अपडेटेड 23 August 2025 at 23:30 IST

'पाकिस्तान के साथ संबंधों में मध्यस्थता स्वीकार नहीं', जयशंकर ने गिनाईं भारत-अमेरिका रिश्ते की तीन बड़ी समस्याएं; ट्रंप को दिया करारा जवाब

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को रूसी कच्चे तेल की खरीद के लिए भारतीय वस्तुओं पर अमेरिका द्वारा 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगाने पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की।

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Jaishankar, Operation Sindoor
External Affairs Minister S Jaishankar | Image: ANI

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को रूसी कच्चे तेल की खरीद के लिए भारतीय वस्तुओं पर अमेरिका द्वारा 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगाने पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की और इस कदम को "अनुचित" बताया।

जयशंकर ने यह भी कहा कि वाशिंगटन के साथ व्यापार वार्ता जारी है, लेकिन कुछ ऐसी सीमाएं हैं जिनका नई दिल्ली को बचाव करना होगा। आपको बता दें कि रूसी तेल की बढ़ती खरीद के कारण भारतीय वस्तुओं पर 50 प्रतिशत तक का अतिरिक्त अमेरिकी शुल्क लगाया गया है, जो वाशिंगटन द्वारा लगाए गए अब तक के सबसे ज्यादा शुल्कों में से एक है। 25 प्रतिशत शुल्क पहले ही लागू हो चुका था, जबकि बाकी 25 प्रतिशत शुल्क 27 अगस्त से लागू होने वाला है।

'क्या यूरोपीय पैसा रूस के खजाने में नहीं जा रहा है?'

जयशंकर ने पश्चिमी देशों के रुख में विरोधाभास की ओर इशारा करते हुए कहा कि यूरोप, रूस के साथ भारत की तुलना में कहीं ज्यादा व्यापार करता है।

उन्होंने आगे कहा, "और जब लोग कहते हैं कि हम युद्ध के लिए पैसा मुहैया करा रहे हैं और पैसा लगा रहे हैं, तो रूस-यूरोपीय व्यापार भारत-रूस व्यापार से बड़ा है। तो क्या यूरोपीय पैसा रूस के खजाने में नहीं जा रहा है? अगर ऊर्जा की बात करें, तो वे (यूरोपीय संघ) बड़े खरीदार हैं। अगर यह तर्क दिया जाए कि कौन बड़ा व्यापारी है, तो वे हमसे बड़े हैं। रूस को भारत का निर्यात बढ़ा है, लेकिन उतना नहीं।"

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रूसी कच्चे तेल पर क्या बोले जयशंकर?

जयशंकर ने भारत द्वारा रूसी कच्चे तेल और रिफाइंड उत्पादों के निरंतर आयात की आलोचना पर भी निशाना साधा। जयशंकर ने कहा, "यह हास्यास्पद है कि व्यापार-समर्थक अमेरिकी प्रशासन के लोग दूसरों पर व्यापार करने का आरोप लगा रहे हैं। अगर आपको भारत से तेल या रिफाइंड उत्पाद खरीदने में कोई समस्या है, तो उसे न खरीदें। कोई आपको इसे खरीदने के लिए मजबूर नहीं करता। यूरोप खरीदता है, अमेरिका खरीदता है, इसलिए अगर आपको यह पसंद नहीं है, तो इसे न खरीदें।"

विदेश मंत्री ने आगे कहा कि भारत को अपने राष्ट्रीय हित में निर्णय लेने का पूरा अधिकार है। उन्होंने कहा, "हमारे राष्ट्रीय हित में लिए गए निर्णय हमारा अधिकार हैं, और मैं कहूंगा कि रणनीतिक स्वायत्तता का यही अर्थ है।"

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अमेरिका द्वारा भारतीय वस्तुओं पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने के मुद्दे पर जयशंकर ने कहा कि किसी भी व्यापार वार्ता में घरेलू किसानों के हित सर्वोपरि होते हैं। उन्होंने आगे कहा, "जब व्यापार की बात आती है, किसानों के हितों की, जब हमारी रणनीतिक स्वायत्तता की बात आती है, जब मध्यस्थता के विरोध की बात आती है, तो यह सरकार बिल्कुल स्पष्ट है। हमारी स्थिति स्पष्ट है। अगर कोई हमसे असहमत है, तो कृपया भारत के लोगों को बता दें कि आप किसानों के हितों की रक्षा के लिए तैयार नहीं हैं। कृपया भारत के लोगों को बता दें कि आप रणनीतिक स्वायत्तता को महत्व नहीं देते।"

'पाकिस्तान के साथ अपने संबंधों में मध्यस्थता स्वीकार नहीं'

जयशंकर ने दोहराया कि मई में चार दिनों तक चले भारत-पाकिस्तान संघर्ष को समाप्त करने में अमेरिका की कोई मध्यस्थता नहीं थी, जो ट्रंप के बार-बार के दावों के विपरीत है। उन्होंने आगे कहा, "भारत-पाक मुद्दे पर 1970 के दशक से, यानी 50 से भी ज्यादा सालों से इस देश में एक राष्ट्रीय सहमति है कि हम पाकिस्तान के साथ अपने संबंधों में मध्यस्थता स्वीकार नहीं करते।"

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Published By : Kunal Verma

पब्लिश्ड 23 August 2025 at 23:30 IST