अपडेटेड 18 October 2025 at 21:34 IST
Pakistan: तालिबान ने किया नाक में दम तो POK में गहराया राजनीतिक संकट, 3 सीनियर मंत्रियों ने दिया इस्तीफा; अब क्या करेंगे शहबाज शरीफ?
आजाद जम्मू और कश्मीर (AJK) मंत्रिमंडल के तीन और मंत्रियों ने शुक्रवार को अपने इस्तीफे की घोषणा की, जिनमें से दो ने प्रधानमंत्री चौधरी अनवारुल हक से पद छोड़ने की मांग की है।
आजाद जम्मू और कश्मीर (AJK) मंत्रिमंडल के तीन और मंत्रियों ने शुक्रवार को अपने इस्तीफे की घोषणा की, जिनमें से दो ने प्रधानमंत्री चौधरी अनवारुल हक से पद छोड़ने की मांग की है। इस्तीफा देने वाले मंत्रियों ने इसे "कश्मीरी शरणार्थियों के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करने में विफलता" बताया है।
इस हफ्ते की शुरुआत में एजेके के सूचना मंत्री पीर मजहर सईद ने "कुछ अपरिहार्य कारणों" का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा देने की घोषणा की थी। हालांकि, एजेके के प्रधानमंत्री कार्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पाकिस्तानी मीडिया को बताया कि इस्तीफा प्राप्त तो हुआ है, लेकिन अभी स्वीकार नहीं किया गया है।
एजेके के वित्त मंत्री अब्दुल मजीद खान और खाद्य मंत्री चौधरी अकबर इब्राहिम ने आज मुजफ्फराबाद प्रेस क्लब में एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस्तीफा देने की घोषणा की, जबकि खेल, युवा और संस्कृति मंत्री असीम शरीफ बट ने मीडिया से बातचीत से दूर रहने का विकल्प चुनते हुए सीधे प्रधानमंत्री को अपना इस्तीफा भेज दिया।
PTI के टिकट पर चुने गए थे तीनों नेता
तीनों 2021 के आम चुनावों में PTI के टिकट पर एलए-45 (घाटी-VI), एलए-38 (जम्मू-V) और एलए-42 (घाटी-III) से चुने गए थे। ये निर्वाचन क्षेत्र 1947 के बाद पाकिस्तान चले गए कश्मीरी शरणार्थियों के लिए आरक्षित हैं। हालांकि, बाद में ये तीनों 2023 में प्रधानमंत्री हक के नेतृत्व वाले PTI दलबदलुओं के गुट में शामिल हो गए थे।
उनके इस्तीफे हाल ही में सात सदस्यीय संघीय सरकार समिति और संयुक्त अवामी एक्शन कमेटी (JAAC) द्वारा हस्ताक्षरित समझौते के विरोध में आए हैं, जिसमें अन्य मुद्दों के अलावा, पाकिस्तान भर में बसे कश्मीरी शरणार्थियों के लिए आरक्षित 12 विधान सभा सीटों के विवादास्पद मुद्दे पर भी चर्चा हुई थी।
उन्होंने आरोप लगाया कि इस समझौते ने हजारों कश्मीरी शरणार्थियों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन किया है और AJK के संवैधानिक और राजनीतिक ढांचे पर प्रहार किया है। उन्होंने जोर देकर कहा कि असली निशाना सरकार नहीं, बल्कि शरणार्थी समुदाय की पहचान, प्रतिनिधित्व और राजनीतिक मान्यता है, जिसने पाकिस्तान और कश्मीर के विलय के लिए अपार बलिदान दिए हैं।
वर्तमान सरकार के अधीन काम करना असंभव
उन्होंने कहा कि उन्होंने इस मुद्दे को पाकिस्तान के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के संज्ञान में स्पष्ट रूप से लाया है, और कहा कि वे कश्मीर मुद्दे को नुकसान पहुंचाने पर तुले तत्वों के मंसूबों को नाकाम करने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे। खान ने अपना दो पृष्ठों का त्यागपत्र भी शेयर किया।
उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार के अधीन काम करना पूरी तरह असंभव हो गया है, जो कश्मीरी शरणार्थियों के संवैधानिक अधिकारों की प्रभावी ढंग से रक्षा और सुरक्षा करने में विफल रही है, और न ही इस गंभीर संवैधानिक उल्लंघन की जिम्मेदारी लेने या उसे चुनौती देने की इच्छाशक्ति दिखाई है।"
Published By : Kunal Verma
पब्लिश्ड 18 October 2025 at 21:34 IST