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Updated March 28th, 2024 at 21:52 IST

वकील को फंसाने के मामले में पूर्व IPS संजीव भट्ट पर कोर्ट का बड़ा फैसला, 20 साल की जेल

Gujarat News: संजीव भट्ट हिरासत में मौत के मामले में पहले से ही सलाखों के पीछे हैं।

Reported by: Digital Desk
Edited by: Kunal Verma
Qatar Court Verdict, Ex-Navy officers, Death Penalty
प्रतीकात्मक तस्वीर | Image:ANI
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Gujarat News: गुजरात में बनासकांठा जिले के पालनपुर की एक सत्र अदालत ने पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट को एक वकील को फंसाने के लिए मादक पदार्थ रखने संबंधी 1996 के मामले में बृहस्पतिवार को 20 साल जेल की सजा सुनाई।

भट्ट हिरासत में मौत के मामले में पहले से ही सलाखों के पीछे हैं। भट्ट को राजस्थान के एक वकील को झूठा फंसाने का दोषी ठहराया गया था।

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जिला पुलिस ने यह दावा किया था कि उसने पालनपुर के एक होटल के उस कमरे से मादक पदार्थ जब्त किया था जहां वकील रह रहे थे।

भट्ट उस समय बनासकांठा के पुलिस अधीक्षक थे।

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अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि भट्ट को लगातार 20 साल की सजा काटनी होगी, जिसका मतलब है कि यह हिरासत में मौत के मामले में आजीवन कारावास की सजा खत्म होने के बाद शुरू होगी।

भट्ट को 2015 में भारतीय पुलिस सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था। उस समय वह बनासकांठा जिले के पुलिस अधीक्षक के रूप में कार्यरत थे।

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अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश जे एन ठक्कर ने भट्ट को स्वापक औषधि और मनः प्रभावी पदार्थ (एनडीपीएस) अधिनियम और भारतीय दंड संहिता की संबंधित धाराओं के तहत बुधवार को दोषी ठहराया था।

न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा कि भट्ट पर दो लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया और यदि वह इसका भुगतान नहीं करते हैं तो उन्हें एक साल और जेल में बिताना होगा।

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पूर्व पुलिस अधिकारी को भारतीय दंड संहिता की धाराओं 167 (चोट पहुंचाने के इरादे से गलत दस्तावेज तैयार करना), 465 (जालसाजी) और 120 बी (आपराधिक साजिश) के तहत दोषी ठहराया गया था।

उन्हें एनडीपीएस अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत भी दोषी ठहराया गया था।

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भट्ट के वकील एसबी ठाकोर ने संवाददाताओं से कहा कि उनके मुवक्किल फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती देंगे।

ठाकोर ने कहा, ‘‘अदालत ने केवल यह माना है कि (भट्ट द्वारा) अफीम खरीदी और रखी गई थी। इस आरोप को साबित करने के लिए हालांकि कोई ठोस सबूत नहीं था।’’

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जिला पुलिस ने राजस्थान के वकील सुमेरसिंह राजपुरोहित को 1996 में एनडीपीएस अधिनियम की प्रासंगिक धाराओं के तहत गिरफ्तार किया था।

राजस्थान पुलिस ने हालांकि बाद में कहा था कि राजपुरोहित को बनासकांठा पुलिस ने राजस्थान के पाली में स्थित एक विवादित संपत्ति को स्थानांतरित करने के वास्ते दबाव बनाने के लिए झूठा फंसाया था।

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पूर्व पुलिस निरीक्षक आई बी व्यास ने मामले की गहन जांच का अनुरोध करते हुए 1999 में गुजरात उच्च न्यायालय का रुख किया था।

भट्ट को राज्य के अपराध जांच विभाग (सीआईडी) ने सितंबर 2018 में एनडीपीएस अधिनियम के तहत मादक पदार्थ मामले में गिरफ्तार किया था और तब से वह पालनपुर उप-जेल में हैं।

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पिछले साल, पूर्व आईपीएस अधिकारी ने 28 साल पुराने मादक पदार्थ मामले में पक्षपात का आरोप लगाते हुए मुकदमे को किसी अन्य सत्र अदालत में स्थानांतरित करने का अनुरोध करते हुए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। उन्होंने निचली अदालत की कार्यवाही की रिकॉर्डिंग के लिए निर्देश भी मांगे थे।

उच्चतम न्यायालय ने हालांकि भट्ट की याचिका खारिज कर दी थी।

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मादक पदार्थ रखने संबंधी मामले में मुकदमे के लंबित होने के दौरान, जामनगर की एक सत्र अदालत ने 2019 में भट्ट को 1990 के हिरासत में मौत के मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।

हिरासत में मौत तब हुई थी जब भट्ट जामनगर जिले में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक थे।

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ये भी पढ़ेंः 'मेरे पास सारे सबूत', जब कोर्ट में बोले दिल्ली के CM केजरीवाल; अदालत में किया कौन-सा बड़ा खुलासा?

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(Note: इस भाषा कॉपी में हेडलाइन के अलावा कोई बदलाव नहीं किया गया है)

Published March 28th, 2024 at 21:52 IST

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