अपडेटेड 3 August 2025 at 18:17 IST

भारत-रूस की 'दोस्ती' पर बुरी नजर रखने वालों का गला दबा देंगे पुतिन, ट्रंप की 'हेकड़ी' तोड़ने के लिए बनाया ये प्लान!

India-Russia Relations: भारत इस समय दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक है और 2022 के बाद से रूस का सबसे बड़ा ग्राहक भी।

Donald Trump-Putin-PM Modi
डोनाल्ड ट्रंप-पुतिन-पीएम मोदी | Image: ANI

India-Russia Relations: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 25 प्रतिशत आयात शुल्क लगाने का ऐलान किया है। ये फैसला सिर्फ व्यापारिक नहीं, बल्कि रणनीतिक भी है। इसकी टाइमिंग और टोन बता रही है कि मामला सिर्फ टैरिफ तक सीमित नहीं है।

ट्रंप ने साफ कहा है कि भारत को रूसी तेल की खरीद बंद करनी चाहिए। भारत इस समय दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक है और 2022 के बाद से रूस का सबसे बड़ा ग्राहक भी। अमेरिका को लगता है कि भारत की यह खरीद पुतिन को ताकत दे रही है।

अगर भारत रुकता है, तो रूस का घाटा कौन भरेगा?

रूस के लिए भारत एक बेहद अहम ग्राहक है। अगर भारत खरीद कम करता है, तो मॉस्को को हर दिन अरबों डॉलर का नुकसान हो सकता है और रूस वो देश नहीं जो चुपचाप घाटा झेले।

जेपी मॉर्गन के विश्लेषकों का कहना है कि रूस भारत के खिलाफ कार्रवाई करने वाले देशों पर पलटवार कर सकता है। मुमकिन है कि वो कजाकिस्तान से चलने वाली सीपीसी पाइपलाइन को बंद कर दे, जिसमें अमेरिका की बड़ी तेल कंपनियों, शेवरॉन और एक्सॉन, की हिस्सेदारी है।

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एक और संकट की आहट?

सीपीसी पाइपलाइन अगर बंद होती है, तो इससे वैश्विक आपूर्ति पर असर पड़ेगा। भारत हर दिन करीब 20 लाख बैरल तेल खरीदता है, यानी दुनिया की कुल आपूर्ति का लगभग 2 प्रतिशत। ऐसे में सप्लाई चेन पर असर तो तय है।

डोनाल्ड ट्रंप ने रूस को 10 दिनों की डेडलाइन दी है। अगर रूस इस दौरान यूक्रेन के साथ शांति समझौता नहीं करता, तो अमेरिका उन सभी देशों पर 100 प्रतिशत टैरिफ लगा देगा जो अब भी रूसी तेल खरीद रहे हैं। भारत भी उस लिस्ट में शामिल है।

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2022 में जब यूरोप ने यूक्रेन युद्ध के बाद रूसी तेल पर प्रतिबंध लगाए, तब रूस ने भारत का रुख किया। भारत ने इस मौके का फायदा उठाया और सस्ती कीमत पर तेल खरीदा। इसी के चलते रूस की कंपनी रोसनेफ्ट ने भारत की सबसे बड़ी रिफाइनरी में हिस्सेदारी भी ली।

अब भारत के पास क्या रास्ते हैं?

भारत के लिए यह वक्त आसान नहीं है। एक तरफ अमेरिका जैसा रणनीतिक साझेदार है, दूसरी तरफ रूस, जिससे सस्ता और स्थिर तेल मिल रहा था। इस बीच चीन और तुर्की भी इस तेल खेल के बड़े खिलाड़ी हैं।

अगर रूस को वाकई भारी झटका लगता है, तो उसकी प्रतिक्रिया सिर्फ आर्थिक नहीं, भू-राजनीतिक भी हो सकती है और भारत, जो अब तक बैलेंस बना रहा था, शायद अब किसी एक पक्ष को चुनने के लिए मजबूर हो जाए।

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Published By : Kunal Verma

पब्लिश्ड 3 August 2025 at 15:38 IST