अपडेटेड 3 August 2025 at 17:15 IST

भारत पर 25%, रूस पर 100%... किस देश पर कितना टैरिफ लगाया जाए, इसका फैसला कैसे लेते हैं डोनाल्ड ट्रंप?

Trump Tariff: डोनाल्ड ट्रंप तय कैसे करते हैं कि किस देश पर कितना टैरिफ लगाना है। आइए इस फॉर्मूले को विस्तार से समझते हैं।

डोनाल्ड ट्रंप | Image: X/White House

Trump Tariff: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सत्ता संभालते ही दुनियाभर में अपने नाम का भौकाल मचा दिया है। कोई भी दिन ऐसा नहीं जाता जब मीडिया में उनके नाम की चर्चा ना हो। कभी टैरिफ को लेकर वो दूसरे देशों को धमकाते हुए नजर आते हैं, तो कभी युद्ध रुकवाने का क्रेडिट लेने की लाइन में सबसे पहले खड़े हो जाते हैं।

ऐसे में जो सबसे बड़ा सवाल लोगों के जहन में आता है, वो ये है कि डोनाल्ड ट्रंप तय कैसे करते हैं कि किस देश पर कितना टैरिफ लगाना है। आइए इस फॉर्मूले को विस्तार से समझते हैं।

टैरिफ कैसे तय करते हैं ट्रंप?

व्हाइट हाउस ने टैरिफ तय करने की प्रक्रिया को 'मनमाना' मानने से साफ इनकार कर दिया है। व्हाइट हाउस का कहना था कि टैरिफ का निर्धारण टैरिफ कैलकुलेशन के एक आसान गणित के जरिए किया जाता है। आपने देखा होगा कि ट्रंप ने किस तरह से चीन, भारत और कई अन्य देशों पर टैरिफ का ऐलान किया था। अगर आपने गौर किया हो तो इसे एक फॉर्मूले के तहत लागू किया गया था।

2 अप्रैल को टैरिफ लागू करने के बाद  डोनाल्ड ट्रंप ने एक टैरिफ चार्ट जारी किया था। इसके बाद व्हाइट हाउस ने इस चार्ट को जारी करने का एक फॉर्मूला बताया था।

यह फॉर्मूला आपको समझ नहीं आएगा, लेकिन ये आसान है। जिस देश पर टैरिफ लगाना है, उसके साथ अमेरिका के गूड्स के व्यापार घाटे को लें, उसे उस देश से कुल गुड्स आयात से विभाजित करें और फिर उस संख्या को दो से विभाजित करें। उदाहरण के तौर पर अमेरिका का घाटा 295 अरब डॉलर का है और चीन से वह 440 अरब डॉलर का सामान खरीदता है। जब आप 295 को 440 से भाग देंगे तो 67% आएगा। अब इसे 2 से भाग दें तो चीन पर 34 प्रतिशत टैरिफ होगा।

रूस को 10 दिनों की डेडलाइन

डोनाल्ड ट्रंप ने रूस को 10 दिनों की डेडलाइन दी है। अगर रूस इस दौरान यूक्रेन के साथ शांति समझौता नहीं करता, तो अमेरिका उन सभी देशों पर 100 प्रतिशत टैरिफ लगा देगा जो अब भी रूसी तेल खरीद रहे हैं। भारत भी उस लिस्ट में शामिल है।

2022 में जब यूरोप ने यूक्रेन युद्ध के बाद रूसी तेल पर प्रतिबंध लगाए, तब रूस ने भारत का रुख किया। भारत ने इस मौके का फायदा उठाया और सस्ती कीमत पर तेल खरीदा। इसी के चलते रूस की कंपनी रोसनेफ्ट ने भारत की सबसे बड़ी रिफाइनरी में हिस्सेदारी भी ली।

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Published By : Kunal Verma

पब्लिश्ड 3 August 2025 at 17:15 IST