Updated April 13th, 2024 at 12:36 IST
चुनावी किस्सा: जब TN Seshan को PM इंदिरा ने फोन कर बुलाया, दागा सवाल- आप लोगों को धमकाते क्यों हैं?
टीएन शेषन एक ऐसा नाम जिनके आगे देश का दिग्गज भी मायने नहीं रखता था।इमानदारी उनका सबसे बड़ा हथियार थी जिसके बल पर शेषन PM इंदिरा गांधी के सामने भी नहीं हिचकिचाए।
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TN Seshan : आत्मकथा थ्रू द ब्रोकेन ग्लास में टीएन शेषन ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का डट कर सामना करने का किस्सा लिखा है। शेषन तब उप सचिव पद पर थे और उनके बॉस ने नेगेटिव मार्किंग कर दी थी। इंदिरा ने इसी सिलसिले में तलब किया था। ये वो दौर था जब देश की पहली महिला पीएम का दबदबा दुनिया मानती थी। उनकी तूती बोलती थी। कद के सब कायल थे लेकिन इमानदार शेषन इस दबाव में तब भी नहीं आए।
अपनी ठसक भरी जिंदगी का दस्तावेज थ्रू द ब्रोकेन ग्लास में इकट्ठा किया और दुनिया के सामने वो अनछुए, अनजाने किस्से ले आए। बतौर ईसीआई जो 6 साल तक किया वो तो है ही इसके अलावा पुराने, दिलचस्प और रोमांच से भरी कहानियां भी। इसमें ही इंदिरा गांधी से हुई वार्ता का लेखा जोखा है!
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'आप आक्रामक हैं...जी मैडम'
थ्रू द ब्रोकेन ग्लास का ये दिलचस्प किस्सा कुछ यूं है- तब परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष होमी सेठना था। उन्होंने 1972 में टीएन शेषन के कामकाज को लेकर एक रिपोर्ट तैयार की। शेषन विभाग में उप सचिव पद पर थे। सेठना ने सिक्रेट रिपोर्ट बनाई थी जिसमें नेगेटिव रिमार्क्स थे। इसके जवाब में शेषन ने अपना बचाव करते हुए कैबिनेट सचिव टी स्वामिनाथन को 10 पन्नों का एक्सप्लेनेशन लिख कर अनुरोध किया कि उनके टिप्पणी को उस रिपोर्ट से हटा दिया जाए। बात इंदिरा गांधी तक पहुंची।
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आत्मकथा ‘थ्रू द ब्रोकेन ग्लास’ में टीएन शेषन लिखते हैं- “इंदिरा गांधी ने फाइल से सिर उठा कर मुझसे पूछा तो आप शेषन हैं? आप इस तरह का बुरा बर्ताव क्यों कर रहे हैं? सेठना आपसे नाराज़ क्यों हैं?... मैंने विनम्रतापूर्वक जवाब दिया मैडम मैंने ये बात आज तक किसी को नहीं बताई है। (इसके बाद उन्होंने दो वरिष्ठों के बीच के मतभेद की ओर इशारा किया।) इस पर “इंदिरा ने पूछा, क्या आप अग्रेसिव हैं? मैंने जवाब दिया अगर मुझे कोई काम दिया जाता है तो मैं आक्रामक होकर उसे पूरा करता हूं। उनका अगला सवाल था आप लोगों से रूखा बर्ताव क्यों करते हैं? मैंने कहा कि अगर कोई काम निश्चित समय के अंदर नहीं होता तो मेरा व्यवहार खराब हो जाता है।”
आप लोगों को धमकाते हैं?
देश की पीएम और एक ब्यूरोक्रेट के बीच वार्तालाप का सिलसिला यहीं खत्म नहीं हुआ। इंदिरा ने फिर पूछा- क्या आप लोगों को धमकाते हैं? मैंने कहा मैं इस तरह का शख़्स नहीं... इंदिरा गांधी ने अपने असिस्टेंट से कहा, ‘उन्हें बुलाइए’। तभी होमी सेठना इंदिरा गांधी के दफ्तर में आए। इंदिरा ने मेरे सामने ही उनसे पूछा- आपने इस युवा शख़्स की गोपनीय रिपोर्ट में ये सब क्यों लिखा है?”
फिर आया पीएम ऑफिस से फोन, और…
शेषन आगे लिखते हैं- तीन महीने बाद प्रधानमंत्री कार्यालय से फ़ोन आया कि प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी मिलना चाहती हैं...जब मैं साउथ ब्लॉक के दफ़्तर में दाखिल हुआ तो वो फाइल पर कुछ लिख रही थीं... फिर उन्होंने मेरी तरफ़ इस तरह देखा मानो कह रही हों, अब तुम यहां क्या कर रहे हो? मुझे लगा कि इंदिरा गांधी भी मुझसे खफा हैं, लेकिन 10 दिन बाद मुझे सरकार की ओर से खत मिला कि मेरे खिलाफ़ सभी प्रतिकूल प्रविष्टियाँ मेरी सीक्रेट रिपोर्ट से हटा दी गई है।”
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Published April 13th, 2024 at 12:32 IST
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