अपडेटेड 18 November 2025 at 09:04 IST

आंसू गैस छोड़े, लाठियां चलाईं... शेख हसीना को मौत की सजा के बाद फिर जलने लगा बांग्लादेश; पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को खदेड़ा

शेख हसीना मामले में कोर्ट का फैसला आते ही बांग्लादेश एक बार फिर उबल पड़ा। प्रदर्शनकारियों ने ढाका में कई राजमार्गों को बंद कर दिया और पुलिस के साथ झड़पें कीं।

Bangladesh Violence | Image: ANI/X

अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT) ने अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना को पिछले साल हुए छात्र विद्रोह के दौरान मानवता के खिलाफ अपराधों के लिए मौत की सजा सुनाई। कोर्ट का फैसला आते ही बांग्लादेश एक बार फिर उबल पड़ा।

प्रदर्शनकारियों ने ढाका में कई राजमार्गों को बंद कर दिया और पुलिस के साथ झड़पें कीं। आपको बता दें कि बांग्लादेश सरकार को पहले से ही इस प्रदर्शन का अंदाजा था, जिसके कारण ICT का फैसला आते ही ढाका और बांग्लादेश के अन्य स्थानों पर पुलिस फोर्स को तैनात कर दिया गया था।

बांग्लादेशी मीडिया के अनुसार, प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस को लाठियों, साउंड ग्रेनेड और आंसू गैस का इस्तेमाल करना पड़ा। सोशल मीडिया पर वीडियो सामने आए हैं जिनमें पुलिस द्वारा प्रदर्शनकारियों का लाठियों से पीछा किया जा रहा है और विस्फोटों की आवाजें सुनाई दे रही हैं, जिससे ढाका में तनाव बना रहा।

संपत्ति को नष्ट करने की कोशिश

स्थानीय मीडिया के अनुसार, धनमंडी 32 क्षेत्र पूरी तरह तनावपूर्ण बना रहा, जहां बांग्लादेश के संस्थापक और हसीना के पिता शेख मुजीबुर रहमान का घर स्थित है। प्रदर्शनकारियों ने वहां मार्च करने और संपत्ति को नष्ट करने की कोशिश की।

सोमवार को ICT के फैसले से पहले अवामी लीग ने इस फैसले के विरोध में दो दिवसीय राष्ट्रव्यापी बंद का आह्वान किया था, जिसे हसीना ने "राजनीति से प्रेरित" बताया है। ICT ने सोमवार को एक ऐतिहासिक फैसले में शेख हसीना को मानवता के खिलाफ अपराधों के लिए मौत की सजा सुनाई, जिसमें पिछले साल के छात्र विद्रोह के दौरान कई लोगों की हत्या भी शामिल है, जिसके कारण उनकी सरकार गिर गई थी।

तीन आरोपों में दोषी पाई गईं शेख हसीना

78 वर्षीय अवामी लीग प्रमुख शेख हसीना, जो पिछले साल 5 अगस्त को बड़े पैमाने पर सरकार विरोधी प्रदर्शनों के बाद पद से हटाए जाने के बाद से दिल्ली में निर्वासन में रह रही हैं, को तीन आरोपों में दोषी पाया गया, जिनमें हिंसा भड़काना, प्रदर्शनकारियों को मारने के आदेश जारी करना और छात्र-नेतृत्व वाले विद्रोह के दौरान अत्याचारों को रोकने में फेल रहना शामिल है।

पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान को भी मौत की सजा सुनाई गई, जबकि पूर्व पुलिस महानिरीक्षक चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून को सरकारी गवाह बनने और दोषी करार देने के बाद पांच साल की जेल की सजा सुनाई गई। फरवरी की शुरुआत में होने वाले संसदीय चुनावों से कुछ महीने पहले आए इस ऐतिहासिक फैसले से बांग्लादेश की राजनीति में नया मोड़ आने की उम्मीद है।

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Published By : Kunal Verma

पब्लिश्ड 18 November 2025 at 09:04 IST