अपडेटेड 12 October 2024 at 21:26 IST

रतन टाटा के जाने के बाद पहली बार करीबी शांतनु भावुक होकर बोले- 'अब उनकी मुस्कान कभी नहीं देख पाऊंगा'

शांतनु रतन टाटा के काफी करीब थे, उन्होंने पोस्ट कर लिखा- 'मैं स्वीकार करने की कोशिश कर रहा हूं कि उन्हें फिर कभी मुस्कुराते हुए नहीं देख पाऊंगा'।

Follow : Google News Icon  
Shantanu emotional post
शांतनु का भावुक पोस्ट | Image: Instagram

Shantanu Emotional Post: रतन टाटा के करीबी शांतनु ने हाल ही में एक बेहद भावुक पोस्ट शेयर किया है, रतन टाटा की मृत्यु ने पूरे भारत को झकझोर कर रख दिया, ऐसे में उनके करीबियों पर क्या बीत रही होगी इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है। शांतनु रतन टाटा के काफी करीब थे, उनके जाने के बात शांतनु भावुक नजर आ रहे हैं।

शांतनु ने पोस्ट कर लिखा (Shantanu emotional post) है कि, 'आखिरकार बैठकर चीजों को महसूस करने का मौका मिला, अभी भी इस तथ्य को स्वीकार करने की कोशिश कर रहा हूं कि मैं उन्हें फिर कभी मुस्कुराते हुए नहीं देख पाऊंगा, या उन्हें मुस्कुराने का मौका नहीं दे पाऊंगा।'

दुनियाभर से अजनबियों ने भेजे संदेश

पिछले 3 दिनों में, शांतनु को देशभर से अजनबियों ने सहानुभूति से भरे संदेश भेजे हैं। (Shantanu emotional post) जिस पर उन्होंने कहा कि, 'हर बार जब मुझे लगता था कि दुख खत्म हो जाएगा, तो आप में से किसी का संदेश या इशारा मुझे थोड़ा हौसला देता था।' सभी के सहानुभूति भरे मैसेज दिखाते हैं कि कितनी गहराई से लोग रतन टाटा के जाने के बाद उनके करीबी शांतनु के इस कठिन समय में उनका साथ दे रहे हैं।

शांतनु ने मुंबई पुलिस का जताया आभार

मुंबई पुलिस के प्रति आभार प्रकट करते हुए शांतनु ने बताया कि पुलिसकर्मी कितने दयालु थे। (Shantanu emotional post) उन्होंने शहर की ओर से एक तरह का विदाई उपहार जैसा महसूस कराया। उनके इस पोस्ट ने सोशल मीडिया पर एक भावुक लहर पैदा कर दी है, जहां लोग शांतनु और रतन टाटा के इस करीबी व्यक्ति के प्रति अपनी सहानुभूति व्यक्त कर रहे हैं। शांतनु के इस भावुक पोस्ट ने सभी के दिलों को छू लिया है और इससे यह दिखाता है कि कैसे दर्द में अजनबी लोग भी कई बार साथ खड़े होते हैं।

Advertisement
PC : linkedin/ Shantanu Naidu

कौन हैं शांतनु?

शांतनु नायडू, रतन टाटा के सबसे भरोसेमंद सहयोगी और करीबी माने जाते थे। 31 साल के शांतनु मुंबई के रहने वाले हैं और टाटा समूह के सबसे युवा और प्रतिभाशाली चेहरों में से एक हैं। शांतनु ने रतन टाटा को न सिर्फ अपने सामाजिक कार्यों से प्रभावित किया, बल्कि एक दशक से लंबे वक्त तक उनके साथ रहकर उनके करीबी दोस्त और सहयोगी बने।

PC : linkedin/ Shantanu Naidu

जीवन और पढ़ाई और करियर 

शांतनु नायडू का जन्म 1993 में पुणे में हुआ। उनकी पढ़ाई कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से हुई, जहां से उन्होंने एमबीए किया। शिक्षा के क्षेत्र में उनकी काबिलियत और समाजसेवा के प्रति उनकी रुचि ने उन्हें एक अलग पहचान दिलाई। वे रतन टाटा की ओर से चलाए जा रहे कई बड़े प्रोजेक्ट्स का हिस्सा रहे और अपने अलग और अनूठे नजरिए से उन्होंने बिजनेस और समाज सेवा को जोड़ने में खास भूमिका निभाई।

Advertisement
PC : linkedin/ Shantanu Naidu

रतन टाटा से मुलाकात और करीबी रिश्ता

शांतनु पहली बार 2014 में रतन टाटा से मिले, जब उन्होंने सड़कों पर घूमने वाले कुत्तों की सुरक्षा के लिए एक चिंतनशील कॉलर डिजाइन किया। इस अनूठी पहल ने रतन टाटा का ध्यान खींचा और यहीं से दोनों के बीच गहरा संबंध शुरु हुआ। रतन टाटा ने शांतनु को अपनी टीम में शामिल किया, जहां से उनकी यात्रा शुरू हुई।

शांतनु ने टाटा ऑफिस में जनरल मैनेजर के रूप में काम किया और रतन टाटा के साथ कई खास स्टार्टअप्स में सहयोग किया। उन्होंने गुडफेलो नामक एक स्टार्टअप लॉन्च किया, जो बुजुर्गों के लिए सेवा प्रदान करता है। यह कंपनी वरिष्ठ नागरिकों की देखभाल के लिए युवा साथियों को उनके साथ जोड़ती है और इसका उद्देश्य सामाजिक एकाकीपन को कम करना है। यह परियोजना भी रतन टाटा की प्रेरणा से ही शुरू की गई थी।

PC : linkedin/ Shantanu Naidu

शांतनु नायडू की उपलब्धियां

शांतनु नायडू न सिर्फ बिजनेस इंडस्ट्री में एक खास नाम बन चुके हैं, बल्कि उनके समाजसेवी कोशिशों ने भी उन्हें एक अलग पहचान दिलाई है। उनकी संस्था ‘मोटोपॉज’ सड़कों पर घूमने वाले कुत्तों की सुरक्षा के लिए काम करती है। इस संस्था ने 17 शहरों में विस्तार किया और अब तक 250 से ज्यादा कर्मचारियों को रोजगार प्रदान किया है। उनका समाज के प्रति समर्पण और जानवरों के प्रति प्रेम उन्हें युवाओं के बीच खास बनाता है।

यह भी पढ़ें:  सिगरेट का धुआं पुलिस के मुंह पर छोड़ा, दिग्विजय के भतीजे की दादागारी

यह भी पढ़ें:  पीएम मोदी ने किया रावण दहन, राष्ट्रपति मुर्मू संग लाल किले के दशहरा महोत्सव में हुए शामिल

Published By : Nidhi Mudgill

पब्लिश्ड 12 October 2024 at 21:10 IST