अपडेटेड 26 January 2024 at 21:18 IST

Republic Day परेड 2024 में 'पहली बार' हुईं ये चीजें! जानिए इस साल का गणतंत्र दिवस कैसे बना ऐतिहासिक

Republic Day Parade 2024: आज भारत ने अपना 75वां गणतंत्र दिवस मनाया। इस साल कई ऐसे काम हुए, जो पहली बार किए गए।

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Republic Day Parade 2024
रिपब्लिक डे परेड | Image: X/@narendramodi

Delhi News: भारत ने आज अपना 75वां गणतंत्र दिवस मनाया, जिसमें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने परेड का नेतृत्व किया और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों मुख्य अतिथि रहे।

आपको बता दें कि इस दिन नारी शक्ति का जश्न मनाया गया और पहली बार महिलाओं की त्रि-सेवा टुकड़ी से लेकर परेड बग्गी की बहाली तक की सीरीज में कई चीजें पहली बार हुई।

बग्गी की बहाली

इस साल राष्ट्रपति मुर्मू और उनके फ्रांसीसी समकक्ष मैक्रों 'पारंपरिक बग्गी' में नई दिल्ली के कर्तव्य पथ पर पहुंचे। आपको बता दें कि राष्ट्रपति को राष्ट्रपति भवन से राजपथ तक लाने के लिए पहले घोड़ा-बग्गी का इस्तेमाल किया जाता था, लेकिन करीब 40 साल पहले यह परंपरा बंद कर दी गई। इसके बदले पिछले सालों में एक सेडान का उपयोग किया गया था।

पहली बार महिलाओं की त्रि-सेवा टुकड़ी

देश ने कर्तव्य पथ पर महिला टुकड़ी का दम खम देखा। पहली बार महिलाओं की त्रि सेवा टुकड़ी ने कदमताल किया। इसमें 148 सैनिक शामिल थीं। दस्ते की कमान कैप्टन संध्या ने संभाली। इस दस्ते में जल, थल और वायुसेना की महिला सैनिक शामिल हुईं। इस टुकड़ी का मूल मंत्र -सेवा तथा सहायता है।

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पहली बार गणतंत्र दिवस के मौके पर दिल्ली पुलिस की ओर से परेड में सिर्फ महिला पुलिसकर्मी शामिल हुईं। मार्चिंग दस्ते में कुल 194 महिला हेड कॉन्स्टेबल और महिला कॉन्स्टेबल ने हिस्सा लिया। इनका नेतृत्व IPS ऑफिसर श्वेता के सुगथन कर रही थीं।

100 से अधिक महिला कलाकारों ने परेड की शुरुआत की

परम्परा से अलग शंखनाद और नगाड़े बजाकर भव्य आयोजन की शुरुआत की गई। इसमें 100 से अधिक महिला कलाकार विभिन्न प्रकार के ताल वाद्ययंत्र बजाते हुए शामिल हुईं। पहली बार परेड में शामिल इस संगीत यात्रा में देश के विभिन्न हिस्सों के भारतीय वाद्ययंत्रों की ध्वनियां गुंजायमान हो रही थीं। 

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बैंड में 112 महिलाएं शामिल रहीं जिन्होंने लोक और आदिवासी वाद्ययंत्रों की प्रस्तुति दी। इनमें 20 कलाकारों ने महाराष्ट्र के ढोल ताशों की थाप प्रस्तुत की तो 16 कलाकारों ने तेलंगाना के परंपरागत दप्पू वाद्य यंत्र से स्वर लहरियां बिखेरीं। इनमें पश्चिम बंगाल के ढाक-ढोल की ध्वनियां, शंखनाद, केरल के परंपरागत ढोल की थाप भी सुनाई दी।

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Published By : Kunal Verma

पब्लिश्ड 26 January 2024 at 21:18 IST