अपडेटेड 7 December 2025 at 19:38 IST

चीन के तेवर को हवा में ही मात देगा ताइवान, इजरायल के आयरन डोम के बाद T-डोम देखकर फूल जाएंगी ड्रैगन की सांसें; कैसे बनेगा 'अभेद्य किला'?

इजरायल के आयरन डोम की तर्ज पर ताइवान भी अपना डिफेंस सिस्टम बनाने जा रहा है, जिसे T-Dome कहा जा रहा है।

T-Dome
प्रतीकात्मक तस्वीर | Image: AP/X

चीन और ताइवान के बीच सालों से चल रहा विवाद अब भीषण रूप लेता दिखाई पड़ रहा है। पिछले दिनों ताइवान के राष्ट्रपति ने संकेत दिया था कि चीन 2027 तक ताइवान पर हमला करने और उसे कब्जा में लेने की कोशिश कर सकता है।

अब इसी क्रम में ताइवान ने भी अपनी तैयारी तेज कर दी है। बताया जा रहा है कि इजरायल के आयरन डोम की तर्ज पर ताइवान भी अपना डिफेंस सिस्टम बनाने जा रहा है, जिसे T-Dome कहा जा रहा है।

आपको बता दें कि यह एक ऐसा डिफेंस सिस्टम होगा, जो आइलैंड को एक अभेद्य किले में तब्दील कर देगा। चीन की मिसाइलें हवा में ही लाश बनकर बिछ जाएंगी और ताइवान पर कब्जा करना आसान नहीं होगा।

क्या है T-Dome?

अक्टूबर में, बीजिंग में एक हाई-प्रोफाइल मिलिट्री परेड में लेटेस्ट चीनी हाई-टेक वेपन सिस्टम दिखाने के कुछ हफ्ते बाद ताइवान के राष्ट्रपति लाई चिंग-ते ने T-Dome मल्टी-लेयर्ड मिसाइल शील्ड बनाने के प्लान का ऐलान किया। हालांकि इसकी कई डिटेल्स अभी भी सामने नहीं आई हैं और फंडिंग भी अभी फाइनल होनी है, लेकिन मकसद साफ है: एक ऐसा सिस्टम जो अलग-अलग ऊंचाई और रेंज पर ड्रोन, मिसाइल, रॉकेट और एयरक्राफ्ट का पता लगा सके, उन्हें ट्रैक कर सके और उन्हें खत्म कर सके। यह प्रोजेक्ट ताइवान के मौजूदा मिलिट्री डिफेंस इक्विपमेंट को एक ही नेटवर्क में इंटीग्रेट करेगा ताकि खतरे का पता लगाने और इंटरसेप्शन की स्पीड और सटीकता को बेहतर बनाया जा सके।

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T-Dome का मकसद ज्यादातर ताइवान पर जबरदस्ती कब्जा करने की चीन की किसी भी चाल को रोकना है। यह पहल उस बड़ी “आइलैंड चेन स्ट्रैटेजी” से भी जुड़ी है जिसमें US, एशिया में अपने साथियों के साथ मिलकर, खुले प्रशांत महासागर तक चीनी सेना की पहुंच को सीमित करता है।

डिफेंस एक्सपर्ट्स के मुताबिक, T-Dome की खास बात “सेंसर-टू-शूटर” इंटीग्रेशन होगी। यह ताइवान के मिसाइल और रडार सिस्टम को एक यूनिफाइड कमांड प्लेटफॉर्म के जरिए जोड़ने की क्षमता है जो लगभग तुरंत टारगेटिंग के सुझाव दे सकता है। इससे आइलैंड के एयर डिफेंस को एक साथ कई आने वाले प्रोजेक्टाइल से निपटने और उन प्रोजेक्टाइल को नजरअंदाज करने में मदद मिलेगी जो खतरा पैदा नहीं करते हैं।

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चीन के बयान के बाद बढ़ी टेंशन

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ताइवान के नेशनल डिफेंस मिनिस्ट्री के डेटा से पता चला है कि ताइवान और चीन के बीच ताइवान की बताई गई डिवाइडिंग लाइन पर 2021 में 953 घटनाएं हुईं, जो 2024 में बढ़कर 3,070 हो गईं। इस बात के और भी संकेत हैं कि बीजिंग ताइवान पर कार्रवाई करने की तैयारी कर रहा है। चीन रिकॉर्ड मात्रा में सोना जमा कर रहा है, जो ताइवान पर हमले की स्थिति में पश्चिमी देशों के बैन से खुद को बचाने की स्ट्रैटेजी का हिस्सा हो सकता है। यह संभावित हमले के लिए एक ठोस कानूनी आधार भी बना रहा है, जिसका मकसद हमले को एक जायज अंदरूनी मामला बताना है।

जानकारों का मानना है कि PLA राष्ट्रपति शी जिनपिंग के मिलिट्री तैयारी के गोल को पूरा करने के लिए अपनी ताकत बढ़ा रही है ताकि 2027 तक ताइवान पर जबरदस्ती कब्जा किया जा सके। 

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Published By : Kunal Verma

पब्लिश्ड 7 December 2025 at 19:38 IST