Karwa Chauth: यदि आपने करवा चौथ का व्रत रखा है तो यह जानना जरूरी है कि व्रत की कथा असल में क्या है और करवा माता की कौन सी आरती आप पूजा के बाद पढ़ सकती हैं।
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पौराणिक कथा के अनुसार, एक द्विज नामक ब्राह्मण था। उसके सात बेटे और एक बेटी थी। बेटी का नाम वीरावती था। वह सात बेटे वीरावती से बेहद प्रेम करते थे। एकलौती बहन होने के कारण वीरावती उनकी लाडली थी।
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शादी के बाद जब वीरावती का पहला करवा चौथ व्रत आया तो उसने यह व्रत मायके में किया। उस दौरान वीरावती ने व्रत निर्जला रखा। वह इस व्रत से बेहद परेशान हो गई। ऐसे में जब भाइयों को इस बात का पता चला कि…
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वीरावती चांद निकलने का इंतजार कर रही है तो भाइयों ने अपनी बहन के साथ छल किया। उन्होंने पेड़ पर चढ़कर एक छलनी में दीपक रख दिया। उन्होंने पेड़ पर चढ़कर एक छलनी में दीपक रख दिया।
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जला हुआ दीपक रख दिखाकर अपनी बहन से कहा कि देखो चांद निकल आया है। बहन ने अपने भाइयों की बात मानकर इसी नकली दीपक को चांद समझ लिया। जब अर्ध्य देने के बाद वह भोजन करने बैठी तो…
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सबसे पहले बाल निकला फिर छींक आई और फिर ससुराल से बुलावा आ गया कि उसके पति की मृत्यु हो गई है। तब इंद्राणी ने वीरावती से कहा कि तुम रो मत बल्कि कार्तिक माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को व्रत रखना।
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उसके बाद उसका पति पुन:जीवित हो गया। तभी से पति की लंबी आयु के लिए सुहागन महिला इस व्रत को रखती हैं। करवा माता की आरती पढ़ें आगे…
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यहां दी गई जानकारी सूचना और मान्यता पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT यहां दी गई जानकारी की प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।
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