अपडेटेड 30 August 2025 at 08:58 IST

EXPLAINER/ भारत और चीन अब 'प्रतिद्वंद्वी' नहीं... PM मोदी की यात्रा पर चीनी मीडिया ने जो लिखा, डोनाल्ड ट्रंप की उड़ जाएगी नींद!

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज शनिवार को जापान से रवाना होकर चीन पहुंच जाएंगे। उनका 31 अगस्त से 1 सितंबर तक चीन दौरे का प्लान है।

Secret letter from Chinese President Xi Jinping helps revive ties with India
पीएम मोदी-जिनपिंग-ट्रंप | Image: Republic

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज शनिवार को जापान से रवाना होकर चीन पहुंच जाएंगे। उनका 31 अगस्त से 1 सितंबर तक चीन दौरे का प्लान है, जिसमें वो शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे।

आपको बता दें कि डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ वॉर के बीच में पीएम मोदी के इस दौरे को चीन पॉजिटिव नजर से देख रहा है। चीन के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है कि भारत और चीन अब प्रतिद्वंद्वी नहीं बल्कि साझेदार के तौर पर संबंध स्थापित कर रहे हैं।

चीनी मीडिया ने क्या लिखा?

चीन के मुखपत्र में लिखा गया है, "चीन-भारत संबंधों में जो सुधार आ रहा है, वो साझा रणनीतिक जरूरतों से प्रेरित है। गलवान घाटी की घटना के बाद से दोनों पक्षों ने सीमा तनाव प्रबंधन में काफी संसाधन खर्च किए हैं। धीरे-धीरे, दोनों देश यह मानने लगे हैं कि सीमा विवादों के बजाय, सीमित संसाधनों को आर्थिक विकास और ज्यादा जरूरी रणनीतिक प्राथमिकताओं पर लगाना ज्यादा बेहतर ऑप्शन है। इस महीने, दोनों पक्ष बॉर्डर मुद्दे में 10 बिंदुओं पर आम सहमति पर पहुंचे, और विदेश मंत्रियों की बैठक में 10 परिणाम प्राप्त हुए, जिससे राजनयिक और सैन्य माध्यमों से संवाद बना रहा और अनावश्यक टकराव से बचा जा सका।"

चीनी अखबार ने आगे लिखा, "चीन-भारत संबंधों में गर्मजोशी का वैश्विक भू-राजनीतिक परिदृश्य में गहरे बदलावों से भी गहरा संबंध है। 2025 की शुरुआत से, अंतर्राष्ट्रीय उथल-पुथल तेज हो गई है। रूस-यूक्रेन संघर्ष में लंबे समय से जारी गतिरोध, मध्य पूर्व में बढ़ते संकट, और अमेरिकी घरेलू राजनीति और विदेश नीति में बड़े बदलावों का वैश्विक व्यवस्था पर दूरगामी प्रभाव पड़ा है। अमेरिकी विदेश नीति "सहयोगियों का समर्थन" करने से "लेन-देन की कूटनीति" में बदल गई है, और कुछ मामलों में तो सहयोगियों और साझेदारों की कीमत पर लाभ उठाने का रुख भी अपनाया है, जिससे अमेरिका-भारत संबंध सीधे तौर पर खराब हुए हैं।"

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इसमें आगे लिखा गया, "अपने स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में, भारतीय प्रधानमंत्री ने कहा कि "मोदी उनके हितों के लिए खतरा बनने वाली किसी भी नीति के खिलाफ दीवार की तरह खड़े रहेंगे। जब हमारे किसानों के हितों की रक्षा की बात आती है तो भारत कभी समझौता नहीं करेगा।" भारतीय अधिकारियों के अनुसार, भारत कम से कम 40 देशों के साथ व्यापार विविधीकरण रणनीति को भी आगे बढ़ा रहा है। यह रणनीतिक स्वायत्तता चीन द्वारा समर्थित स्वतंत्र विदेश नीति के अनुरूप है, और साथ मिलकर ये दोनों देश दोनों देशों के बीच संबंधों में सुधार के लिए प्रेरक शक्ति का निर्माण करते हैं।"

'मोदी की चीन यात्रा एक दुर्लभ अवसर'

चीनी अखबार ने लिखा- 'पश्चिमी मीडिया चीन-भारत संबंधों में "गर्मी" को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने और इसे भारत पर अमेरिकी टैरिफ से जोड़कर एक तथाकथित "अमेरिका-विरोधी गठबंधन" की अटकलें लगाने में लगा है। इस तरह के आख्यान चीन और भारत दोनों की विदेश नीतियों की स्वतंत्रता को गंभीरता से गलत समझते हैं। जब वाशिंगटन रूसी तेल खरीदने के लिए भारत की आलोचना करता है, तो इसका मतलब यह होता है कि वह चाहता है कि भारत "एक पक्ष चुने", यही तर्क भारत को क्वाड में शामिल करने के पीछे भी है, जो अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया और भारत के बीच तथाकथित चतुर्भुज साझेदारी है। इसका लक्ष्य चीन को नियंत्रित करने के लिए वाशिंगटन की तथाकथित "हिंद-प्रशांत रणनीति" में भारत को एक मोहरे में बदलने के अलावा और कुछ नहीं है।'

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इसमें आगे लिखा गया है कि मोदी की चीन यात्रा चीन-भारत संबंधों को बेहतर बनाने का एक दुर्लभ अवसर प्रदान करती है। पर्यवेक्षकों का मानना ​​है कि दोनों प्रमुख देश अब अपने संबंधों को "प्रतिद्वंद्वी के बजाय साझेदार" के रूप में बदलने का प्रयास कर रहे हैं। हालांकि द्विपक्षीय संबंधों में चुनौतियां बनी हुई हैं, लेकिन व्यावहारिक सहयोग के लिए दोनों पक्षों की इच्छा वैश्विक रणनीतिक संतुलन में एक सकारात्मक परिवर्तन ला रही है।

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Published By : Kunal Verma

पब्लिश्ड 30 August 2025 at 08:54 IST