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Updated May 23rd, 2024 at 22:14 IST

चीन ने चली थी चाल, जिसे नहीं दिया था वीजा; भारत की वो बेटी बनी ताइक्वांडो चैंपियन

चीन की चाल की वजह से पिछले साल एशियन गेम्स में हिस्सा न ले पाने वाली भारत की एक युवा खिलाड़ी ने देश का नाम रोशन किया है। वो ताइक्वांडो चैंपियन बनीं हैं।

Arunachal Pradesh's Rupa Bayor became Taekwondo champion
चीन ने जिसे नहीं दिया वीजा, भारत की वो बेटी बनी ताइक्वांडो चैंपियन | Image:X
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Taekwondo Champion: अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) की रूपा बेयर (Rupa Bayor) बचपन से ही जिंदगी की चुनौतियों से लड़ते हुए बहुत हठी हो गईं थीं, लेकिन इसकी वजह से ही ताइक्वांडो खेल में पहुंचीं और देश का नाम रोशन करने में सफल रहीं। 

दरअसल रूपा ने इस महीने की शुरुआत में वियतनाम के दनांग में आठवीं एशियाई ताइक्वांडो पूमसे चैंपियनशिप में ब्रॉन्ज मेडल जीता है। रूपा वहीं खिलाड़ी हैं, जो पिछले साल एशियन गेम्स में हिस्सा नहीं ले पाईं थीं, क्योंकि चीन ने उन्हें वीजा देने से इनकार कर दिया था। 

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अरुणाचल के छोटे से गांव की रहने वाली हैं रूपा

रूपा अरूणाचल प्रदेश के सिप्पी गांव की रहने वाली हैं, जहां ताइक्वांडो इतना लोकप्रिय नहीं है। ये पूछने पर कि वो इस खेल के प्रति कैसे आकर्षित हुईं तो 23 साल की इस खिलाड़ी ने कहा-

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मैं छोटी छोटी बात पर लड़ने लगती थी, बहुत हठी और अड़ियल थी।

रूपा को हालांकि इसके लिए दोषी नहीं ठहराया जा सकता, क्योंकि जब वो छोटी थीं तो उन्होंने अपने पिता को गंवा दिया था, इसलिए वो धान के खेतों में अपनी मां की मदद करती थी। 

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बटपन में उठ गया था सिर से पिता का हाथ

रूपा ने कहा-

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मुझे अपने पिता की कोई स्मृति नहीं है, हालांकि मुझे उनका चेहरा अच्छी तरह याद है। मैं बहुत छोटी थी, जब उनका निधन हो गया था। मुझे वो दिन याद है। जब उनका निधन हुआ तो उन्हें जमींन पर चादर से ढककर रखा हुआ था और मुझे लगा था कि वो सो रहे हैं। मैंने लोगों को आकर शोक व्यक्त करते हुए देखा तो मुझे लगा कि कुछ हो गया है। मैंने अपनी मां से पूछा कि क्या बात है और पापा हिलडुल क्यों नहीं रहे। उन्होंने मुझे बताया कि ‘तुम्हारे पिता का निधन हो गया है’। 

यहां से मुश्किलों का दौर शुरू हुआ और उनके मामा ने इस खेल से रूपा को उम्मीद जगाई।

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कब जीता पहला मेडल?

क्रोएशिया में 2022 में अपना पहला इंटरनेशनल मेडल जीतने वाली रूपा बेयर ने कहा-

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मेरे मामा कराटे मास्टर हैं, उन्होंने मुझे ट्रेनिंग देना शुरू किया, क्योंकि उन्हें लगा कि मेरे गुस्से को कुछ उपयोगी तरीके से इस्तेमाल किया जा सके और अंत में मैंने ताइक्वांडो को चुना, क्योंकि मुझे लगा कि बतौर एथलीट इसमें मेरे लिए आगे बढ़ने का ज्यादा मौका है। 

बता दें कि रूपा अभी वर्ल्ड रैंकिंग में 13वें स्थान पर हैं और भारतीय पूमसे खिलाड़ी की ये सर्वश्रेष्ठ रैंकिंग है। इस समय ये गैर ओलंपिक वर्ग है, जो सिर्फ एशियन गेम्स में ही शामिल है। रूपा अपना ज्यादातर समय मुंबई में इंडो कोरियन ताइंक्वांडो अकादमी में बिताती हैं।

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Published May 23rd, 2024 at 22:14 IST

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