अपडेटेड 26 August 2024 at 23:37 IST

EXPLAINER/ क्या है फरक्का बैराज-तिपाईमुख विवाद? हसीना के गद्दी छोड़ते ही अब भारत-बांग्लादेश के बीच आएगी दरार!

Farakka Barrage Dispute: बांग्लादेश ने फरक्का बैराज को लेकर भारत पर असहयोग का आरोप लगा दिया है।

Follow : Google News Icon  
Bangladesh Flood
Bangladesh Flood | Image: AP

Farakka Barrage Dispute: बांग्लादेश ने फरक्का बैराज (Farakka Barrage) को लेकर भारत पर असहयोग का आरोप लगा दिया है। हालांकि, इसको लेकर भारतीय विदेश मंत्रालय ने सफाई दी, लेकिन ये भी एक सच्चाई है कि ये विवाद सालों से दोनों पड़ोसियों भारत-बांग्लादेश के बीच का एक कांटा है।

असल में, बांग्लादेश के सीमावर्ती इलाकों में बाढ़ से हुई भारी तबाही के मद्देनजर बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के सलाहकार मोहम्मद नाहिद इस्लाम ने नई दिल्ली पर असहयोग का आरोप लगाया और त्रिपुरा बांध के स्लुइस गेट को बिना किसी पूर्व सूचना के खोलने के लिए दोषी ठहराया।

क्या है फरक्का बैराज विवाद?

बांग्लादेश और भारत के बीच जल आवंटन विवाद 1975 से चला आ रहा है, जब भारत ने पश्चिम बंगाल के मालदा और मुर्शिदाबाद जिलों में गंगा नदी पर फरक्का बैराज का निर्माण किया था। दोनों देशों के बीच तनाव तब पैदा हुआ जब बांग्लादेश ने इस बात पर जोर दिया कि गंगा नदी को एक अंतरराष्ट्रीय नदी के रूप में मान्यता दी जाए, जिसके लिए आपसी समझौते के तहत इसके प्रवाह के नियमन की आवश्यकता है। आखिरकार शेख हसीना की अवामी लीग सत्ता में आई और इस मुद्दे को सुलझाया गया, जिसके परिणामस्वरूप 1996 में एक नई गंगा जल संधि को अंतिम रूप दिया गया। अब दोनों पड़ोसियों के बीच विवाद का एक और नया कारण मणिपुर में तिपाईमुख बांध (Tipaimukh dam) का निर्माण है।

क्या है तिपाईमुख विवाद?

भारत ने बराक नदी पर तिपाईमुख बांध बनाने का प्रस्ताव दिया है, जो भारत और बांग्लादेश के बीच एक प्रमुख सीमा पार नदी है। बराक नदी असम से होकर बहती है और बांग्लादेश में प्रवेश करने पर दो नदियों सूरमा और कुशियारा में बंट हो जाती है। कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि तिपाईमुख बांध शरद ऋतु, सर्दी और गर्मी के शुष्क मौसम के दौरान सूरमा और कुशियारा नदियों में पानी के प्रवाह को कम कर देगा। शुष्क मौसम बांग्लादेश के लिए चिंता का विषय है, क्योंकि हाओर बेसिन में बोरो धान (एक सूखी फसल किस्म) की खेती देश की मुख्य आर्थिक गतिविधि है।

Advertisement

बांग्लादेश के सिलहट डिवीजन में हाओर बेसिन, एक रामसर साइट है जो सूखे धान की किस्म की खेती में प्रमुख योगदान देती है।बोरो धान की खेती के मौसम के दौरान बांध को लंबी अवधि के लिए बंद करना पड़ता है। कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि इस तरह की कार्रवाई से नदी के पारिस्थितिकी तंत्र पर असर पड़ेगा, जिससे बांग्लादेश में फसलों की खेती को नुकसान होगा।

बांग्लादेश ने तिपाईमुख परियोजना के निर्माण पर चिंता जताई है। उनका तर्क है कि इससे नदी की मौसमी लय प्रभावित हो सकती है और बांग्लादेश की डाउनस्ट्रीम कृषि और मत्स्य पालन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।

Advertisement

इसके अलावा, हरित कार्यकर्ताओं का कहना है कि तिपाईमुख क्षेत्र कई लुप्तप्राय प्रजातियों का निवास स्थान है, जिनमें भौंकने वाले हिरण, गिब्बन, तेंदुए, ग्रे सिबिया, सीरो और रूफस-नेक्ड हॉर्नबिल-मणिपुर का राज्य पक्षी शामिल है।

ये भी पढ़ेंः फरक्का बैराज विवाद: बांग्लादेश के आरोप पर भारत की प्रतिक्रिया, कहा- अफवाह पर ध्यान देने की जगह...

Published By : Kunal Verma

पब्लिश्ड 26 August 2024 at 23:37 IST