अपडेटेड 24 November 2024 at 14:45 IST

Sambhal Masjid: क्या है संभल की मस्जिद को लेकर केस, क्यों शहर में हो रहा है बवाल? सब कुछ जानिए

Sambhal Jama Masjid: संभल में जामा मस्जिद के सर्वे को लेकर बवाल है। रविवार को सर्वे को रोकने के लिए हजारों की भीड़ ने पुलिस पर पथराव किया।

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Sambhal Jama Masjid
Sambhal Jama Masjid | Image: ANI

Sambhal Jama Masjid Survey Controversy: पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुस्लिम बाहुल्य शहर संभल की शाही जामा मस्जिद अपने उद्गम को लेकर कानूनी विवाद में फंसी है। अदालत के आदेश पर सर्वे हो रहा है, लेकिन विरोध में विशेष समुदाय के हजारों लोगों की भीड़ खड़ी है। रविवार को हालात हिंसा में तब्दील हो गए। आग की चिंगारी उठी तो कुछ गाड़ियां जलकर खाक हो गई। पुलिस की लाठियां बाहर निकलकर आ गईं। गनों से आंसू गैस के गोले छोड़े जाने लगे। मस्जिद के आसपास का इलाका सील है, लेकिन हजारों की भीड़ उसके नजदीक खड़े होकर सर्वे को रोकने पर आमादा है।

संभल मस्जिद में अदालत के आदेश पर रविवार को सर्वे का काम दूसरी बार शुरू हुआ। तकरीबन सुबह 7 बजे सर्वे करने वाली टीम मस्जिद पहुंच गई। जब कोर्ट कमिश्नर ने सर्वे शुरू किया तो मस्जिद के आसपास विशेष समुदाय के लोगों की भीड़ जमा होने लगी, लेकिन इसी बीच कुछ तथाकथित अराजक तत्वों ने पत्थरबाजी शुरू कर दी। पुलिस ने भीड़ का काबू करने की कोशिश की। हालात बिगड़ने पर पुलिस ने स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए हल्का बल प्रयोग किया और आंसू गैस के गोले दागे।  सीओ संभल , इंस्पेक्टर और कुछ अन्य पुलिसकर्मियों के घायल होने की जानकारी दी। हालांकि सर्वे का काम जारी है।

संभल में आज क्या-क्या हुआ?

  • रविवार सुबह कोर्ट कमिश्नर ने सर्वे शुरू किया।
  • जामा मस्जिद के बाहर भीड़ पुलिस से भिड़ी।
  • झड़प के बाद अराजक तत्वों ने पत्थरबाजी शुरू की।
  • पुलिस ने भीड़ पर लाठियां भांजी।
  • हालात काबू करने के लिए आंसू गैस के गोले दागे गए।
  • उपद्रवियों की भीड़ ने पथराव के बाद आगजनी शुरू की।
  • कार जलाने के बाद सड़क किनारे खड़ी बाइकों को फूंकने की कोशिश।
  • पथराव में कई पुलिसकर्मियों को चोटें आईं।
  • 10 लोगों को हिरासत में लिया गया है।

संभल में कहां है जामा मस्जिद?

संभल शहर के केंद्र में ऊंचे टीले पर मोहल्ला कोट पूर्वी के भीतर शाही जामा मस्जिद बनी हुई है, जो आसपास की सबसे बड़ी इमारत है। ये इमारत 1920 में भारतीय पुरातत्व सर्वे (ASI) के तहत संरक्षित घोषित की गई, जिसके बाद ये एक राष्ट्रीय महत्व की इमारत भी मानी जाती है। संभल की जामा मस्जिद के मेन गेट के सामने ज्यादा हिंदू आबादी रहती है, जबकि मस्जिद की पिछली दीवार के चारों ओर मुस्लिम समुदाय के लोग बसे हैं।

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संभल की जामा मस्जिद का इतिहास क्या है?

संभल की जामा मस्जिद, बाबर के 1526 और 1530 के बीच पांच साल के शासनकाल के दौरान बनाई गई 3 मस्जिदों में से एक है। अन्य दो मस्जिदों में एक पानीपत की मस्जिद है और दूसरी अयोध्या में ध्वस्त हो चुकी बाबरी मस्जिद थी।

संभल आज के समय में मुस्लिम बाहुल्य शहर है, लेकिन हिंदू शास्त्रों में इसका अलग उल्लेख मिलता है। कहा जाता है कि घोर कलयुग के समय में यहां भगवान विष्णु के एक अवतार कल्कि प्रकट होंगे। वही कलयुनग का अंत करके नए युग की शुरुआत करेंगे। संभल के मौजूदा हालात में इसकी चर्चा इसलिए कि दावा होता रहा है कि संभल में जहां जामा मस्जिद बनी है, वो एक मंदिर को तोड़कर बनाई गई। 1527-28 में बाबर के सेनापति ने श्री हरिहर मंदिर को आंशिक रूप से ध्वस्त किया था।

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जामा मस्जिद या हरिहर मंदिर, संभल में इस पर विवाद

संभल की जामा मस्जिद का विवाद अयोध्या, काशी और मथुरा में चल रहे मामलों के बीच बढ़ा है। हिंदू पक्ष दावा करता है कि हरिहर मंदिर को तोड़कर जामा मस्जिद बनाई गई थी। मुस्लिम पक्ष जामा मस्जिद को लेकर हिंदू पक्ष की दावों को खारिज करता है। हालिया लड़ाई कानूनन लड़ी जा रही है, जिसमें अदालत की ओर से आए मस्जिद के सर्वे ऑर्डर पर काम हो रहा है।

संभल के सिविल जज की अदालत में विष्णु शंकर जैन की ओर से जामा मस्जिद को लेकर वाद दायर किया गया। सुप्रीम कोर्ट के वकील हरिशंकर जैन और केला देवी मंदिर के महंत ऋषिराज गिरि समेत 8 वादी हैं। वादियों ने भारत सरकार, उत्तर प्रदेश सरकार और संभल जामा मस्जिद समिति को विवाद में पार्टी बनाया है। याचिका में कहा गया-' मस्जिद मूल रूप से एक हरिहर मंदिर था, जिसे 1529 में मस्जिद में बदल दिया गया। मंदिर को मुगल सम्राट बाबर ने 1529 में ध्वस्त कराया था। बाबरनामा और आइन-ए-अकबरी किताब में इस बात का उल्लेख है कि जिस जगह पर जामा मस्जिद बनी है, वहां कभी हरिहर मंदिर हुआ करता था।'

मुस्लिम पक्ष भी मानता है कि जामा मस्जिद बाबर ने बनवाई थी और आज तक मुसलमान इसमें नमाज पढ़ते आ रहे हैं। हालांकि मुस्लिम पक्ष कानूनी विवाद में सुप्रीम कोर्ट के 1991 के उस ऑर्डर को आधार बनाकर अपना विरोध दर्ज कराता है, जिसमें अदालत ने कहा था कि 15 अगस्त 1947 से जो भी धार्मिक स्थल जिस भी स्थिति में हैं, वो अपने स्थान पर बने रहेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या पर फैसले के समय भी इस पर जोर दिया था। इसके जरिए मुस्लिम पक्ष संभल की जामा मस्जिद पर हक जताता है और हिंदू पक्ष के दावे, किसी अन्य न्यायिक कार्यवाही को कानून की अवहेलना बताया है।

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Published By : Dalchand Kumar

पब्लिश्ड 24 November 2024 at 13:42 IST