अपडेटेड 13 August 2025 at 16:56 IST

EXPLAINER/ Trump Tariff War: 90 दिन की मोहलत नहीं, अमेरिका की बादशाहत को चुनौती... 'टैरिफ वॉर' में जिनपिंग ने डोनाल्ड ट्रंप को कैसे दी पटखनी?

Donald Trump Tariffs: डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव ही इस दम पर जीता था कि वो चीन का सारा दमखम निकाल देंगे। हालांकि, ट्रंप की ये धौंस चीन के सामने मुंह बल गिरी।

Chinese President Xi Jinping and US President Donald Trump
Chinese President Xi Jinping and US President Donald Trump | Image: AP

Donald Trump Tariffs: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप टैरिफ का भौकाल दिखाकर दुनियाभर के देशों को डराने की कोशिश करते रहे हैं। भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ का ऐलान करने के बाद अब उन्होंने चीन पर लगाए गए टैरिफ को 90 दिनों के लिए टाल दिया है। सवाल ये है कि डोनाल्ड ट्रंप चीन के साथ डायरेक्ट टैरिफ वॉर जारी रखने की हिम्मत क्यों नहीं कर पा रहे हैं? क्या डोनाल्ड ट्रंप जिनपिंग से इतना डरते हैं कि दुनियाभर को डराने वाले नेता की चीनी राष्ट्रपति के सामने हवा टाइट हो जाती है?

आपको बता दें कि डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव ही इस दम पर जीता था कि वो चीन का सारा दमखम निकाल देंगे। हालांकि, ट्रंप की ये धौंस चीन के सामने मुंह बल गिरी। उन्होंने कोशिश तो बहुत की, जिससे चीन उनके कदमों पर आकर गिरे, लेकिन जिनपिंग ने अमेरिका की ऐसी नस दबा दी कि ट्रंप अपना टैरिफ लेकर उल्टे पैर भागे।

145 प्रतिशत तक बढ़ाया टैरिफ

अप्रैल में अमेरिका ने चीनी वस्तुओं पर 145 प्रतिशत का भारी-भरकम टैरिफ लगाया, तो चीन ने भी ट्रंप पर 125 प्रतिशत टैरिफ वाला हथौड़ा फेंक दिया।। इसके बाद मई में, स्विट्जरलैंड के जिनेवा में एक बैठक के दौरान दोनों देश अस्थायी रूप से टैरिफ कम करने पर सहमत हुए। अमेरिका ने अपने टैरिफ 145 प्रतिशत से घटाकर 30 प्रतिशत कर दिए, जबकि चीन ने अपने टैरिफ 125 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत कर दिए। सवाल ये था कि आखिर दुनियाभर में अपनी मनमर्जी चलाने की कोशिश करने वाले ट्रंप की चीन के सामने हवा कैसे निकल गई? इसका कारण था- दुर्लभ खनिज वाला मामला।

अमेरिकी मीडिया में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, बीजिंग ने अमेरिका को दुर्लभ खनिजों की सप्लाई रोक दी। आपको बता दें कि अमेरिकी रक्षा प्रणालियों में इस्तेमाल होने वाले 80 हजार से ज्यादा पुर्जे उन खनिजों से बनते हैं। इससे ट्रंप की हालत खस्ता हो गई और उन्होंने तुरंत टैरिफ को घटाकर 30 प्रतिशत कर दिया। इसके अलावा, चीन ने जर्मेनियम, गैलियम और एंटीमनी की बिक्री पर भी अमेरिका पर प्रतिबंध का ऐलान कर दिया, जिससे सैनिकों को रात में देखने में मदद मिलती है। चीन की जवाबी कार्रवाई से अमेरिका ने उसके सामने सरेंडर कर दिया।

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भारत-चीन-रूस की तिकड़ी से बिगड़ सकता है खेल

पिछले दिनों ट्रंप ने भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ का ऐलान कर दिया। इससे भारत को तो ज्यादा फर्क नहीं पड़ा, लेकिन दुनियाभर में इसको लेकर आवाजें उठने लगीं। आवाज उठाने वाले देशों में रूस और चीन का भी नाम शामिल था। पहले रूसी विदेश मंत्रालय की ओर से बयान जारी किया गया और फिर चीन ने भी इस कदम की काफी आलोचना की। इसके तुरंत बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चीन दौरे की सूचना मिली, जो ट्रंप के लिए एक धक्के जैसा था। इसके बाद पीएम मोदी और रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने फोन पर बात की और पीएम मोदी ने पुतिन को भारत आने का न्योता दिया। मामला यहीं नहीं रुका। खबरें आने लगीं कि पुतिन इस साल के अंत तक भारत आ सकते हैं। ट्रंप के लिए ये खबर भी अच्छी नहीं थी।

इसके बाद जियोपॉलिटिक्स को अपने अनुसार चलाने की इच्छा रखने वाले ट्रंप ने ऐलान कर दिया कि वो पुतिन से अलास्का में नहीं मिलेंगे, बल्कि वो खुद रूस जाकर पुतिन से बातचीत करेंगे। इससे ये तो साफ है कि ट्रंप सिर्फ रूस-यूक्रेन मुद्दे पर बात करने रूस नहीं जा रहे, बल्कि वहां पर भारत के टैरिफ का मुद्दा भी उठाया जाएगा। इसके बाद ट्रंप ने चीन पर लगाए गए टैरिफ को 90 दिनों के लिए टालने का ऐलान कर दिया ताकि चीन का भारत से मोह भंग हो जाए। इसका कारण ये है कि अगर रूस-भारत-चीन की तिकड़ी RIC अलायंस को फिर से शुरू करने पर सहमति जताती है तो इससे सबसे बड़ा नुकसान ट्रंप का ही होगा।

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भारत के साथ रिश्ते कैसे बिगाड़ रहे ट्रंप?

अमेरिकी मीडिया में एक इंटरव्यू के दौरान ट्रंप ने कहा था कि हम दवाइयों पर भी टैरिफ लगाएंगे। शुरुआत हम कम टैरिफ से करेंगे, लेकिन धीरे-धीरे सालभर में ये 150 प्रतिशत और फिर 250 प्रतिशत हो जाएगा। इसका कारण ये है कि वो चाहते हैं कि दवाइयां उनके देश में ही बने। इसके अलावा भारत के डेयरी बिजनेस पर भी ट्रंप की नजर है। वो भारत में डेयरी बिजनेस को शुरू करना चाहते हैं, जो भारत के किसानों के लिए नुकसानदायक हो सकता है। इस वजह से पीएम मोदी ने भी साफ शब्दों में ट्रंप को चेतावनी देते हुए कह दिया था कि हमारे ल‍िए अपने क‍िसानों का ह‍ित प्राथमिकता है। भारत अपने क‍िसानों-पशुपालकों और मछुआरे भाई बहनों के ह‍ितों के साथ कभी समझौता नहीं करेगा। मैं जानता हूं क‍ि इसकी क‍ितनी बड़ी कीमत चुकानी होगी, लेकिन मैं इसके ल‍िए तैयार हूं।

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Published By : Kunal Verma

पब्लिश्ड 13 August 2025 at 16:56 IST