अपडेटेड 6 September 2025 at 18:17 IST
Pakistan: जिस नूर खान बेस को ऑपरेशन सिंदूर में भारत ने किया तबाह, वहीं उतरा अमेरिका का C-17 ग्लोबमास्टर, मचा हड़कंप; अब हुआ ये खुलासा
अमेरिकी वायु सेना के एक C-17 ग्लोबमास्टर विमान ने पाकिस्तान के नूर खान एयरबेस से उड़ान भरी। नूर खान एक मिलिट्री बेस है जिसे मई में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय सशस्त्र बलों ने निशाना बनाकर ध्वस्त कर दिया था।
रावलपिंडी: अमेरिकी वायु सेना के एक C-17 ग्लोबमास्टर विमान ने पाकिस्तान के नूर खान एयरबेस से उड़ान भरी। नूर खान एक मिलिट्री बेस है जिसे मई में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय सशस्त्र बलों ने निशाना बनाकर ध्वस्त कर दिया था। रिपोर्टों के अनुसार, विमान उड़ान भरने से पहले कुछ घंटों के लिए एयरबेस पर उतरा और वहीं रुका रहा, जिससे पाकिस्तान के अमेरिका के साथ सैन्य गठबंधन को लेकर चिंताएं बढ़ गईं।
आपको बता दें कि नूर खान एयरबेस न केवल पाकिस्तान के सैन्य अभियानों के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि स्ट्रैटजिक प्लान डिविजन के नजदीक स्थित होने के कारण भी महत्वपूर्ण है। यह डिविजन पाकिस्तान के परमाणु शस्त्रागार की देखरेख के लिए जिम्मेदार है, जिसके पास अनुमानित 170 परमाणु हथियार हैं।
अमेरिकी दूतावास ने क्या कहा?
अमेरिका ने पाकिस्तान में आई विनाशकारी बाढ़ से प्रभावित लोगों की मदद के लिए कई विमानों से राहत सामग्री भेजी है। इस्लामाबाद स्थित अमेरिकी दूतावास ने एक आधिकारिक बयान में यह जानकारी दी। इसमें कहा गया है कि पाकिस्तानी सेना के अनुरोध पर अमेरिकी सैन्य विमानों द्वारा राहत सामग्री पाकिस्तान पहुंचाई गई है। ये विमान शुक्रवार, 6 सितंबर को रावलपिंडी के नूर खान एयर बेस पर उतरे, जहां पाकिस्तानी सेना के अधिकारियों और अमेरिकी प्रभारी नताली बेकर ने राहत सामग्री प्राप्त की।
इससे पहले, ऑपरेशन सिंदूर के दौरान नूर खान एयरबेस पर भारत के बड़े हमले के बाद पाकिस्तानी सुरक्षा विशेषज्ञ इम्तियाज गुल ने दावा किया था कि नूर खान एयरबेस पूरी तरह से अमेरिकी नियंत्रण में है, और अमेरिकी विमान अक्सर अपने मिशन या कार्गो के बारे में बताए बिना इस बेस से उड़ान भरते हैं।
'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान नूर खान एयरबेस ध्वस्त
पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत द्वारा नूर खान एयरबेस पर किए गए सटीक हमले के बाद नूर खान एयरबेस ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ध्यान आकर्षित किया। इस हमले में एयरबेस को भारी नुकसान पहुंचा। इस बीच, विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि नूर खान एयरबेस पर अमेरिकी वायु सेना की मौजूदगी क्षेत्रीय सुरक्षा और वैश्विक राजनीति खासकर चीन और रूस के लिए चिंताएं पैदा करेगी।
Published By : Kunal Verma
पब्लिश्ड 6 September 2025 at 18:17 IST