अपडेटेड 25 September 2025 at 06:32 IST
'इजरायल को वेस्ट बैंक पर कब्जा नहीं करने देंगे', ट्रंप ने अरब देशों से किया वादा; क्या नेतन्याहू को मना पाएंगे अमेरिकी राष्ट्रपति?
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट गाजा में अकाल जैसी स्थिति की चेतावनी दे रही है। यही हालात अरब देशों की बेचैनी की वजह बन गए हैं। उन पर दबाव है कि वे इजरायल के खिलाफ कोई एक्शन लें।
- अंतरराष्ट्रीय न्यूज
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गाजा में जारी इजरायली हमले थमने का नाम नहीं ले रहे। लगातार बमबारी से हर तरफ तबाही का मंजर है। मकान जमींदोज, सड़कें खंडहर और पलायन करते लोग, स्थिति इतनी भयावह है कि स्थानीय स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि अब तक 65 हजार से अधिक फिलिस्तीनी मारे जा चुके हैं और लाखों लोग बेघर हो गए हैं।
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट गाजा में अकाल जैसी स्थिति की चेतावनी दे रही है। यही हालात अरब देशों की बेचैनी की वजह बन गए हैं। उन पर दबाव है कि वे इजरायल के खिलाफ कोई एक्शन लें। इसी बीच कतर की राजधानी दोहा में अरब नेताओं की अहम बैठक हुई। चर्चाएं हुईं, बयान आए, लेकिन इजरायल का सैन्य अभियान चलता रहा।
सबसे बड़ी चिंता यह जताई जा रही थी कि कहीं इजरायल मौजूदा युद्ध की आड़ में वेस्ट बैंक पर स्थायी कब्जे की कोशिश न कर ले। इसी मोर्चे पर अब अमेरिका सामने आया है। न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अरब देशों से मुलाकात की और साफ आश्वासन दिया कि वॉशिंगटन वेस्ट बैंक पर इजरायल को कब्जे की इजाजत नहीं देगा।
अरब नेताओं के सामने दस्तावेज भी रखा
एक अमेरिकी अखबार ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि ट्रंप की टीम ने अरब नेताओं के सामने एक दस्तावेज भी रखा। इसमें साफ लिखा गया कि अमेरिका किसी भी संभावित विलय को हरी झंडी नहीं देगा। यही नहीं, दस्तावेज में गाजा युद्ध विराम, मानवीय सहायता और भविष्य की शांति वार्ता के रोडमैप पर भी प्रस्ताव रखा गया।
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अरब देशों ने इस रुख का स्वागत किया है। लंबे समय से उनकी शिकायत थी कि अमेरिका केवल इजरायल के साथ खड़ा दिखता है। लेकिन इस बार ट्रंप का बयान उनके लिए राहत का संकेत है। ये कम से कम यह संदेश गया है कि अरब दुनिया की चिंताओं को अनसुना नहीं किया जाएगा।
इजरायल की नीतियों पर कड़ी आपत्ति
उधर, यूरोपीय देशों ने भी वेस्ट बैंक में इजरायल की नीतियों पर कड़ी आपत्ति जताई थी। यही दबाव ट्रंप की पॉलिसी में दिखाई देता है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि ट्रंप का यह रुख न सिर्फ चुनावी दबाव को देखते हुए घरेलू संदेश देता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि अमेरिका अभी भी मध्य पूर्व में शांति की दिशा में ‘मध्यस्थ’ की भूमिका निभाना चाहता है।
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संयुक्त राष्ट्र, यूरोपीय संघ और कई मानवीय संगठनों की आलोचना के बीच ट्रंप का बयान दोहरे असर वाला माना जा रहा है। एक तरफ अरब देशों को संतुष्ट करना और दूसरी तरफ इजरायल पर दबाव बनाना कि युद्ध को लंबा खींचने के बजाय समाधान की दिशा में बढ़े।
Published By : Kunal Verma
पब्लिश्ड 25 September 2025 at 06:32 IST