अपडेटेड 20 September 2025 at 15:01 IST
EXPLAINER/ व्हाइट हाउस में एक साथ जुटेंगे भारत के कई दुश्मन, मुनीर-शहबाज के साथ इस 'खलीफा' का भी होगा शानदार वेलकम; आखिर कौन-सा गेम खेल रहे ट्रंप?
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने दूसरे कार्यकाल में जिस तरह से वैश्विक समीकरण साध रहे हैं, उसमें वे साफ तौर पर व्यापारिक लाभ और रक्षा सौदों को प्राथमिकता देते दिखाई दे रहे हैं।
- अंतरराष्ट्रीय न्यूज
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अमेरिकी राजनीति और अंतरराष्ट्रीय कूटनीति के केंद्र में एक ऐसा घटनाक्रम उभर रहा है, जिसने भारत की चिंता बढ़ा दी है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने दूसरे कार्यकाल में जिस तरह से वैश्विक समीकरण साध रहे हैं, उसमें वे साफ तौर पर व्यापारिक लाभ और रक्षा सौदों को प्राथमिकता देते दिखाई दे रहे हैं।
आर्थिक हित जहां नजर आते हैं, वहां वे बिना झिझक रिश्ते गहराने की कोशिश कर रहे हैं। इसी क्रम में आने वाले दिनों में व्हाइट हाउस में उच्चस्तरीय मुलाकातें होने जा रही हैं, जिनमें भारत के लिए रणनीतिक तौर पर असहज करने वाले नेता शामिल होंगे।
एर्दोगन से ट्रंप की मुलाकात
तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन 25 सितंबर को व्हाइट हाउस का दौरा करने वाले हैं। ट्रंप ने सोशल मीडिया पर खुद इसकी जानकारी देते हुए कहा है कि वे एर्दोगन की मेजबानी को लेकर उत्सुक हैं। दोनों नेताओं के बीच बोइंग विमानों की बड़ी डील, F-16 लड़ाकू विमानों का सौदा और F-35 जेट से संबंधित वार्ताएं एजेंडे में शामिल होंगी। ट्रंप ने लिखा कि वे उम्मीद करते हैं, इन चर्चाओं से सकारात्मक परिणाम निकलेंगे।
भारत के लिए चिंता का विषय यह है कि तुर्की ने अतीत में पाकिस्तान को हथियार उपलब्ध कराए हैं और ड्रोन तक मुहैया कराए हैं। कश्मीर घाटी में हुए आतंकी हमलों के समय तुर्की ने पाकिस्तानी सेना को डिफेंस इंजीनियरिंग सहायता भी दी थी। ऐसे में अगर तुर्की को अमेरिका से आधुनिकतम F-35 जेट मिलते हैं, तो उनका प्रभाव पाकिस्तान तक पहुंचना मुश्किल नहीं होगा।
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पाकिस्तान भी करेगा हाजिरी
इसी दिन न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा का सत्र भी चल रहा होगा, जहां दुनियाभर के नेता शिरकत करेंगे। इसी मौके पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ भी राष्ट्रपति ट्रंप से मुलाकात कर सकते हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार शहबाज की इस अहम बैठक को कतर और सऊदी अरब का समर्थन मिला है। इस मुलाकात में पाकिस्तान के आर्मी चीफ फील्ड मार्शल आसिम मुनीर भी मौजूद रहेंगे।
बैठक के एजेंडे में आतंकवाद-रोधी प्रयासों से लेकर पाकिस्तान में आई बाढ़ और भारत-पाक संबंधों की तनावपूर्ण स्थिति पर चर्चा की संभावना जताई जा रही है। माना जा रहा है कि कतर पर हुए इजरायल के हमले का असर भी बातचीत के मुद्दों में शामिल हो सकता है।
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भारत की कूटनीतिक चुनौती
हाल ही में पहलगाम की बैसरन घाटी में हुए आतंकवादी हमले के बाद भारत ने आतंकवादियों के खिलाफ ‘ऑपरेशन सिंदूर’ चलाया था। उस अभियान में भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान स्थित कई आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया था। इससे दोनों देशों के बीच तनाव और गहरा गया। उसी दौरान तुर्की ने पाकिस्तान को हथियार और तकनीकी विशेषज्ञ भेजकर मदद की थी।
अब ऐसे वक्त में जब अमेरिका के राष्ट्रपति एक तरफ पाकिस्तान के नेतृत्व से रिश्ता गहराने की तैयारी में नजर आ रहे हैं और दूसरी ओर तुर्की को आधुनिक हथियार देने की योजनाएं बना रहे हैं, भारत के लिए यह गंभीर रणनीतिक चिंता का विषय है।
भारत को न केवल अपने रक्षा सहयोगियों के साथ समन्वय मजबूत करना होगा बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर यह स्पष्ट संदेश देना होगा कि पाकिस्तान को किसी भी तरह की सैन्य तकनीकी मदद आतंकवाद को सीधे बढ़ावा देने के बराबर है। आने वाले दिनों में अमेरिकी-तुर्की और अमेरिकी-पाकिस्तान बैठकों के नतीजे दक्षिण एशिया की सुरक्षा संरचना पर गहरा असर डाल सकते हैं।
Published By : Kunal Verma
पब्लिश्ड 20 September 2025 at 14:23 IST