अपडेटेड 19 September 2025 at 10:12 IST

Chabahar Port: भारत समेत कई देशों को ट्रंप ने दिया एक और बड़ा झटका, ईरान के चाबहार पोर्ट पर प्रतिबंध लगाने का ऐलान; इस तारीख से लागू

अमेरिका ने ऐलान किया है कि वह ईरान के रणनीतिक चाबहार बंदरगाह पर परिचालन के लिए 2018 में दी गई प्रतिबंधों में छूट को रद्द कर देगा।

चाबहार बंदरगाह पर लगेगा अमेरिकी प्रतिबंध | Image: AP

अमेरिका ने ऐलान किया है कि वह ईरान के चाबहार बंदरगाह पर काम को लेकर 2018 में दी गई विशेष छूट (waiver) को वापस ले लेगा। यह फैसला 29 सितंबर 2025 से लागू होगा और इसका असर भारत की उस परियोजना पर भी पड़ सकता है, जिसके तहत वह इस अहम बंदरगाह को विकसित कर रहा है। यह कदम वॉशिंगटन की “मैक्सिमम प्रेशर” नीति का हिस्सा है, जिसका मकसद तेहरान पर दबाव बढ़ाना है।

2018 में जब ईरान पर दोबारा अमेरिकी प्रतिबंध लगे थे, तब भारत और कुछ अन्य देशों को चाबहार पोर्ट पर काम करने की छूट दी गई थी ताकि वे दंडात्मक कार्रवाई से बच सकें। भारत के लिए यह बंदरगाह इसलिए अहम है क्योंकि यह अफगानिस्तान और मध्य एशिया तक पहुंचने का सीधा रास्ता देता है जिसमें पाकिस्तान को बाईपास किया जा सकता है।

अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने 16 सितंबर को बयान जारी कर कहा कि यह फैसला ईरान को अलग-थलग करने की नीति के अनुरूप है। इसके साथ ही साफ किया गया कि छूट खत्म होने के बाद अगर कोई कंपनी या व्यक्ति चाबहार में काम करेगा, तो वह अमेरिकी प्रतिबंधों की जद में आ सकता है।

भारत के लिए मुश्किलें

भारत अब एक कठिन स्थिति में है। पिछले साल 13 मई 2024 को नई दिल्ली ने ईरान के पोर्ट एंड मैरीटाइम ऑर्गनाइजेशन के साथ 10 साल का समझौता किया था ताकि भारतीय पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (IPGL) चाबहार को संचालित कर सके। भारत ने इसमें करीब 120 मिलियन डॉलर लगाने का वादा किया था और 250 मिलियन डॉलर का अतिरिक्त कर्ज भी देने की योजना बनाई थी।

भारत के लिए चाबहार सिर्फ एक व्यापारिक केंद्र नहीं है, बल्कि रणनीतिक दृष्टि से भी जरूरी है। 2003 से ही भारत इस परियोजना पर काम करने की कोशिश करता आ रहा है। यह बंदरगाह भारत को अफगानिस्तान और रूस-यूरोप की ओर जाने वाले इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर से जोड़ता है। भारत ने पहले ही यहां से अफगानिस्तान तक गेहूं और दूसरी जरूरी मदद पहुंचाई है।

पहले जब 2018 में अमेरिकी प्रतिबंध लागू हुए थे, तो चाबहार को अफगानिस्तान की आवश्यकता को देखते हुए छूट दे दी गई थी। लेकिन अब उस छूट के हटने से भारतीय कंपनियों और निवेश पर खतरा मंडरा रहा है।

रणनीतिक असर

यह ऐलान उस समय आया है जब भारत को अमेरिका और ईरान दोनों के साथ संबंध संतुलित करने हैं। साथ ही उसे इजरायल और खाड़ी देशों से भी नज़दीकी बनाए रखनी है। रणनीतिक दृष्टि से देखें तो चाबहार पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट (जहां चीन सक्रिय है) से सिर्फ 140 किलोमीटर दूर है। ऐसे में चाबहार भारत को क्षेत्र में चीन के बढ़ते दबदबे का जवाब देने का मौका देता है। बंदरगाह पर काम रुकने से भारत की क्षेत्रीय प्रतिस्पर्धा पर गहरा असर पड़ सकता है।

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Published By : Kunal Verma

पब्लिश्ड 19 September 2025 at 10:03 IST