अपडेटेड 28 August 2025 at 10:17 IST

ब्रह्मोस की मार से फड़फड़ा उठे थे एर्दोगन, बिलबिला रहा था पाकिस्तान... अब स्टील डोम एयर डिफेंस सिस्टम से कर पाएंगे 'दोस्त' की मदद?

तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने इंटीग्रेटेड एयर डिफेंस सिस्टम ‘स्टील डोम’ का उद्घाटन किया है। उन्होंने इसका उद्घाटन करते हुए साफ तौर पर कहा है कि यह उनके दोस्तों (पाकिस्तान और अन्य देश) के लिए भरोसे का सबब बनेगा।

BoycottTurkey Trends In India After President Erdogan Publicly Supports Pakistan
एर्दोगन और शहबाज | Image: X

तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने इंटीग्रेटेड एयर डिफेंस सिस्टम ‘स्टील डोम’ का उद्घाटन किया है। उन्होंने इसका उद्घाटन करते हुए साफ तौर पर कहा है कि यह उनके दोस्तों (पाकिस्तान और अन्य देश) के लिए भरोसे का सबब बनेगा।

आपको बता दें कि तुर्की ने अपने डिफेंस सिस्टम को इजरायल के फेमस आयरन डोम की तर्ज पर बनाया है। एर्दोगन ने ये भी कहा है कि यह डिफेंस सिस्टम उनके दुश्मनों के डर का सबब बनेगा।

100-150 किमी की होगी रेंज

तुर्की के इस डिफेंस सिस्टम को जमीन और समुद्र-आधारित एयर डिफेंस प्लेटफॉर्म और रडार सिस्टम से जोड़ा गया है, जिसका मतलब है कि तुर्की की आसमानी ताकत बढ़ जाएगी। इसकी रेंज 100-150 किमी की होगी, जो दुश्मनों को दूर से भांप कर उनके छक्के छुड़ा देगा। जानकारों का मानना है कि तुर्की इसे पाकिस्तान को भी दे सकता है। इसका कारण ये है कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान तुर्की के कई हथियारों को भारत ने धूल चटा दी थी, जिसने दुनिया के सामने तुर्की के डिफेंस की पोल खोल दी थी।

आपको बता दें कि ये प्रोजेक्ट अगस्त में शुरू हुआ था। एर्दोगन ने कहा कि आज के युग में दुनिया का कोई भी देश तब तक आत्मनिर्भर नहीं बन सकता, जब तक वो अपने रडार और एयर डिफेंस सिस्टम को खुद विकसित ना करे। इससे पहले तुर्की ने रूस से S-400 भी खरीदा था, लेकिन अमेरिका ने इसके लिए उसे गहरी चोट दी थी, और उसे F-35 स्टील्थ जेट प्रोग्राम से आउट कर दिया था।

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क्यों पड़ी इसकी जरूरत?

सीरिया और यूक्रेन में चल रहे संघर्षों और ईरान पर इजरायल के हालिया हमलों ने बेहतर वायु रक्षा प्रणाली विकसित करने की आवश्यकता को और बढ़ा दिया है। राष्ट्रपति ने असेलसन में नई उत्पादन सुविधाओं का भी अनावरण किया, जो 2026 में खुलने वाली हैं। एर्दोगन ने कहा, "अगले 50 वर्षों में, तुर्की एक ऐसा देश होगा जो न केवल अपनी जरूरतों को पूरा करेगा, बल्कि अपनी तकनीक के साथ दुनिया का नेतृत्व भी करेगा।" आपको बता दें कि 1974 में साइप्रस पर आक्रमण के बाद अमेरिका द्वारा हथियार प्रतिबंध लगाए जाने के बाद से ही तुर्की ने अपने रक्षा उद्योग में भारी निवेश किया है और हथियारों के मामले में आत्मनिर्भर बनने की कोशिश कर रहा है।

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Published By : Kunal Verma

पब्लिश्ड 28 August 2025 at 10:17 IST