अपडेटेड 4 November 2025 at 23:40 IST
EXPLAINER/ Bihar Election: बिहार चुनाव में पहले चरण के लिए थम गया प्रचार, तो जानिए कौन-कौन सी योजनाएं और घोषणाएं रहे हावी
बिहार चुनाव 2025 के पहले चरण के लिए चुनावी प्रचार का शोर-शराबा आखिरकार थम गया है। 6 नवंबर को बिहार के 18 जिलों की 121 सीटों पर मतदान होगा।
- चुनाव न्यूज़
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बिहार चुनाव 2025 के पहले चरण के लिए चुनावी प्रचार का शोर-शराबा आखिरकार थम गया है। 6 नवंबर को बिहार के 18 जिलों की 121 सीटों पर मतदान होगा और अब हर उम्मीदवार अपनी-अपनी गली-मोहल्ले में डटे हैं, वोटरों को रिझाने की जुगत में लगे हैं।
राजनीतिक माहौल इतना गरमाया कि नेता-कार्यकर्ताओं ने पूरी ताकत झोंक दी थी। खूब रैलियां, खूब वादे, सड़क, बिजली, पानी से लेकर रोजगार और महिला सशक्तिकरण तक, हर कोई जनता का भरोसा बटोरने में लगा रहा।
छाई रही चुनावी चर्चा
बीजेपी के लिए खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ जैसे दिग्गज मैदान में उतरे। दूसरी तरफ, महागठबंधन के लिए तेजस्वी यादव, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी समेत बड़े चेहरे जनता को पकड़ने में जुटे रहे। सड़कों से लेकर पान की दुकान और चाय की गुमटी तक, हर जगह चुनावी चर्चा छाई रही।
एनडीए ने 1 करोड़ नौकरियों का वादा
एक तरफ एनडीए ने 1 करोड़ नौकरियों का वादा किया। महिलाओं, दलितों, अति-पिछड़ों को आर्थिक-सहायता का वादा भी एनडीए के घोषणा पत्र में शामिल है। राज्य में बड़े निवेश, एक्सप्रेसवे, रेल आधुनिकीकरण का वादा, बाढ़ मुक्त बिहार, फ्री एजुकेशन और चिकित्सा सुविधा। कौशल-विकास केन्द्र, जिले-स्तर पर मेगा स्किल सेंटर आदि का प्रावधान जैसी बातें हर जनसभा में गूंजती रहीं।
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महागठबंधन ने भी कोई कसर नहीं छोड़ी। पुरानी पेंशन योजना बहाल करने के साथ महिलाओं-विधवाओं के लिए मासिक सहायता राशि की योजना पर अमल का वादा। छात्र-छात्राओं के लिए मुफ्त फॉर्म-एग्जाम फीस, टेबलेट, बड़े-स्तर की यूनिवर्सिटी-कॉलेज। माइक्रो-फाइनेंस कंपनियों पर सख्ती, भूमि-मुक्का रहितों को जमीन देने का वादा जैसे मुद्दों से सीधे वोटरों की नब्ज पर हाथ रखा।
वहीं, जन सुराज के उम्मीदवारों ने थोड़ा अलग हटकर सिस्टम सुधार, स्थानीय रोजगार, गांव-कस्बों में शिक्षा और स्वास्थ्य की बातें दोहराईं।
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एनडीए बनाम महागठबंधन: कौन बेहतर?
- एनडीए ने 1 करोड़ रोजगार का ठोस लक्ष्य रखा है। रोजगार सृजन के लिए निजी क्षेत्र और एमएसएमई पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। महागठबंधन ने प्रति परिवार एक सरकारी नौकरी का वादा किया है, लेकिन यह कैसे लागू होगा, यह स्पष्ट नहीं है।
- एनडीए का घोषणापत्र उद्योग, आईटी पार्क, सड़कों और स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत करने का रोडमैप प्रदान करता है। महागठबंधन ने सामाजिक सुरक्षा, पेंशन बहाली और महिलाओं को मासिक सहायता पर जोर दिया है।
- एनडीए ने महिला सुरक्षा और स्वरोजगार योजनाओं का समर्थन करने के लिए कौशल केंद्रों और शिक्षा में निवेश की वकालत की है। महागठबंधन के घोषणापत्र में महिलाओं को सहायता, छात्राओं के लिए टैबलेट और मुफ़्त फॉर्म शुल्क का वादा किया गया है।
- एनडीए ने कृषि-उद्योग, खाद्य प्रसंस्करण और सिंचाई नेटवर्क के विस्तार पर ध्यान केंद्रित किया है। इसका मतलब है कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के वादे उसके शासन के अनुभव को दर्शाते हैं। दूसरी ओर, महागठबंधन के वादे भावनात्मक रूप से ज्यादा आकर्षक हैं। वित्तीय योजनाओं पर नीति स्पष्ट नहीं है।
मुकाबले की सीटें
121 सीटें, 18 जिले, 1300 के पार उम्मीदवार, हर कोई अपनी किस्मत आजमाने को तैयार है। पटना, बक्सर, भोजपुर, सीवान, सारण, गोपालगंज, दरभंगा जैसे जिलों में बड़े चेहरे मैदान में हैं। कई जगह आपसी मुकाबला इतना तगड़ा है कि निर्दलीयों ने भी सियासी समीकरण बिगाड़ दिए हैं।
अब जब शोर थम गया, तो हर पार्टी की असली परीक्षा शुरू हो गई है। कौन कितने वोटर्स को बूथ तक लाएगा, किसका सिस्टम मजबूत, किसका वादा लोगों के दिल में जगह बना सका, ये अब 6 नवंबर को ही पता चलेगा। गांव की चौपाल से लेकर सोशल मीडिया तक, हर जगह अब बस चर्चा है- "ई बार के चुनाव में किसका पलड़ा भारी?"
Published By : Kunal Verma
पब्लिश्ड 4 November 2025 at 23:40 IST