अपडेटेड 7 August 2025 at 23:30 IST
EXPLAINER/ डोनाल्ड ट्रंप के 'टैरिफ बम' से दो धड़ों में बंट जाएगी दुनिया, परमाणु युद्ध की चिंगारी क्यों भड़का रहे अमेरिकी राष्ट्रपति?
Donald Trump Tariffs: पिछले दिनों डोनाल्ड ट्रंप ने रूस के पास परमाणु सबमरीन तैनात करने का आदेश दे दिया था, जो रूस के पूर्व राष्ट्रपति दमित्रि मेदवदेव की धमकी के बाद एक बड़ा घटनाक्रम था।
Donald Trump Tariffs: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जिस तरह से ‘टैरिफ का आतंक’ मचाया हुआ है, इससे दुनिया परमाणु खतरे की ओर बढ़ती नजर आ रही है। पिछले दिनों डोनाल्ड ट्रंप ने रूस के पास परमाणु सबमरीन तैनात करने का आदेश दे दिया था, जो रूस के पूर्व राष्ट्रपति दमित्रि मेदवदेव की धमकी के बाद एक बड़ा घटनाक्रम था। इससे ये तो साफ है कि डोनाल्ड ट्रंप जिस आवेश में फैसले लेते हैं, वो दुनिया को अशांति की ओर धकेल सकता है।
कुछ दिनों पहले अमेरिकी मीडिया में एक रिपोर्ट छपी थी। इसमें कहा गया था कि रूस तीसरा विश्व युद्ध छेड़ने के बहुत करीब है। उस रिपोर्ट में ये भी कहा गया था कि यूक्रेन सिर्फ शुरुआत है। हालांकि, हालिया घटनाक्रम पर नजर डालें तो ये रिपोर्ट फेक नजर आती है, क्योंकि जिस तरह के हालात 'नोबेल शांति पुरस्कार के सच्चे हकदार' डोनाल्ड ट्रंप ने बना रखी है, इससे पूरी दुनिया के दो खेमे में बंटने की संभावना कहीं ज्यादा है। अगर तीसरा विश्व युद्ध होना तय है तो इसकी संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता कि उसका 'भूमिपूजन' डोनाल्ड ट्रंप के ही हाथ से होगा।
परमाणु के लिए दुनिया में मची होड़
पिछले कुछ सालों से अमेरिका, रूस और चीन ने भी अपने परमाणु हथियारों के निर्माण में भारी बढ़ोत्तरी की है। इतना ही नहीं, जिन देशों ने पहले परमाणु हथियार में रुचि नहीं दिखाई थी, वो भी अब परमाणु संपन्न देश बनना चाहते हैं। जापान, पोलैंड, दक्षिण कोरिया, तुर्की और सऊदी अरब जैसे देश भी परमाणु बम बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।
जिस तरह से पाकिस्तान भारत को परमाणु युद्ध की धमकी देता रहता है, वैसे ही मेदवेदेव ने भी कई बार नाटो देशों को परमाणु बम की धमकी दी है। पिछले महीने तो मेदवेदेव ने एक पोस्ट के जरिए ट्रंप के खिलाफ अपनी निजी दुश्मनी जाहिर कर दी थी। इसके बाद ट्रंप ने आवेश में आकर रूस के नजदीक परमाणु सबमरीन तैनात कर दी और रूस ने INF संधि से हटने का ऐलान कर दिया।
क्या है INF संधि?
साल 2019 में अपने पहले कार्यकाल में ट्रंप ने INF संधि से किनारा कर लिया था। आपको बता दें कि ये संधि अमेरिका और रूस के बीच साल 1987 में हुई थी। इसके तहत दोनों देश इस बात पर सहमत हुए थे कि 500 से 5500 किमी तक मार करने वाली मिसाइलों को बैन किया जाएगा और धीरे-धीरे वक्त के साथ उन्हें नष्ट कर दिया जाएगा।
क्या दो खेमों में बंट रही दुनिया?
ट्रंप के टैरिफ बम के कारण दुनिया दो खेमों में बंटती हुई नजर आ रही है। एक तरफ अमेरिका, यूक्रेन, साउथ कोरिया और बाकी कुछ देश हैं तो दूसरी तरफ रूस, चीन, नॉर्थ कोरिया है। भारत की स्थिति अभी युद्ध से हटकर रही है, लेकिन अगर तीसरे विश्वयुद्ध की चिंगारी उठी तो भारत को अपनी स्थिति स्पष्ट करनी पड़ सकती है। इसका मतलब है कि भारत को कोई एक खेमा चुनना पड़ेगा, जो शायद आसान नहीं होगा।
इसकी शुरुआत RIC को दोबारा जिंदा करने से हो सकती है, जिसमें रूस, चीन और भारत पहले से शामिल थे, लेकिन कोरोना काल और गलवान संघर्ष के बाद इसे बंद करना पड़ा था। गेंद भारत के पाले में है, लेकिन भारत को चीन पर भरोसा करने से पहले एक सॉलिड कारण की जरूरत होगी, जो डोनाल्ड ट्रंप खुद हाथ खोलकर भारत के सामने परोस रहे हैं। अगर डोनाल्ड ट्रंप का रुख ऐसा ही आक्रामक रहता है तो भारत चीन पर भरोसा करने के लिए भी तैयार हो सकता है और फिर डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका को दुनिया के मैप से अलग-थलग करने से भी पीछे नहीं हटेंगे।
आपको बता दें कि डोनाल्ड ट्रंप की हरकतों की वजह से पहले ही यूरोप में हाहाकार मचा हुआ है। ब्रिटेन, फ्रांस, कनाडा समेत कई देश फिलिस्तीन को मान्यता दे चुके हैं। इसके अलावा, ट्रंप के आक्रामक स्वभाव से यूरोप के देश अमेरिका को अलग-थलग करने की भी कोशिश कर सकते हैं, जो डोनाल्ड ट्रंप के लिए अच्छा नहीं होगा।
Published By : Kunal Verma
पब्लिश्ड 7 August 2025 at 23:30 IST