पद पर बने रहने से बीजेपी को आने वाले समय में बड़ा नुकसान झेलना पड़ सकता है। वो ऐसे कि 10 फरवरी से मणिपुर विधानसभा का सत्र शुरू होने वाला था, जहां कांग्रेस की सदन में अविश्वास प्रस्ताव लाने की जबरदस्त तैयारियों की चर्चा थी। हालांकि बीजेपी के लिए मुसीबत की बात ये थी कि 19 के करीब बीजेपी के विधायक एन बीरेन सिंह के खिलाफ थे और इससे अविश्वास प्रस्ताव लाने की दिशा में कांग्रेस मजबूत होती। नतीजन बीरेन सिंह को उस समय भी कुर्सी छोड़नी पड़ती। फिलहाल बीरेन सिंह के इस्तीफे से बीजेपी ने सदन के भीतर कांग्रेस के जीतने की गुंजाइश को खत्म कर दिया है और साथ ही अशांत मणिपुर को भी बड़ा संदेश दे दिया है।

Advertisement

मणिपुर में मैतई और कुकी समुदाय के बीच बैर क्यों हुआ?

मणिपुर की कुल आबादी 38 लाख के करीब बताई जाती है, जिसमें 53 प्रतिशत मैतई समुदाय के लोग हैं, जो अधिकतर इंफाल घाटी में रहते हैं। प्रदेश में नागा और कुकी समुदाय की आबादी 40 प्रतिशत के आसपास बताई जाती है, जिनमें ज्यादा लोग पहाड़ी जिलों में रहते हैं। मणिपुर में मैतई और कुकी समुदाय के बीच जातीय बैर है, जिसने मई 2023 में हिंसा का रूप धारण किया। मैतई ज्यादातर हिंदू हैं और नागा के साथ कुकी समुदाय के लोग ईसाई धर्म को मानते हैं।

600 से ज्यादा दिन मैतई और कुकी समुदाय के बीच भड़की हिंसा को हो चुके हैं। आरक्षण के मसले से इस हिंसा की शुरुआत हुई थी। मैतई समुदाय खुद को अनुसूचित जाति- ST में शामिल कराने के पक्ष में था। इस पर फैसला अदालत की तरफ से आया था, जिसने मैतई समुदाय को अनुसूचित जाति- ST में हिस्सा बनाने के लिए केंद्र सरकार को सिफारिश भेजने को कहा था। हालांकि नागा और कुकी समुदाय के लोग मैतई समुदाय को अनुसूचित जाति- ST में शामिल के विरोध में खड़े थे। ये विरोध बाद में जातीय और धर्म की हिंसा में बदल गया, जिसमें सैकड़ों लोग बेमौत मारे गए हैं।

विवादों में घिरा रहा एन बीरेन सिंह का कार्यकाल

एन बीरेन सिंह का मुख्यमंत्री के तौर पर दूसरा कार्यकाल विवादों में घिरा रहा है। सबसे बड़ा विवाद 2023 में मणिपुर में शुरू हुई जातीय हिंसा है, जिसमें उनकी कुर्सी भी चली गई है। वैसे राजनीति से पहले बीरेन सिंह एक फुटबॉल खिलाड़ी रहे, जिन्होंने नेशनल लेवल तक अपनी प्रतिभा दिखाई। वो पत्रकार भी रहे। बीरेन सिंह ने डेमोक्रेटिक रिवोल्यूशनरी पीपुल्स पार्टी से अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की। वहां से कांग्रेस होते हुए वो बीजेपी में आए थे। 2017 में बीजेपी ने बीरेन सिंह पर विश्वास जताते हुए मुख्यमंत्री बनाया और उसके बाद 2022 में इसी भरोसे को बरकरार रखते हुए कुर्सी दी।

यह भी पढ़ें: मणिपुर हिंसा: बीरेन सिंह ने 31 दिसंबर को मांगी माफी और 9 फरवरी को दिया इस्तीफा

Published By : Dalchand Kumar

पब्लिश्ड 10 February 2025 at 11:22 IST