अपडेटेड 6 September 2025 at 16:56 IST
EXPLAINER/ PM मोदी ने 4 बार नहीं उठाया फोन, अब US जाने से इनकार... 50% ट्रैरिफ के खिलाफ क्या है भारत का 'DRI' प्लान, जिससे नरम पड़ने लगे ट्रंप?
पीएम नरेंद्र मोदी अमेरिका में UNGA (संयुक्त राष्ट्र महासभा) में भी नहीं जाएंगे। संयुक्त राष्ट्र की ओर से जारी स्पीकर्स की लिस्ट से ये जानकारी सामने आई है।
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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाकर सोचा था कि भारत पाकिस्तान की तरह उनके कदमों में बैठ जाएगा। हालांकि, भारत ने एक नई रणनीति शुरू की। वो थी- DRI यानी Don't Reply and Ignore. अमेरिका के टैरिफ लगाने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसपर कोई रिएक्शन नहीं दिया। उन्होंने बेहतरीन तरीके से ट्रंप को इग्नोर किया।
इसके बाद जापान-चीन का दौरा और वहां पुतिन-जिनपिंग के साथ उनकी केमिस्ट्री से पूरी दुनिया का फोकस SCO समिट पर केंद्रित कर दिया। फिर क्या था, डोनाल्ड ट्रंप के सीने में तीर चुभने लगे और वो ब्रेकअप पोस्ट तक डालने लगे। उन्होंने यहां तक कह दिया कि अमेरिका ने चीन के हाथों भारत और रूस को खो दिया है।
इसके बाद अगले ही दिन डोनाल्ड ट्रंप का भारत प्रेम फिर जाग उठा और उन्होंने एक बयान में प्रधानमंत्री मोदी की खूब तारीफ की। ऐसा लगा जैसे भारत की ओर से इग्नोर वाली रणनीति काम आ गई। डोनाल्ड ट्रंप ने प्रधानमंत्री को महान इंसान बताया और ये भी कहा कि पीएम मोदी उनके बहुत अच्छे दोस्त हैं।
क्या बोले ट्रंप और पीएम मोदी?
राष्ट्रपति ट्रंप से पूछा गया कि "क्या आप इस समय भारत के साथ संबंधों को फिर से सुधारने के लिए तैयार हैं?", अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा, "मैं हमेशा तैयार रहूंगा। मैं हमेशा (प्रधानमंत्री) मोदी का दोस्त रहूंगा। वह एक महान प्रधानमंत्री हैं। मैं हमेशा दोस्त रहूंगा, लेकिन मुझे इस समय वह जो कर रहे हैं, वह पसंद नहीं है। लेकिन भारत और अमेरिका के बीच एक बेहद खास रिश्ता है। इसमें चिंता की कोई बात नहीं है। हमारे बीच बस कभी-कभी कुछ पल ऐसे होते हैं।"
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आपको बता दें कि टैरिफ पर पीएम मोदी ने कोई रिएक्शन नहीं दिया था, लेकिन ट्रंप की इस बात पर उन्होंने अपना बयान दिया। हालांकि, इस बयान में भी उन्होंने सिर्फ दोस्ती की बात की और टैरिफ का जिक्र तक नहीं किया। उन्होंने ऐसा दिखाया कि ट्रंप के टैरिफ से भारत को कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। पीएम मोदी ने कहा, "राष्ट्रपति ट्रंप की भावनाओं और हमारे संबंधों के सकारात्मक मूल्यांकन की हम तहे दिल से सराहना करते हैं और उनका पूर्ण समर्थन करते हैं। भारत और अमेरिका के बीच एक अत्यंत सकारात्मक और दूरदर्शी व्यापक एवं वैश्विक रणनीतिक साझेदारी है।"
भारत ने टैरिफ पर कैसी प्रतिक्रिया दी?
जर्मन अखबार फ्रैंकफर्टर अल्गेमाइन (Frankfurter Allgemeine) के अनुसार, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल के हफ्तों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर बात करने की कम से कम चार कोशिशें की, लेकिन मोदी ने उनसे बात करने से इनकार कर दिया। जर्मन अखबार का कहना है कि यह भारत के सख्त तेवर को दिखाता है।
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इसके अलावा काउंटर-टैरिफ या तीखी बयानबाजी से जवाबी कार्रवाई करने के बजाय नई दिल्ली ने बाहरी आघात को झेलने के लिए अपनी घरेलू अर्थव्यवस्था को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित कर दिया। 22 सितंबर को सरकार GST में एक महत्वपूर्ण बदलाव लागू करेगी। यह समय भारत में त्योहारी खरीदारी के मौसम के साथ मेल खाता है, इसलिए ऐसा लग रहा है कि इसे जानबूझकर लागू किया गया है। इस नए जीएसटी ढांचे में ऑटोमोबाइल से लेकर खाना पकाने के तेल तक, अनेक आवश्यक वस्तुओं पर कम टैक्स रेट लागू किए गए। साथ ही सरकार ने बताया कि इससे टैरिफ की मार बेअसर हो जाएगी।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी एक इंटरव्यू में कहा कि भारत रूस से कच्चा तेल खरीदना बंद नहीं करेगा। अमेरिकी टैरिफ को बेअसर करने के लिए अब जीएसटी में महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं, जिससे भारत की अर्थव्यवस्था और बेहतर हो जाएगी।
दूसरी तरफ, पीएम नरेंद्र मोदी अमेरिका में UNGA (संयुक्त राष्ट्र महासभा) में भी नहीं जाएंगे। संयुक्त राष्ट्र की ओर से जारी स्पीकर्स की लिस्ट से ये जानकारी सामने आई है। बताया जा रहा है कि विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर 27 सितंबर को UNGA को संबोधित करेंगे।
पीएम मोदी ने कैसे ट्रंप के तेवर ढीले कर दिए?
जब व्यापार तनाव बढ़ रहा था, प्रधानमंत्री मोदी पिछले हफ्ते शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए चीन के तियानजिन गए। इस कार्यक्रम में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन सहित गैर-पश्चिमी देशों के 20 से ज्यादा नेता शामिल हुए।
इस समिट की तस्वीरें तेजी से पूरे पश्चिमी जगत में फैल गईं। मोदी को पुतिन का हाथ थामे और शी और पुतिन दोनों के साथ उत्साहपूर्ण बातचीत करते हुए देखा गया। इसकी तस्वीरें अंतरराष्ट्रीय मीडिया मंचों पर व्यापक रूप से फैलीं, और कई लोगों ने इस पल को अमेरिका के प्रभुत्व को चुनौती देने की चाह रखने वाली तीन प्रमुख शक्तियों के बीच एकता के प्रतीकात्मक प्रदर्शन के रूप में परिभाषित किया। भारत के लिए यह शिखर सम्मेलन पॉलिसी के साथ-साथ दिखावे का भी था। जानकारों का मानना है कि शी और पुतिन के साथ मोदी की बातचीत अमेरिका को यह याद दिलाने के लिए सोच-समझकर की गई थी कि भारत को अमेरिका की जरूरत नहीं, उसके पास विकल्प मौजूद हैं।
Published By : Kunal Verma
पब्लिश्ड 6 September 2025 at 16:56 IST