अपडेटेड 9 November 2025 at 21:16 IST

असम कैबिनेट से बहुविवाह निषेध विधेयक को मंजूरी, 7 साल की जेल का प्रावधान; CM हिमंता ने बताया ऐतिहासिक कानून

असम मंत्रिमंडल ने असम बहुविवाह निषेध विधेयक 2025 को मंजूरी दे दी है, जिसके तहत बहुविवाह को एक संज्ञेय अपराध (cognizable offence) बनाया गया है।

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Himanta Biswa Sarma, Assam
Assam Chief Minister Himanta Biswa Sarma | Image: ANI

असम मंत्रिमंडल ने असम बहुविवाह निषेध विधेयक 2025 को मंजूरी दे दी है, जिसके तहत बहुविवाह को एक संज्ञेय अपराध (cognizable offence) बनाया गया है और इसके लिए सात साल तक की कैद की सजा हो सकती है।

असम सरकार द्वारा महिलाओं के अधिकारों की रक्षा और लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के लिए प्रस्तावित इस विधेयक को राज्य में एक ऐतिहासिक कानून बताया गया है।

जानकारी के अनुसार, यह विधेयक बहुविवाह को एक संज्ञेय अपराध बनाता है, जिससे प्रशासन बिना वारंट के अपराधियों को गिरफ्तार कर सकता है। बहुविवाह के दोषी पाए जाने वालों को सात साल तक की कैद की सजा होगी, जिससे यह कड़ा संदेश जाएगा कि राज्य में इस प्रथा को अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

मुआवजा पाने की पात्र होंगी महिलाएं

विधेयक के प्रावधानों के तहत, बहुविवाह की शिकार महिलाएं सरकार से मुआवजा पाने की पात्र होंगी, जिससे उन्हें वित्तीय सहायता और सुरक्षा मिलेगी। हालांकि, यह विधेयक संविधान की छठी अनुसूची के तहत अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लोगों और क्षेत्रों को इससे छूट देता है, इन समुदायों के विशिष्ट सांस्कृतिक और सामाजिक संदर्भ को मान्यता देता है।

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मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा है कि यह विधेयक महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने और उनके अधिकारों की रक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने लैंगिक समानता सुनिश्चित करने के महत्व पर जोर देते हुए कहा, "हम इस राज्य में महिलाओं की गरिमा की हर कीमत पर रक्षा करेंगे।"

राज्य में बहुविवाह की कुप्रथा पर अंकुश लगाने के असम सरकार के कदम का महिला अधिकार कार्यकर्ताओं और संगठनों ने स्वागत किया है, जो लंबे समय से बहुविवाह पर प्रतिबंध लगाने की वकालत करते रहे हैं। इस प्रथा की आलोचना लैंगिक असमानता को बढ़ावा देने और महिलाओं को समाज में उनके उचित स्थान से वंचित करने के लिए की जाती रही है।

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ऐसी प्रथाओं को बर्दाश्त नहीं करेगी सरकार

महिला अधिकार कार्यकर्ताओं ने असम बहुविवाह निषेध विधेयक 2025 को सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने और संविधान में निहित समानता एवं सम्मान के सिद्धांतों को कायम रखने की दिशा में एक बड़ा कदम बताया है। उन्होंने जोर देकर कहा कि बहुविवाह को दंडनीय अपराध बनाकर, राज्य सरकार एक कड़ा संदेश दे रही है कि वह महिलाओं के अधिकारों को कमजोर करने वाली प्रथाओं को बर्दाश्त नहीं करेगी।

गौरतलब है कि इस विधेयक के असम विधानसभा के आगामी शीतकालीन सत्र में पेश किए जाने की उम्मीद है, जहां इसे व्यापक समर्थन मिलने की संभावना है। अगर यह पारित हो जाता है, तो असम उत्तराखंड के साथ बहुविवाह पर प्रतिबंध लगाने वाले भारत के कुछ राज्यों में शामिल हो जाएगा। बहुविवाह विरोधी विधेयक के बारे में और जानकारी की प्रतीक्षा है।

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Published By : Kunal Verma

पब्लिश्ड 9 November 2025 at 21:16 IST