Jan 21, 2025

Garima Garg

हनुमान चालीसा को गलत पढ़ रहे हैं लोग, नहीं मिल पा रहा पूरा फल


Correct Version of Hanuman Chalisa: हनुमान चालीसा में कौन सा शब्द गलत है? हनुमान की चालीसा में कौन सी गलतियां हैं? जानते हैं इस लेख के माध्यम से..

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शंकर सुवन केसरी नंदन तेज प्रताप महा जगवंदनगलत शब्द - शंकर सुवनसही शब्द - शंकर स्वयं

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सब पर राम तपस्वी राजा तिनके काज सकल तुम साजागलत शब्द - राम तपस्वी राजासही शब्द - राय सिरताजा

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राम रसायन तुम्हरे पासा सदा रहो रघुपति के दासागलत शब्द - सदा रहोसही शब्द - सादर हो

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जो सत बार पाठ कर कोई छूटहि बंदि महा सुख होईगलत शब्द - जो सत बारसही शब्द - यह सत बार

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जो सत बार पाठ कर कोई छूटहि बंदि महा सुख होईगलत शब्द - कर कोईसही शब्द - कर जोई

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दोहा

श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारिबुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन कुमार बल बुधि विद्या देहु मोहि, हरहु कलेश विकार

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चौपाई

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर जय कपीस तिहुँ लोक उजागरराम दूत अतुलित बल धामा अंजनि पुत्र पवनसुत नामा

महाबीर बिक्रम बजरंगी कुमति निवार सुमति के संगीकंचन बरन बिराज सुबेसा कानन कुंडल कुँचित केसा

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हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजे काँधे मूँज जनेऊ साजेशंकर स्वयं केसरी नंदन तेज प्रताप महा जगवंदन

विद्यावान गुनी अति चातुर राम काज करिबे को आतुरप्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया राम लखन सीता मनबसिया

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सूक्ष्म रूप धरि सियहि दिखावा बिकट रूप धरि लंक जरावाभीम रूप धरि असुर सँहारे रामचंद्र के काज सवाँरे

लाय सजीवन लखन जियाए श्री रघुबीर हरषि उर लाएरघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई तुम मम प्रिय भरत-हि सम भाई

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सहस बदन तुम्हरो जस गावै अस कहि श्रीपति कंठ लगावैसनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा नारद सारद सहित अहीसा

जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते कवि कोविद कहि सके कहाँ तेतुम उपकार सुग्रीवहि कीन्हा राम मिलाय राज पद दीन्हा

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तुम्हरो मंत्र बिभीषण माना लंकेश्वर भये सब जग जानाजुग सहस्त्र जोजन पर भानू लिल्यो ताहि मधुर फ़ल जानू

प्रभू मुद्रिका मेलि मुख माही जलधि लाँघि गए अचरज नाहीदुर्गम काज जगत के जेते सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते

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राम दुआरे तुम रखवारे होत ना आज्ञा बिनु पैसारेसब सुख लहैं तुम्हारी सरना तुम रक्षक काहु को डरना

आपन तेज सम्हारो आपै तीनों लोक हाँक तै कापैभूत पिशाच निकट नहि आवै महाबीर जब नाम सुनावै

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नासै रोग हरे सब पीरा जपत निरंतर हनुमत बीरासंकट तै हनुमान छुडावै मन क्रम वचन ध्यान जो लावै

सब पर राम राय सिरताजा तिनके काज सकल तुम साजाऔर मनोरथ जो कोई लावै सोई अमित जीवन फल पावै

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चारों जुग परताप तुम्हारा है परसिद्ध जगत उजियारासाधु संत के तुम रखवारे असुर निकंदन राम दुलारे

अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता अस बर दीन जानकी माताराम रसायन तुम्हरे पासा सादर हो रघुपति के दासा

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तुम्हरे भजन राम को पावै जनम जनम के दुख बिसरावैअंतकाल रघुवरपुर जाई जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई

और देवता चित्त ना धरई हनुमत सेई सर्व सुख करईसंकट कटै मिटै सब पीरा जो सुमिरै हनुमत बलबीरा

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जै जै जै हनुमान गुसाईँ कृपा करहु गुरु देव की नाईयह सत बार पाठ कर जोई छूटहि बंदि महा सुख होई

जो यह पढ़े हनुमान चालीसा होय सिद्ध साखी गौरीसातुलसीदास सदा हरि चेरा कीजै नाथ हृदय मह डेरा

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