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Published 12:21 IST, September 27th 2024

EXPLAINER/ UP का वो चुनाव...'पंचायत' के 'फुलेरा' में जो न हुआ वो यहां हुआ, दबंग MLA को दौड़ाकर पीटा; Flashback

रमाकांत ने कभी सपने में भी न सोचा होगा कि उसके साथ क्या होने वाला है? वो पोलिंग बूथ पर पहुंचा तब तक गांव के मात्र 20 घरों के राजपूतों ने मोर्चा संभाल लिया था।

Reported by: Ravindra Singh
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वेब सीरीज 'पंचायत' के 'फुलेरा' में जो न हुआ वो यहां हुआ, दबंग MLA को दौड़ाकर पीटा | Image: Social Media X @DhruvSeva

रवींद्र प्रताप सिंह

Flashback Story of 1993 UP Election Phoolpur Assembly Seat: अभी हाल में ही आई वेब सीरीज 'पंचायत' (Web Serise Panchayat) पूरे देश में लोकप्रिय (Populer) हुई। आज 'पंचायत' का जिक्र इसलिए क्योंकि उसमें एक ऐसा सीन है जिसमें 'फुलेरा' गांव (Phulera Village) का दुश्मन पूर्व विधायक (Former MLA) अपने हथियारबंद गैंग के साथ पूरे गांव को घेर लेता है। वहीं गांव वाले भी विधायक (MLA) को जवाब देने के लिए हथियार, बंदूक, लाठी सहित गांव के बाहर आकर जम जाते हैं। ऐसा ही एक नजारा उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के आजमगढ़ (Azamgarh) जिले में देखने को मिला था, साल 1993 के विधानसभा चुनाव में (Assembly Election of 1993)। आजमगढ़ के सबसे आखिरी पश्चिमी छोर पर स्थित ग्राम 'जमुहट' (Zamuhat) की ये कहानी है। 1993 की वो कहानी आज क्यों? अब आपके जेहन में ये सवाल जरूर उठा होगा, तो चलिए आपको बता देते हैं कि  वेबसीरीज 'पंचायत' का वो सीन जिसमें विधायक गांव वालों को मारने के लिए अपने हथियारबंद गुर्गों के साथ जाता है। कुछ ऐसा ही सीन साल 1993 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान आजमगढ़ की फूलपुर सीट पर भी दिखाई दिया था। ये घटना ग्राम 'जमुहट' की है, तब मीडिया इतना सक्रिय नहीं था। कुछ लोकल अखबारों ने इस खबर को अपने पेज पर तब जगह दी थी।  


ये कहानी है 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या (Ayodhya) में कारसेवकों (Karsewak) द्वारा बाबरी विध्वंस (Babari Demolition) किए जाने के बाद तत्कालीन कल्याण सिंह सरकार (Kalyan Singh Government) को केंद्र की पीवी नरसिम्हा राव (PV Narsimha Rao) द्वारा बर्खास्त किए जाने के बाद हुए विधानसभा चुनाव की। बाबरी विध्वंस के बाद 'राम लहर' (Ram Wave) के उस दौर में आजमगढ़ जिले की 'फूलपुर' विधानसभा सीट (Phoolpur Assembly Seat) की जिस पर समाजवादी पार्टी के टिकट पर तत्कालीन बाहुबली विधायक रमाकांत यादव (Bahubali MLA Ramakant Yadav) मैदान में थे। उस समय रमाकांत यादव बसपा (BSP) से विधायक थे लेकिन साल 1992 में समाजवादी पार्टी ( Samajwadi Party ) का गठन हो जाने के बाद रमाकांत यादव ने सपा ज्वाइन कर ली थी। उसकी गिनती पूर्वांचल के दबंग नेताओं में होती थी। 1989 के बाद से इस सीट पर रमाकांत परिवार का ही दबदबा है। इस सीट पर बीजेपी से कलाफत पुर केअयोध्या मिश्रा ( BJP Candidate Ayodhya Mishra) मैदान में थे। राम लहर को लेकर हिन्दुओं में एकता झलक रही थी। ऐसे में सपा के सामने चुनाव जीतने के लिए अवैध तरीकों (Invallid Process) से बूथ कैप्चरिंग (Booth Capturing) के अलावा कोई विकल्प न था।


पोलिंग बूथ पर रमाकांत के गुर्गों की दबंगई

सुबह का समय था और 'जमुहट' ग्राम सभा की प्राइमरी पाठशाला में वोटिंग करवाई जानी थी। तब चुनाव बैलेट पेपर से होते थे। सुबह के लगभग 9 बज रहे होंगे इसी दौरान खबर आती है कि 'अंबारी' के पोलिंग बूथ पर रमाकांत यादव अपने गुर्गों के साथ पहुंचकर वहां पर मनमानी कर रहा है। स्थानीय लोगों को जिस बात का डर था आखिर वही हो गया। अंबारी में तो किसी ने रमाकांत का विरोध नहीं किया। विधायकी और दबंगई के नशे में चूर रमाकांत यादव का अगला निशाना ग्राम सभा 'जमुहट' था, जहां पर युवा राम नाम की अलख के साथ वोटिंग के लिए पहुंचे थे। ग्राम सभा के दुबे के पुरवा के कुछ ब्राह्मण वोटिंग के लिए लाइन में खड़े थे तभी रमाकांत यादव का गुर्गा राम आसरे वहां पहुंचता है और लोगों को डरा-धमका कर कहता है कि तुम सब अपने घर जाओ वोटिंग हो जाएगी। तभी वहां बीजेपी के पोलिंग एजेंट महेंद्र प्रताप सिंह ने इसका विरोध किया और राम आसरे को दौड़ा-दौड़ा कर पोलिंग बूथ पर पीटा।


रमाकांत के गुर्गे को पहले दौड़ा-दौड़ाकर पीटा

अभी ये मामला खत्म भी नहीं हो पाया था कि राम आसरे कि पिटाई की खबर रमाकांत यादव तक जा पहुंची। जैसे ही उसने ये खबर सुनी वो अपने दल-बल के साथ 'जमुहट' ग्राम सभा के पोलिंग बूथ पर पहुंच गया। रमाकांत यादव ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि 'जमुहट' ग्राम सभा में उसके साथ क्या होने वाला है? जब तक वो पोलिंग बूथ पर पहुंचता तब तक 'जमुहट' ग्राम सभा के मात्र 20 घरों के राजपूत समुदाय के लोगों ने पोलिंग बूथ पर पहुंचकर मोर्चा संभाल लिया था। उस समय उन्हें इस बात का डर न था कि अंजाम क्या होगा? एक तरफ एक बाहुबली विधायक अपने हथियारबंद गुर्गों के साथ दूसरी तरफ लाठी-डंडों के साथ 'जमुहट' ग्राम सभा के  तहसीलदार सिंह, डॉ. राजेंद्र प्रसाद सिंह, महेंद्र प्रताप सिंह, ग्राम प्रधान रिखराज सिंह और आत्मा राम तिवारी ( ग्राम गालीपुर) के नेतृत्व में सैकड़ों युवा वहां इकट्ठा हो गए।


ग्रामीणों ने जमकर की विधायक रमाकांत यादव की पिटाई

बाहुबली विधायक रमाकांत को इस बात की जरा भी उम्मीद न थी कि आस-पास के गांव वाले 'जमुहट' ग्राम सभा के राजपूतों के साथ खड़े हो जाएंगे। दरअसल ये वो इलाका है जहां पर 4 जिलों का बॉर्डर था। महज एक किमी की दूरी में ही 4 जिले जुड़ते थे। आजमगढ़, जौनपुर, सुल्तानपुर और फैजाबाद। जैसे ही रमाकांत यादव पोलिंग बूथ पर लोगों को अनाप-शनाप बकता हुआ दबंगई के साथ दाखिल हुआ। वहां की जनता की अगुवई कर रहे डॉ आरपी सिंह, तहसीलदार सिंह, महेंद्र प्रताप सिंह और आत्मा राम तिवारी ने मिलकर उसे उसकी जीप से बाहर घसीट लिया। वहां की भीड़ ने जय श्रीराम के नारे लगाते हुए रमाकांत के गुर्गों को जमकर पीटा। वो किसी तरह से वहां से जान बचाकर भागे। इस बीच रमाकांत को जीप से बाहर निकालकर लोगों ने जमकर पीटा।

 

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'ये ठाकुरों का गांव है...'

इस मामले में रिपब्लिक भारत ने जब 'जमुहट' ग्राम सभा के तहसीलदार सिंह से बातचीत की तो उन्होंने बताया, 'चुनाव वाले दिन स्कूल पर वोटिंग होनी थी और दूबे के पूरवा की लाइन लगी थी तो उसने लाइन तोड़कर रमाकांत के गुर्गे राम आसरे ने बूथ कैप्चरिंग की कोशिश की थी। इसी दौरान बीजेपी के एजेंट महेंद्र प्रताप सिंह ने राम आसरे को रोका तो इस दौरान उसने रमाकांत यादव की दबंगई की धमकी देकर उनसे हाथापाई की कोशिश की तो महेंद्र सिंह ने राम आसरे को ललकारते हुए कहा, 'ये ठाकुरों का गांव है, यहां तुम्हारी दबंगई नहीं चलने वाली' और इतना कहते ही उनके समर्थकों ने राम आसरे को जमकर पीटा। अब ये खबर गोली की तरह से रमाकांत यादव तक पहुंची। रमाकांत यादव बूथ पर पहुंचकर बूथ कैप्चरिंग की कोशिश की लेकिन 'जमुहट' गांव के महज 20 घरों के राजपूतों ने इस दबंग विधायक और उसके गुर्गों को बुरी तरह से पीटा था। बाद में हमने इस मामले में रमाकांत की ओर से जानलेवा हमले (धारा 307) का मुकदमा काफी दिनों तक लड़ा था। अब केस खत्म हो चुका है और हम सब इस मामले से बरी हैं।'


पोलिंग बूथ पर तैनात फोर्स ने बचाई रमाकांत की जान

'जमुहट' ग्राम सभा के रहने वाले डॉ राजेंद्र प्रसाद सिंह के मुताबिक, 'ये लोग सुबह 9 बजे के लगभग अपने दल-बल के साथ आए और बूथ में घुस गए इसके बाद बूथ कैप्चर करके जबरन वोटिंग करने लगे। जब हम लोगों को पता चला तो हम लोग भी वहां पहुंचे और बूथ कैप्चरिंग करने आए लोगों को रोका इसके दौरान उन लोगों ने हमारे लोगों के साथ हाथा-पाई की और मैंने आगे आकर रमाकांत यादव को उसकी जीप से खींचकर बाहर निकाल लिया था। इस दौरान हम लोग लगातार उसे पीटते रहे। हालांकि तत्कालीन विधायक होने के नाते फोर्स ने आगे बढ़कर उसे बचाया और घेरा बनाकर हम लोगों से दूर ले गए। पिटाई के दौरान रमाकांत के मुंह से और नाक से खून भी निकलने लगा था।' आरपी सिंह ने आगे बताया, 'बाद में रमाकांत ने हम लोगों (तहसीलदार सिंह पुत्र राजबलि सिंह, डॉ रजिंदर सिंह पुत्र भगवती प्रसाद सिंह और आत्मा राम तिवारी ग्राम-गालीपुर ) पर एफआईआर करवाई और 307 का मुकदमा दायर करवाया और साथ में जान से मारने की धमकी भी दी थी। बहरहाल अब सारे मुकदमे खत्म हो गए हैं।'

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जो 'पंचायत' के फुलेरा में न हुआ वो 'जमुहट' के राजपूतों ने...

'पंचायत' वेब सीरीज में विधायक ने धोखे से खरीदे गए अपने घोड़े के सौदे का बदला लेने के लिए पूरे 'फुलेरा' गांव को घेर लिया था। वो पूरे गैंग के साथ हथियार लेकर ग्राम पंचायत 'फुलेरा' जा पहु्ंचा था। इस दौरान गांव वालों ने भी ये नहीं देखा था कि मुसीबत कितनी बड़ी है उन्होंने भी मुकाबला करने की ठान ली थी। हालांकि यहां पर डीएम और सांसद का फोन विधायक को आ गया जिसके बाद वो न्यट्रलाइज हो गया और अपनी गैंग को बिना हमला किए ही लेकर वापस चला गया लेकिन अगर हम आजमगढ़ के ग्राम 'जमुहट' की बात करें तो वहां पर बाहुबली विधायक और उसके हथियारबंद गुर्गों के सामने गांव की आन बान और शान को बनाए रखा। उन्होंने न सिर्फ बाहुबली विधायक को मुंहतोड़ जवाब दिया बल्कि देशभर के सामने ये संदेश दिया कि मुसीबत कितनी भी बड़ी हो मगर हम अपनी एकजुटता को बनाए रखें तो बड़ी से बड़ी मुसीबत को भी अपना रास्ता बदलना पड़ेगा।


1993 विधानसभा चुनाव के परिणाम

भले ही 'जमुहट' ग्राम सभा में बाहुबली विधायक बूथ कैप्चरिंग करने में नाकाम हो गया हो लेकिन वो चुनाव समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार रमाकांत यादव ने जीत लिया था। इसके बाद यूपी में सपा की सरकार बनी थी। हालांकि इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी 177 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी और उसे कुल 33.3 फीसदी वोट मिले थे। वहीं समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने मिलकर चुनाव लड़ा ये वही दौर था जब कांशीराम और मुलायम सिंह यादव ने ये नारा दिया था, 'मिले मुलायम कांशीराम, हवा में उड़ गए जय श्रीराम'। सपा ने इस चुनाव में 256 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे जिसमें से 17.9 फीसदी वोटों के साथ 109 सीटें उसके खाते में आईं। वहीं बसपा ने 164 सीटों पर चुनाव लड़ा और 11.12 फीसदी वोटों के साथ उसे 67 सीटें मिली थीं। सपा बसपा ने मिलकर सरकार बनाई थी और मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री बने थे। यहां अगर वोटिंग परसेंटेज की बात करें तो वो बीजेपी के ज्यादा थे बीजेपी- 33.3 प्रतिशत, सपा+बसपा 29.06 प्रतिशत।

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जानिए फूलपुर विधानसभा का इतिहास

साल 1967 में फूलपुर विधानसभा सीट अस्तित्व में आई और सबसे पहले कांग्रेस ने इस सीट पर कब्जा जमाया इसके बाद इमरजेंसी के बाद हुए चुनाव 1977 में यहां से जनता पार्टी के उम्मीदवार पद्माकर, 1980 में कांग्रेस के अबुल कलाम, 1985 में निर्दलीय उम्मीदवार रमाकांत यादव और 1989 में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के रमाकांत विधायक फिर से निर्वाचित हुए थे। फूलपुर विधानसभा सीट से 1991 में जनता पार्टी और 1993 में समाजवादी पार्टी (सपा) के टिकट पर रमाकांत यादव, 1996 और 2002 में कांग्रेस के रामनरेश यादव, 2007 में सपा के अरुण कुमार यादव विधानसभा पहुंचे थे तो 2012 में सपा के सैय्यद अहमद विधानसभा चुनाव जीते थे। 2017 में पहली बार फूलपुर विधानसभा सीट पर खिला था कमल लेकिन इस बार भी यहां रमाकांत यादव के बेटे अरुण कुमार यादव विधायक बने थे। साल 2022 में एक बार फिर से बीजेपी ने यहां बाजी मारी और


फूलपुर में 1985 से अब तक चुने गए विधायक और उनकी पार्टी

वर्ष विधायकपार्टी
1985रमाकांत यादव आईसीजे
1989रमाकांत यादवबसपा
1991रमाकांत यादवसजपा
1993रमाकांत यादवसपा
1996राम नरेशकांग्रेस
2002राम नरेशकांग्रेस
2007अरुण कांतसपा
2012श्याम बहादुरसपा
2017अरुण कांतबीजेपी

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कौन है रमाकांत यादव?

रमाकांत यादव की गिनती पूर्वांचल के बाहुबली नेताओं के रूप में की जाती है। साल 2014 के लोकसभा चुनाव में आजमगढ़ की सीट से मुलायम सिंह यादव के खिलाफ रमाकांत यादव लोकसभा उम्मीदवार थे। इस चुनाव को जीतने के लिए उत्तर प्रदेश की समाजवादी पार्टी की सरकार को एड़ी चोटी का जोर लगा देना पड़ा था। मुलायम सिंह यादव के पूरे कुनबे को इस चुनाव में जीत के लिए जमीन पर उतरने को मजबूर होना पड़ा था। साल 1985 में पहली बार निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर फूलपुर विधानसभा से रमाकांत ने अपना सियासी सफर शुरू किया था। तब से अब तक, लगभग 39 साल में रमाकांत चार बार विधायक और चार बार ही सांसद चुने गए। सपा, बसपा, बीजेपी और कांग्रेस सभी पार्टियों में रह चुके हैं रमाकांत यादव।

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Updated 16:18 IST, September 27th 2024