अपडेटेड 24 December 2025 at 23:31 IST
EXPLAINER/ अरुणाचल प्रदेश पर जिनपिंग की 'बुरी नजर', पेंटागन की रिपोर्ट में चीन की बड़ी साजिश का खुलासा, क्या हैं मायने?
अमेरिकी पेंटागन ने कांग्रेस को एक महत्वपूर्ण रिपोर्ट सौंपी है। इसमें साफ कहा गया है कि चीन भारत के अरुणाचल प्रदेश पर अपना दावा ठोक रहा है। वह इसे अपने "मुख्य हितों" का अहम हिस्सा मानता है।
अमेरिकी पेंटागन ने कांग्रेस को एक महत्वपूर्ण रिपोर्ट सौंपी है। इसमें साफ कहा गया है कि चीन भारत के अरुणाचल प्रदेश पर अपना दावा ठोक रहा है। वह इसे अपने "मुख्य हितों" का अहम हिस्सा मानता है। यह दावा बीजिंग की बड़ी रणनीति का हिस्सा है, जिसका लक्ष्य 2049 तक "चीनी राष्ट्र के महान पुनरुद्धार" को पूरा करना है।
रिपोर्ट बताती है कि चीनी नेतृत्व ने अपने मुख्य हितों की लिस्ट को और लंबा कर दिया है। अब इसमें ताइवान शामिल है, दक्षिण चीन सागर में संप्रभुता के दावे, वहां के समुद्री विवाद, सेनकाकू द्वीप समूह और भारत का पूर्वोत्तर राज्य अरुणाचल प्रदेश। चीनी अधिकारी कहते हैं कि चीन और इन विवादित इलाकों का एकीकरण, खासकर ताइवान का, राष्ट्रीय पुनरुद्धार के लिए बिल्कुल जरूरी है। इसे वे "स्वाभाविक आवश्यकता" बुलाते हैं।
चीन एक "विश्व स्तरीय" सेना बनाएगा
इस रणनीति के तहत, चीन एक "विश्व स्तरीय" सेना बनाएगा, जो न सिर्फ लड़ सके बल्कि जीत भी सके। यह सेना देश की संप्रभुता, सुरक्षा और विकास के हितों की मजबूती से रक्षा करेगी। दस्तावेज में तीन ऐसे "मुख्य हित" बताए गए हैं, जिन पर चीन कोई बातचीत या समझौता करने को तैयार नहीं। ये हैं:
- चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) का पूरा नियंत्रण
- देश के आर्थिक विकास को तेजी से बढ़ावा देना
- चीन की संप्रभुता और क्षेत्रीय दावों की रक्षा करना और उनको फैलाना
किसी भी खतरे को बर्दाश्त नहीं कर सकती CCP
रिपोर्ट का मूल्यांकन कहता है कि CCP अपने शासन पर किसी भी खतरे को बर्दाश्त नहीं कर सकती। वह बाहरी या घरेलू खतरों से बेहद डरती है। इसमें यह आलोचना भी शामिल है कि पार्टी चीनी हितों की रक्षा में नाकाम हो रही है। पार्टी को मजबूत करने के लिए CCP हांगकांग, शिनजियांग और तिब्बत में विरोधी राजनीतिक आवाजों को कुचल रही है। ताइवान के नेताओं को भी वह "बाहरी ताकतों" से प्रभावित अलगाववादी बताती है। इन्हें CCP अपनी वैधता और ताकत के लिए बड़ा खतरा मानती है।
भारत-चीन LAC पर हालिया घटनाक्रम
भारत के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर तनाव को लेकर रिपोर्ट में विस्तार से बताया गया है। अक्टूबर 2024 में भारतीय नेतृत्व ने BRICS शिखर सम्मेलन के दौरान चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बैठक से ठीक दो दिन पहले बड़ा ऐलान किया। दोनों देशों ने LAC के बाकी गतिरोध वाले स्थानों से सेना पीछे हटाने का समझौता किया।
इसके बाद शी-PM मोदी की बैठक हुई, जिसमें दोनों ने मासिक उच्च-स्तरीय बातचीत शुरू करने का फैसला लिया। इन बैठकों में सीमा प्रबंधन और द्विपक्षीय रिश्तों के अगले कदमों पर चर्चा हुई। इन कदमों में सीधी उड़ानें शुरू करना, वीजा प्रक्रिया आसान बनाना, और शिक्षाविदों और पत्रकारों का आपसी आदान-प्रदान शामिल है।
पाकिस्तान के साथ बना रहा फोर्स?
रिपोर्ट का अनुमान है कि चीन LAC पर तनाव कम करके फायदा उठाना चाहता है। वह भारत के साथ रिश्ते स्थिर करना चाहता है, ताकि अमेरिका-भारत के गहरे रिश्ते न बनें। लेकिन भारत चीन की हरकतों और असल इरादों पर शक करता रहेगा। रिपोर्ट कहती है कि दोनों देशों में लगातार अविश्वास और दूसरी परेशानियां रिश्तों को सीमित रखेंगी।
इसके अलावा पेंटागन ने पाकिस्तान के साथ चीन के बढ़ते मिलिट्री और रणनीतिक सहयोग पर जोर दिया। बीजिंग इस्लामाबाद के साथ JF-17 फाइटर एयरक्राफ्ट का को-प्रोडक्शन जारी रखे हुए है और चीनी J-10 मल्टीरोल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट का अकेला खरीदार बना हुआ है। चीन ने आर्म्ड ड्रोन भी सप्लाई किए हैं और एक प्रमुख नौसैनिक सप्लायर बना हुआ है, जिसमें पाकिस्तान द्वारा आठ युआन-क्लास सबमरीन की $3 बिलियन की खरीद भी शामिल है।
हथियारों के ट्रांसफर के अलावा, रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन पाकिस्तान को भविष्य में पीपल्स लिबरेशन आर्मी की लॉजिस्टिक्स सुविधाओं के लिए एक संभावित जगह के तौर पर देख रहा है, जिससे जिबूती से आगे उसकी विदेशी बेसिंग रणनीति का विस्तार होगा। इसमें 2020 के चीन-पाकिस्तान खुफिया समझौते का भी जिक्र है, जिसने पाकिस्तान और अफगानिस्तान में आतंकवाद विरोधी सहयोग को बढ़ाया, खासकर उइगर समूहों को निशाना बनाया।
Published By : Kunal Verma
पब्लिश्ड 24 December 2025 at 23:26 IST