Published 17:13 IST, September 3rd 2024
बंगाल में महिलाओं के गुनहगारों को नहीं मिलती सजा? इन आरोपों में कितनी सच्चाई, आंकड़ों से समझिए
West Bengal: कोलकाता रेपकांड के बाद बंगाल पुलिस पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं।
West Bengal: कोलकाता रेपकांड के बाद बंगाल पुलिस पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। इनमें एक आरोप ये भी है कि बंगाल में महिलाओं के गुनहगार आसानी से सजा पाने से बच जाते हैं।
आपको बता दें कि डॉक्टरों ने आरोप लगाया है कि नौ अगस्त को युवा डॉक्टर से कथित बलात्कार और हत्या की घटना की जांच के दौरान पुलिस ने उचित कदम नहीं उठाए। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने बाद में मामले की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) को सौंप दी थी।
बंगाल में सजा की दर सबसे कम
NCRB की रिपोर्ट की मानें तो देशभर में ऐसे 7 राज्य हैं जहां 10 प्रतिशत से भी कम दर से महिलाओं के दोषियों को सजा मिली है। वहीं, इन 7 राज्यों में बंगाल की स्थिति सबसे बदतर है। आपको बता दें कि बंगाल में 98.1 प्रतिशत लंबित मामले हैं और सजा दर केवल 2.5 प्रतिशत है। इसके बाद दूसरे नंबर पर असम है, जहां सजा की दर 3.9 प्रतिशत है और लंबित मामले 95.8 प्रतिशत हैं। गुजरात में सजा की दर 5 प्रतिशत, गोवा में 5.3 और आंध्र प्रदेश में 5.6 प्रतिशत है।
देशभर में महिलाओं के कितने गुनहगारों को सजा?
देशभर के आंकड़ों की बात करें तो साल 2021 में महिलाओं के गुनहगारों से जुड़े अपराधों में 21 लाख 21 हजार 755 मामले दर्ज किए गए। इनमें केवल 23 हजार 243 आरोपियों को ही सजा हो पाई। इनमें भी सबसे हैरान करने वाली बात ये रही कि सबसे अधिक केस बंगाल से ही है जो 3 लाख 37 हजार 924 थे।
कांग्रेस सरकार में सजा की स्थिति
देशभर में साल 2009 से 2014 तक के आंकड़ों की बात करें तो कांग्रेस सरकार में 28 प्रतिशत मामलों में ही आरोपियों को सजा हुई। हालांकि, यह दर अभी तक 28 प्रतिशत पर ही टिका है। ऐसे में सवाल ये है कि क्या 10 दिन में रेप आरोपियों को सजा देना संभव है? ये तो वक्त ही बताएगा। हालांकि, कुछ वरिष्ठ एक्सपर्ट्स का कहना है कि 10 दिन में ट्रायल पूरा करना काफी मुश्किल हो सकता है।
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Updated 17:40 IST, September 3rd 2024