अपडेटेड 7 November 2025 at 18:06 IST

EXPLAINER/ 2020 के चुनाव से 8% ज्यादा हुआ मतदान... तो किन पार्टियों की बढ़ी सबसे ज्यादा टेंशन? आंकड़ों से समझिए बिहार में कब-कब हुआ 'खेला'

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण में रिकॉर्ड तोड़ वोटिंग हुई। पहले फेज की 121 सीटों पर 64.69 प्रतिशत लोगों ने दिल खोलकर मतदान किया।

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बिहार चुनाव
बिहार चुनाव | Image: Republic

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण में रिकॉर्ड तोड़ वोटिंग हुई। पहले फेज की 121 सीटों पर 64.69 प्रतिशत लोगों ने दिल खोलकर मतदान किया। यह अबतक के इतिहास में बिहार का सबसे बड़ा रिकॉर्ड है।

आपको बता दें कि इस बार बिहार विधानसभा चुनाव 2020 से करीब साढ़े 8 प्रतिशत ज्यादा मतदान हुआ है। ऐसे में बिहार की राजनीति में इस बार की वोटिंग देखकर सबके कान खड़े गए हैं।

कई विपक्षी नेताओं ने सिर उठाना भी शुरू कर दिया है कि जब-जब ऐसी छप्परफाड़ वोटिंग हुई है, तब-तब सत्ता परिवर्तन हुआ है। आपको ये भी बता दें कि साल 2020 में पहले फेज में 71 सीटों के लिए वोटिंग हुई थी और उस वक्त मतदान प्रतिशत 56.1 रहा था।

बिहार में वोटिंग का ट्रेंड क्या कहता है?

बिहार के नेताओं और आम जनता का भी कहना है कि वोटिंग प्रतिशत का असर चुनाव के नतीजों पर भी पड़ता है। पिछले आर्टिकल में भी हमने आपको आंकड़ों के जरिए समझाया था कि कैसे आमतौर पर देशभर में ये धारणा शुरू हुई कि जब-जब मतदान का प्रतिशत बढ़ता है, इसका सीधा मतलब होता है कि जनता बदलाव चाहती है। हालांकि, हमने आपको ये भी बताया था कि ये हर बार नहीं होता। 

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यहां पढ़ेंः EXPLAINER/ बिहार में छप्परफाड़ मतदान को लेकर क्या कहता है ट्रेंड? आंकड़ों से समझिए

कई बार वोटिंग प्रतिशत बढ़ने के बाद भी सत्ताधारी पार्टी को ही सत्ता वापस मिल जाती है। ऐसे में ये 14 नवंबर को ही साफ हो पाएगा कि पहले फेज की छप्परफाड़ वोटिंग से जनता क्या चाहती है।

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बिहार में छप्परफाड़ वोटिंग ने कब-कब बदली सरकार?

  1. आंकड़ों पर नजर डालें तो 1952 से लेकर 2020 तक केवल तीन बार ही मतदान का प्रतिशत 60 प्रतिशत से पार पहुंचा है। 1990 में 62.04 प्रतिशत वोटिंग हुई थी, 1995 में 61.79 प्रतिशत और फिर 2020 में 62.57 प्रतिशत मतदान हुआ था। इसके बाद 2025 के पहले चरण में 64.69 प्रतिशत वोटिंग हुई है। ऐसे में अगर दूसरे चरण में भी वोटिंग प्रतिशत ऐसा ही रहा तो बिहार में वोटर टर्नआउट का इतिहास बदल जाएगा।
  2. आपको बता दें कि 1962 में बिहार में 44.5 प्रतिशत वोटिंग हुई थी। इसके बाद 1967 में 51.5 प्रतिशत वोटिंग हुई। इस बार वोटिंग प्रतिशत 7 प्रतिशत से ज्यादा था, जिसके बाद बिहार में सरकार बदल गई और पहली बार गैर-कांग्रेसी दल सत्ता में आए।
  3. इसके बाद 1980 में 57.3 प्रतिशत मतदान हुआ, जो 1977 के चुनाव में 50.5 प्रतिशत मतदान से 6.8 प्रतिशत ज्यादा था। इसके बाद फिर सत्ता बदली और कांग्रेस सत्ता में वापस आ गई।
  4. फिर 1990 में पिछले चुनाव से 5.8 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी के साथ 62 प्रतिशत मतदान हुआ और सत्ता फिर बदल गई। इस बार जनता दल ने सरकार बनाई। ऐसे में 2025 के विधानसभा चुनाव में वोटिंग प्रतिशत से किसे नुकसान होता है, ये तो 14 नवंबर को ही पता लगेगा।

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Published By : Kunal Verma

पब्लिश्ड 7 November 2025 at 18:06 IST