अपडेटेड 23 August 2025 at 20:07 IST

जो टॅाप किया वो वकील बना, दूसरे नबंर वाला जज, मैं थर्ड आया और...बीआर गवई ने बताया CJI बनने का रोचक किस्सा

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) बीआर गवई ने शनिवार को कहा कि सफलता का स्तर परीक्षा के रिजल्ट से नहीं, बल्कि कड़ी मेहनत और अपने काम के प्रति समर्पण और प्रतिबद्धता से तय होता है।

Follow : Google News Icon  
CJI B R Gavai
CJI B R Gavai | Image: ANI

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) बीआर गवई ने शनिवार को कहा कि सफलता का स्तर परीक्षा के रिजल्ट से नहीं, बल्कि कड़ी मेहनत और अपने काम के प्रति समर्पण और प्रतिबद्धता से तय होता है। आपको बता दें कि सीजेआई गवई पणजी के निकट मीरामार में वी एम सलगांवकर कॉलेज ऑफ लॉ के स्वर्ण जयंती समारोह में बोल रहे थे।

बीआर गवई ने कहा कि परीक्षा के रैंक के बारे में मत सोचिए, क्योंकि इससे तय नहीं होता कि आप अपने जीवन में सफलता के किस स्तर तक पहुंचेंगे। आप अपने दृढ़ संकल्प, और कड़ी मेहनत से अपनी सफलता का स्तर खुद तय कर सकते हैं।

सीजेआई गवई ने सुनाई अपने बचपन की कहानी

सीजेआई गवई ने अपने बचपन की कहानी सुनाते हुए कहा कि वो पढ़ने में बहुत अच्छे थे, लेकिन वो अक्सर क्लास बंक कर देते थे। हालांकि, उन्होंने ये कहानी सुनाते हुए ये भी कहा कि मेरी नकल बिल्कुल नहीं करना। उन्होंने आगे बताया कि जब वो मुंबई के सरकारी लॉ कॉलेज में पढ़ते थे, तो अक्सर क्लास बंक करके कॉलेज की चारदीवारी पर बैठते थे, और उनकी हाजिरी उनके दोस्त लगा दिया करते थे।

सीजेआई गवई ने कहा, "जब मैं कानून की पढ़ाई के आखिरी साल में था, तो मुझे अमरावती जाना पड़ा। उस वक्त मेरे पिता विधान परिषद के सभापति थे। मैं जब तक अमरावती में रहा, तब तक मेरे एक दोस्त मेरी हाजिरी लगा देते थे, जो बाद में हाई कोर्ट के जज बने।"

Advertisement

'मैं तीसरे स्थान पर था, CJI बना'

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस गवई ने कहा कि रिजल्ट में जिसने टॉप किया, वो बाद में आपराधिक मामलों के वकील बने। दूसरे स्थान पर आने वाले छात्र हाई कोर्ट के जज बने, और मैं तीसरे स्थान पर था, जो अब सुप्रीम कोर्ट का चीफ जस्टिस हूं। उन्होंने कहा कि वो कॉलेज गए बिना ही मेरिट सूची में तीसरे स्थान पर थे। हालांकि वो किताबें पढ़ते थे, और पांच साल के Question Paper हल करते रहते थे।

आपको बता दें कि सीजेआई गवई के पति दिवंगत आर एस गवई साल 1978 से लेकर 1982 तक महाराष्ट्र विधान परिषद के सभापति थे। इसके बाद वो बिहार, सिक्किम, और केरल के राज्यपाल भी बने थे।

Advertisement

ये भी पढ़ेंः मुंबई-कुशीनगर एक्सप्रेस के टॉयलेट में मिली 6 साल के बच्चे की लाश

Published By : Kunal Verma

पब्लिश्ड 23 August 2025 at 20:07 IST