अपडेटेड 16 October 2025 at 19:53 IST

'अमेरिका पर भरोसा नहीं, सिर्फ भारत-चीन के बयानों पर यकीन', डोनाल्ड ट्रंप के दावे पर आगबबूला हुआ रूस; जानिए क्या कह दिया

क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने गुरुवार को कहा कि मास्को तेल खरीद के संबंध में नई दिल्ली और बीजिंग द्वारा जारी किए गए आधिकारिक सार्वजनिक बयानों पर भरोसा करता है।

Trump and Putin meeting
Trump and Putin | Image: The White House/President of Russia/X

क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने गुरुवार को कहा कि मास्को तेल खरीद के संबंध में नई दिल्ली और बीजिंग द्वारा जारी किए गए आधिकारिक सार्वजनिक बयानों पर भरोसा करता है। उन्होंने कहा कि भारत और चीन ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बयान की सार्वजनिक रूप से पुष्टि नहीं की है।

ट्रंप के दावे के बाद गुरुवार को तेल की कीमतों में लगभग 1% की वृद्धि हुई, जब अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वादा किया है कि उनका देश रूस से तेल खरीदना बंद कर देगा, जिससे अन्य देशों में तेल की आपूर्ति कम हो सकती है।

आपको बता दें कि भारत और चीन रूसी कच्चे तेल के सबसे बड़े खरीदार हैं। ऐसे में ट्रंप लगातार दोनों देशों पर दबाव बना रहे हैं कि भारत-चीन रूस से कच्चा तेल खरीदना बंद कर दें।

क्रेमलिन ने डोनाल्ड ट्रंप की चेतावनी को खारिज किया

क्रेमलिन ने बुधवार को रूसी अर्थव्यवस्था के पतन की डोनाल्ड ट्रंप की चेतावनी को खारिज कर दिया और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए अपने "पर्याप्त भंडार" और ताकत का दावा किया।

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ट्रंप ने कहा था कि पुतिन को यूक्रेन युद्ध को सुलझाना चाहिए, जिसके बारे में उनका दावा था कि यह रूस की "नुकसानदेह छवि" बना रहा है। उन्होंने "पेट्रोल के लिए लंबी कतारों" का भी जिक्र किया और भविष्यवाणी की कि रूसी "अर्थव्यवस्था ध्वस्त होने वाली है"।

क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने ट्रंप की टिप्पणी पर सीधे तौर पर कोई टिप्पणी नहीं करते हुए कहा कि पुतिन युद्ध को समाप्त करने के लिए तैयार हैं और मास्को ट्रंप के प्रयासों के लिए आभारी है।

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रूस ने दिया ये जवाब

पेस्कोव ने पत्रकारों से कहा, "जहां तक रूसी अर्थव्यवस्था का सवाल है, इसमें पर्याप्त सुरक्षा मार्जिन है जिससे देश का नेतृत्व और हम सभी अपनी योजनाओं को लागू कर सकते हैं।" उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि ब्रिक्स समूह, जिसे ट्रंप ने "डॉलर पर हमला" कहा था, का उद्देश्य कभी भी अन्य देशों या उनकी मुद्राओं पर हमला नहीं था।

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Published By : Kunal Verma

पब्लिश्ड 16 October 2025 at 19:53 IST