Updated March 29th, 2024 at 19:30 IST
मुख्तार अंसारी की मौत पर सियासत कर रहे विपक्ष को अनुराग ठाकुर ने कहा- हर बात पर राजनीति ठीक नहीं
Mukhtar Ansari Heart Attack : अनुराग ठाकुर ने कहा कि सपा, कांग्रेस और बसपा बताए कि मुख्तार अंसारी को कौन संरक्षण देता था? ऐसी घटनाओं पर राजनीति नहीं करनी चाहिए।
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Mukhtar Ansari Death : पूर्वांचल के जिलों में आतंक का पर्याय बने गैंगस्टर और नेता मुख्तार अंसारी का गुरुवार को बांदा के एक अस्पताल में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। मुख्तार अंसारी की मौत के साथ ही अपराध के एक युग और राजनीति के साथ उसके गठजोड़ के अध्याय का अंत हो गया। मुख्तार अंसारी के खिलाफ हत्या से लेकर जबरन वसूली तक 65 मामले दर्ज थे, फिर भी वह अलग-अलग राजनीतिक दलों के टिकट पर पांच बार विधायक चुना गया।
गैंगस्टर से नेता बने मुख्तार अंसारी की मौत पर केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर का बयान भी सामने आया है। ठाकुर ने कहा कि मेडिकल जांच हो चुकी है। न्यायिक जांच की मांग होगी तो वो भी हो जाएगी। आज कल 25 साल के युवा या 35 साल के लोगों को भी आर्ट अटैक आ जाता है। मुख्तार की मौत पर विपक्ष के सवाल उठाने पर अनुराग ठाकुर ने कहा कि सपा, कांग्रेस और बसपा बताए कि उन्हें कौन संरक्षण देता था? ऐसी घटनाओं पर राजनीति नहीं करनी चाहिए।
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तबादले के लिए अफसर करते थे सिफारिशें
सपा-बसपा सरकारों में मुख्तार अंसारी की ऐसी तूती बोलती थी कि जेल भी उसके लिए घर की तरह हो गए थी। आरोप है कि जिन अफसरों ने जेल में उस पर सख्ती करने की कोशिश की, एसपी और बीएसपी की सरकारों ने उनका ही तबादला कर दिया। कई पूर्व पुलिस अफसरों ने पहले भी आरोप लगाया था कि जेल के अंदर उसे सभी तरह कि सुविधाएं मिलती थी। खाने-पीने, टीवी, फोन की हर सुविधा मौजूद मुख्तारी अंसारी के लिए जेल में रहती थी। यहां तक कि उससे मिलने जुलने वालों का भी हिसाब नहीं रखा जाता था। कहा जाता है कि अफसर भी अपने तबादले के लिए मुख्तार से सिफारिशें करवाते थें।
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सैदपुर थाने में दर्ज हुआ पहला मुकदमा
साल 1963 में एक प्रभावशाली परिवार में जन्मे मुख्तार अंसारी ने राज्य में पनप रहे सरकारी ठेका माफियाओं में खुदको और अपने गिरोह को स्थापित करने के लिए अपराध की दुनिया में प्रवेश किया। साल 1978 की शुरुआत में महज 15 साल की उम्र में अंसारी ने अपराध की दुनिया में कदम रखा। अंसारी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 506 (आपराधिक धमकी) के तहत गाजीपुर के सैदपुर थाने में पहला मामला दर्ज किया गया था।
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करीब एक दशक बाद 1986 में, जब तक वह ठेका माफियाओं के बीच एक जाना-पहचाना चेहरा बन चुका था, तब तक उसके खिलाफ गाजीपुर के मोहम्मदाबाद थाने में भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या) के तहत एक और मामला दर्ज हो चुका था। अगले एक दशक में वह अपराध की दुनिया में कदम जमा चुका था और उसके खिलाफ जघन्य अपराध के तहत कम से कम 14 और मामले दर्ज हो चुके थे।
1996 में पहला चुनाव
हालांकि अपराध में बढ़ता अंसारी का कद राजनीति में उसके प्रवेश में बाधा नहीं बना। अंसारी पहली बार 1996 में मऊ से बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के टिकट पर विधायक चुना गया था। उसने 2002 और 2007 के विधानसभा चुनावों में एक निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में इस सीट पर अपनी जीत का सिलसिला कायम रखा। साल 2012 में अंसारी ने कौमी एकता दल (क्यूईडी) बनाया और मऊ से फिर से जीत हासिल की। 2017 में फिर मऊ से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। साल 2022 में मुख्तार ने अपने बेटे अब्बास अंसारी के लिए सीट खाली कर दी, जो सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के टिकट पर इस सीट से जीते।
19 साल से जेल में था मुख्तार
मुख्तार पिछले 19 सालों से उत्तर प्रदेश और पंजाब की अलग-अलग जेलों में बंद रहा। साल 2005 से जेल में रहते हुए उसके खिलाफ हत्या और गैंगस्टर अधिनियम के तहत 28 मामले दर्ज थे और सितंबर 2022 से आठ आपराधिक मामलों में उसे दोषी ठहराया गया था। फिलहाल मुख्तार अंसारी पर अलग-अलग अदालतों में 21 मुकदमे लंबित थे।
करीब 37 साल पहले धोखाधड़ी से हथियार लाइसेंस प्राप्त करने के एक मामले में इस महीने की शुरुआत में वाराणसी की सांसद/विधायक अदालत ने उन्हें आजीवन कारावास और 2.02 लाख रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई थी। सितंबर 2022 से लेकर पिछले 18 महीनों में यह आठवां मामला था, जिसमें उसे उत्तर प्रदेश की विभिन्न अदालतों ने सजा सुनाई थी और दूसरा मामला जिसमें उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।
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(भाषा इनपुट के साथ रिपब्लिक भारत डेस्क)
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Published March 29th, 2024 at 19:30 IST
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